Uttar Pradesh
कार में रेजीडेंट की मौत मामले में एसोसिएट प्रोफेसर समेत तीन पर हत्या का केस, बहन ने लगाए आरोप

Doctor’ Death Case: मोती लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज से संबद्ध स्वरूपरानी नेहरू चिकित्सालय (एसआरएन) परिसर में जूनियर रेजीडेंट डॉ.कार्तिकेय श्रीवास्तव की मौत के मामले में हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया है। बिजनौर में जेल अधीक्षक के पद पर तैनात डॉ.कार्तिकेय की बहन डॉ.अदिति श्रीवास्तव ने आर्थों विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सचिन यादव के साथ ही तृतीय वर्ष के जूनियर रेजिडेंट (जेआर) डॉ.शिवम गुप्ता और नेत्र विभाग में द्वितीय वर्ष की जेआर डॉ.अनामिका पर हत्या का शक जताते हुए मुकदमा दर्ज करवाया है।
डॉ.अदिति ने कोतवाली थाने में दी गई तहरीर में आरोप लगाया है कि उनका भाई (डॉ.कार्तिकेय) जब जेआर प्रथम वर्ष में था तब से ही उसके द्वितीय वर्ष के सीनियर शिवम गुप्ता उसे शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित करते थे। कार्तिकेय ने इसकी शिकायत विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ.सचिन यादव से की थी। इस पर डॉ. सचिन ने कोई कार्रवाई नहीं की बल्कि उसके ही ऊपर नाराजगी व्यक्त की गई। तहरीर में लिखा है कि इसके बाद से हर दिन शिवम गुप्ता और सचिन यादव द्वारा उनके भाई को उत्पीड़ित किया जाने लगा। कार्तिकेय के पैर में डीवीटी की समस्या होने के बाद भी उसे 36 से 48 घंटे खड़ा करके ड्यूटी कराई जाती थी। समस्या बताने पर उसे बेइज्जत कर बाहर निकाल देते थे। कार्तिकेय की डॉ.अनामिका जेआर द्वितीय से एक वर्ष तक दोस्ती रही लेकिन अचानक उसने बात करना बंद कर दिया। कारण पूछने पर उसने कार्तिकेय को अपमानित किया। इसके बाद भी अनामिका अक्सर कार्तिकेय को फोन करती थी। इस वजह से इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि अनामिका के वर्तमान दोस्त ने कार्तिकेय को रास्ते से हटाने के लिए कोई कदम उठाया हो। डॉ.अदिति ने तहरीर में लिखा है कि इसलिए शक है कि शिवम गुप्ता, सचिन यादव तथा अनामिका ने उनके भाई की हत्या की है। इस तहरीर पर पुलिस केस दर्ज कर जांच कर रही है।
आर्थो विभाग की ओटी बंद, पुलिसकर्मी तैनात
मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के जूनियर रेजिडेंट डॉ. कार्तिकेय श्रीवास्तव की शनिवार को संदिग्ध हालात में हुई मौत के बाद सोमवार को उनके परिजन पैतृक आवास उत्तराखंड कोटद्वार चले गए। घटना को लेकर डॉ. कार्तिकेय के परिवार की ओर से रविवार रात तीन डॉक्टरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने का असर अस्पताल में दिखने लगा है।
