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केंद्र सरकार की वन नेशन, वन सब्सक्रिप्शन योजना में हुआ विस्तार , अब चिकित्सा संस्थानों के छात्रों को भी मिलेगा लाभ…

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केंद्र सरकार की वन नेशन, वन सब्सक्रिप्शन योजना में हुआ विस्तार , अब चिकित्सा संस्थानों के छात्रों को भी मिलेगा लाभ…


नई दिल्ली: केंद्र सरकार की वन नेशन, वन सब्सक्रिप्शन योजना का लाभ अब चिकित्सा संस्थानों के छात्रों को भी मिलेगा। पहले यह योजना केवल विज्ञान और तकनीकी संस्थानों तक सीमित थी, लेकिन अब इसे चिकित्सा संस्थानों तक भी विस्तारित किया गया है। वर्ष 2022 में एम्स में आयोजित नेशनल कॉन्फ्रेंस में चिकित्सा संस्थानों को इस योजना में शामिल करने की मांग उठाई गई थी, जिसके बाद अब इसका संज्ञान लेते हुए इस योजना में चिकित्सा संस्थानों को भी जोड़ा गया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2022 को वन नेशन, वन सब्सक्रिप्शन योजना की घोषणा की थी, और बाद में 25 नवंबर 2024 को केंद्रीय कैबिनेट ने इस योजना को मंजूरी दी थी। इस योजना के तहत केंद्रीय सरकार ने 2025-2027 के लिए 6,000 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया है।

एम्स के पीआरओ संदीप कुमार के अनुसार, पहले इस योजना में विज्ञान और तकनीकी संस्थानों को शामिल किया गया था, लेकिन 25-26 नवंबर 2022 को एम्स के केंद्रीय पुस्तकालय द्वारा आयोजित नेशनल कॉन्फ्रेंस में चिकित्सा संस्थानों को भी इस योजना में जोड़ने की मांग की गई थी। इस बैठक में 22 विशेषज्ञों ने भाग लिया, जिसमें प्रिंसिपल ऑफ साइंटिफिक एडवाइजरी के कार्यालय से रेमिया हरिदासन भी शामिल हुई थीं।

सूचना और पुस्तकालय नेटवर्क करेगा संचालन

वन नेशन, वन सब्सक्रिप्शन योजना को सफलतापूर्वक लागू करने के लिए सूचना और पुस्तकालय नेटवर्क (INFLIBNET) को एजेंसी के रूप में चुना गया है। इस योजना के तहत भारत के 10 महत्वपूर्ण कन्सोर्शिया को मिलाकर एक व्यापक नेटवर्क तैयार किया गया है।

क्या है वन नेशन, वन सब्सक्रिप्शन योजना

केंद्र सरकार की यह योजना लाखों छात्रों, शोधार्थियों और शिक्षकों के लिए लाभकारी साबित हो रही है। इसके माध्यम से देशभर के सरकारी विश्वविद्यालयों, कॉलेजों और शोध संस्थानों के छात्र, शिक्षक और शोधार्थियों को दुनिया भर की प्रमुख शोध पत्रिकाओं का मुफ्त में एक्सेस मिलेगा। इस योजना के तहत छात्रों को अलग-अलग सब्सक्रिप्शन के लिए खर्च नहीं करना पड़ेगा, जिससे उनके खर्च में भी कमी आएगी।

इस योजना के तहत 13,000 शोध पत्रिकाएं एक जनवरी से निशुल्क उपलब्ध कराई जाएंगी, जो दुनिया के 30 प्रमुख प्रकाशन से प्रकाशित हैं। योजना का लाभ 6,380 संस्थानों के छात्रों को मिलेगा, जिससे लाखों छात्र, शिक्षक और शोधार्थी इसका लाभ उठा सकेंगे।



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