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अधिकारियों की अड़ंगेबाजी नहीं करेंगे बर्दाश्त, दिल्ली के अस्पतालों में सुधार पर हाईकोर्ट सख्त

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दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि वह दिल्ली सरकार के अस्पतालों में मेडिकल सेवाओं में सुधार के लिए छह सदस्यीय विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों के अनुपालन के संबंध में अधिकारियों की अड़ंगेबाजी को बर्दाश्त नहीं करेगा।

Krishna Bihari Singh भाषा, नई दिल्लीMon, 30 Sep 2024 05:28 PM
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दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को दिल्ली सरकार की ओर से संचालित अस्पतालों में मेडिकल सेवाओं में सुधार के मसले पर सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि वह अधिकारियों की अड़ंगेबाजी बर्दाश्त नहीं करेगा। अदालत ने कहा- वह दिल्ली सरकार के अस्पतालों में मेडिकल सर्विसेज में सुधार के लिए छह सदस्यीय विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों के अमल में लाने के संबंध में अधिकारियों का ‘अड़ंगा लगाने वाला रवैया’ बर्दाश्त नहीं करेगी।

मुख्य न्यायाधीश मनमोहन की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि हितधारक सेवाओं में सुधार की दिशा में अवरोध पैदा नहीं कर सकते हैं। इसके साथ ही अदालत ने निर्देश दिया कि पांच अक्टूबर को एम्स के निदेशक डॉ. एम श्रीनिवास की ओर से दिल्ली के अधिकारियों के साथ एक बैठक बुलाई जाए। पीठ ने पूर्व में श्रीनिवास को सिफारिशों के कार्यान्वयन का काम सौंपा था।

पीठ ने कहा- एम्स के अध्यक्ष कह रहे हैं कि आप बैठकों में ऐसे लोगों को भेज रहे हैं जो निर्णय नहीं ले सकते। आप निचले स्तर के अधिकारियों को भेज रहे हैं। आप सहयोग नहीं कर रहे हैं। समस्या यह है कि मामला अब ऐसे चरण में पहुंच गया है जहां कुछ भी नहीं हो रहा है। हम अड़ंगा लगाने वाला रवैया बर्दाश्त नहीं करेंगे।

अदालत ने प्रस्तावों के कार्यान्वयन के मुद्दे पर एम्स के निदेशक की ओर से पूर्व में बुलाई गई बैठक में स्वास्थ्य सचिव के व्यक्तिगत रूप से शामिल नहीं होने पर आपत्ति जताई और उन्हें कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी।

अदालत ने मामले को 14 अक्टूबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया और एम्स निदेशक को संबंधित अधिकारियों के साथ पांच अक्टूबर को एक और बैठक बुलाने को कहा। अदालत ने मामले में दिल्ली सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ वकील संजय जैन और दो अन्य वकीलों को भी इसमें शामिल होने के लिए कहा।

अदालत ने इससे पहले सरकारी अस्पतालों में आईसीयू के बेड और वेंटिलेटर की कथित कमी को लेकर 2017 में स्वत: संज्ञान लेकर शुरू की गई एक जनहित याचिका पर डॉ. एस के सरीन के नेतृत्व में विशेषज्ञ समिति का गठन किया था। समिति ने खाली पद, संकाय सदस्यों की कमी, बुनियादी ढांचे, मेडिकल या सर्जिकल सामग्रियों, आपातकालीन ऑपरेशन थिएटर, ट्रॉमा सेवाएं और रेफरल सिस्टम के संबंध में कमियों की ओर इशारा किया था।



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