आर्थों विभाग के ऑपरेशन ओटी एक में होते हैं, जहां सोमवार को सन्नाटा छाया रहा। ओटी के अंदर एक कक्ष में पुलिस के दो जवान तैनात रहे जबकि आमतौर पर रविवार की छुट्टी के बाद हर सोमवार को ऑपरेशन थियेटर में सुबह से भीड़ लगी रहती थी। इमरजेंसी को छोड़कर 12 से 15 ऑपरेशन किए जाते हैं। इसी ओटी में आने के बाद डॉ. कार्तिकेय गायब हुए थे। वार्ड में नए मरीज भी भर्ती नहीं किए गए। बाहर से आने वाले भर्ती मरीजों का एक सप्ताह बाद बुलाया गया है।
दोपहर एक बजे खत्म हो गई ओपीडी:एसआरएन अस्पताल की ओपीडी में मेडिसिन, ईएनटी और त्वचा रोग के बाद सबसे ज्यादा मरीज आर्थो विभाग में आते हैं। सोमवार को अस्पताल की ओपीडी में 2108 मरीजों के पर्चे बने। आर्थों की ओपीडी में 160 मरीजों को देखा गया। सामान्य दिनों में ओपीडी 250 से 300 तक रहती है। विभाग में डॉ. कार्तिकेय की मौत को लेकर चर्चा चलती रही। दोपहर में एक बजे तक ओपीडी खाली हो गई। आर्थो विभाग में लगभग 30 डॉक्टर हैं। इसमें 20 सीनियर और दस जूनियर डॉक्टर हैं।
हॉस्टल न मिलने से किराये पर रहते हैं 300 डॉक्टर:अस्पताल में बने पीजी हॉस्टल में 150 डॉक्टरों के रहने की व्यवस्था है। इसलिए लगभग 300 डॉक्टर बाहर किराये पर रहते हैं। कोलकाता की घटना के बाद डॉक्टरों ने अस्पताल में खराब सीसीटीवी कैमरों को सही कराने की मांग की थी लेकिन अभी तक नहीं हुआ। प्रमुख अधीक्षक डॉ. अजय सक्सेना के अनुसार एक सप्ताह में सभी खराब कैमरे सही हो जाएंगे। अस्पताल के विभिन्न विभागों में 96 कैमरे लगे हैं।
महंगे खर्च के शौकीन डॉ.कार्तिकेय
डॉ. कार्तिकेय के बहनोई दीपक ने बताया कि कार्तिकेय पढ़ाई में मेधावी के साथ महंगे खर्च का शौकीन था। संपन्न परिवार का होने के कारण एक लाख रुपये की घड़ी पहनते थे। हॉस्टल के बजाय महंगा फ्लैट लेकर बाहर रहते थे। मेडिकल की पढ़ाई के समय से ही कार से कॉलेज आते थे। उन्होंने आत्मसम्मान से कभी समझौता नहीं किया। मरीजों की सेवा करना उसका जूनून था। आर्थों वार्ड में भर्ती मरीजों ने बताया कि डॉ. कार्तिकेय कभी नहीं चाहते थे कि कोई गरीब मरीज बाहर से दवा खरीद कर अपना इलाज कराए। यहां तक कि कई मरीजों की खरीदी हुई दवा को वापस कराकर अस्पताल से दवा दिला देते थे।
घटना की सुबह बहुत खुश थे डॉ.कार्तिकेय
बहन डॉ.अदिति श्रीवास्तव ने अपनी तहरीर में लिखा है कि घटना की सुबह कार्तिकेय बहुत खुश था। उन्हें छोड़ने स्टेशन आया तो पूरे रास्ते बात करता रहा और गाड़ी में हनुमान चालीसा बज रहा था। दरअसल, अदिति अपने दादा (ससुर) की तेरहवीं में मिर्जापुर आई थीं। 27 की रात में वह लौट रही थीं तो कार्तिकेय ने बहन को फोन कर पूछा कब तक पहुंचोगी और कहा कि मैं एक घंटे में अस्पताल से घर पहुंच रहा हूं। रात में उसने बहन बहनोई और घरवालों के साथ खाना खाया तथा उन्हें अपने खरीदे हुए सामान भी दिखाए। उस रात वो बहुत खुश था। जिम की ढेर सारी बातें भी बताई थी। घटना वाली सुबह वह अपनी कार से अदिति और उनके पति छोड़ने स्टेशन तक आया था। वह ड्रेस पहनकर निकला था, क्योंकि उसे ओटी जाना था।
