Delhi
OMG जालसाजों ने साइबर एक्सपर्ट को ही बनाया शिकार, डिजिटल अरेस्ट करके ऐठें 55 लाख; 3 गिरफ्तार
साइबर अपराधियों ने एनबीसीसी (नेशनल बिल्डिंग्स कंस्ट्रक्शन कॉर्पोरेशन) की डायरेक्टर को डिजिटल अरेस्ट कर 55 लाख रुपये ऐंठ लिए। खास बात यह है कि डायरेक्टर खुद एनबीसीसी में साइबर मामलों का काम देख रहीं हैं, फिर भी वे ठगी का शिकार बन गईं।
साइबर अपराधियों ने एनबीसीसी (नेशनल बिल्डिंग्स कंस्ट्रक्शन कॉर्पोरेशन) की डायरेक्टर को डिजिटल अरेस्ट कर 55 लाख रुपये ऐंठ लिए। खास बात यह है कि डायरेक्टर खुद एनबीसीसी में साइबर मामलों का काम देख रहीं हैं, फिर भी वे ठगों की मंशा को समझने में नाकाम रहीं। मामले में दिल्ली पुलिस की इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक ऑपरेशंस (आईएफएसओ) यूनिट ने गिरोह का पर्दाफाश करते हुए तीन साइबर ठगों को गिरफ्तार किया है।
आईएफएसओ के डीसीपी डॉ. हेमंत तिवारी ने बताया कि गत 12 सितंबर को एनबीसीसी की डायरेक्टर ने डिजिटल अरेस्ट कर जालसाजी करने की शिकायत दर्ज कराई थी। उन्होंने पुलिस को बताया कि नौ सितंबर को एक शख्स ने फोन किया। कॉलर ने खुद को मुंबई एयरपोर्ट के टर्मिनल-2 स्थित कस्टम कार्यालय का अधिकारी बताया। कॉलर ने कहा कि छह सितंबर को एक पार्सल जब्त किया है, जिसमें 16 फर्जी पासपोर्ट, 58 एटीएम कार्ड और 40 ग्राम एमडीएमए बरामद हुआ है। पार्सल पर आपका नाम दर्ज है।
कॉलर ने एनबीसीसी की डायरेक्टर से कहा कि मुंबई पुलिस ने उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया है और उन्हें आत्मसमर्पण करना होगा। डराने के लिए यह भी कहा कि उनके खिलाफ सीबीआई जांच चल रही है और उनकी जल्द गिरफ्तारी हो सकती है। गिरफ्तारी तक लगातार वीडियो कॉल के जरिए निगरानी रखी जाएगी।
पैसे खपाने के लिए कंपनी खोली
गिरफ्तार आरोपियों में प्रभात कुमार, राजेश कुमार और अर्जुन सिंह शामिल हैं। प्रभात और राजेश ने स्नातक की पढ़ाई की है वहीं अर्जुन ने एमसीए कर रखा है। आरोपी प्रभात और राजेश कैमेलिया सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड के मालिक हैं। ये दोनों इस कंपनी के खातों का उपयोग धोखाधड़ी से कमाई गई राशि की हेराफेरी के लिए करते थे। तीसरा आरोपी अर्जुन सिंह धोखाधड़ी की रकम रखने के लिए फर्जी बैंक खाते खोलने में इनकी मदद करता था। पुलिस ने इनके कब्जे से फर्जी कंपनियों से संबंधित पासबुक, चेक बुक, जरूरी दस्तावेज, पैन कार्ड, तीन मोबाइल फोन, सिम कार्ड और 20 लाख रुपये जब्त किए हैं।
क्या है डिजिटल अरेस्ट
डिजिटल अरेस्ट में किसी शख्स को ऑनलाइन माध्यम से डराया जाता है कि वह सरकारी एजेंसी के माध्यम से अरेस्ट हो गया है, उसे पेनल्टी या जुर्माना देना होगा। डिजिटल अरेस्ट एक ऐसा शब्द है जो कानून में नहीं है।