साढ़े आठ बजे रात हुई घटना की जानकारी
अदिति के मुताबिक घटना वाली रात लगभग साढ़े आठ बजे उनके पास उनके पिता का फोन आया कि कार्तिकेय का सुबह से फोन नहीं उठ रहा है। अस्पताल से अब तक नहीं आया। फोन नहीं उठने पर अदिति के पति ने कार्तिकेय के दोस्त आर्थों विभाग में द्वितीय वर्ष के जेआर डॉ. पंकज पटेल को फोन मिलाया और कार्तिकेय के बारे में पूछा। रात के लगभग 8.50 बजे डॉ. पंकज ने बताया कि आप तुरंत आ जाएं कार्तिकेय ने कुछ खा लिया है और वह गंभीर है।
विभागाध्यक्ष रखेंगे डॉक्टरों के आने-जाने का हिसाब
घटना के बाद अस्पताल प्रशासन ने डॉक्टरों के आने-जाने के शेड्यूल को तैयार करने पर जुट गया है। अस्पताल के प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अजय सक्सेना ने बताया कि विभागाध्यक्षों के साथ बैठक करके जल्द ही कार्रवाई की जाएगी। अस्पताल के अलग-अलग विभागों में शिफ्ट के अनुसार लगभग 300 डॉक्टर ड्यूटी करते हैं लेकिन कब, कौन डॉक्टर किस विभाग में आया, कब तक रहा, बीच में कहां गया इसका पूरा ब्योरा नहीं रहता। शायद यही कारण है कि डॉ. कार्तिकेय शनिवार को सुबह ओटी से निकले तो 13-14 घंटे तक उनकी किसी ने खोजखबर नहीं ली।
एसो. प्रोफेसर ने निष्पक्ष जांच की मांग की
इस मामले में आरोपी बनाए गए एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सचिन यादव का कहना है कि डॉ. कार्तिकेय उनके अधीन कार्यरत नहीं थे। पिछले एक वर्ष से डॉ. कार्तिकेय ने किसी भी माध्यम से उनसे संपर्क नहीं किया और न ही कोई शिकायत की है। डॉ. सचिन यादव इस मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाए ताकि सत्यता सामने आ सके। वहीं डॉ. कार्तिकेय के बहनोई दीपक ने कहा कि हत्या को आत्महत्या साबित करने की कोशिश कामयाब नहीं होगी।
प्रॉक्टोरियल बोर्ड का होगा गठन
घटना की गंभीरता को देखते हुए अस्पताल प्रशासन ने प्रकरण की जांच के लिए प्रॉक्टोरियल बोर्ड गठित करने का निर्णय लिया है। इसके तहत घटना के समय ओटी व विभाग में मौजूद लोगों से जवाब मांगा जाएगा। मेडिकल कॉलेज के उप प्राचार्य डॉ. वीके पांडेय के अनुसार प्राचार्य के अवकाश से लौटने के बाद इस बारे में कार्रवाई की जाएगी।
डॉ.कार्तिकेय की सांस नली भी टूटी थी
डॉक्टर कार्तिकेय श्रीवास्तव की मौत दम घुटने से हुई थी। यह बात पोस्टमार्टम रिपोर्ट में सामने आई है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में गले और हाथ में जख्म के साथ सांस नली भी टूटी मिली है। ऐसे में पोस्टमार्टम रिपोर्ट से यह स्पष्ट नहीं हो पा रहा है कि डॉक्टर की मौत की असल वजह क्या है। विसरा की रसायनिक जांच रिप्पोर्ट आने के बाद ही मौत की असल वजह पता चलेगी।
केस दर्ज कर कॉल डिटेल खंगाल रही पुलिस
एसआरएन अस्पताल के जूनियर रेजिडेंट डॉ.कार्तिकेय श्रीवास्तव की मौत के मामले में कोतवाली पुलिस की नजर कॉल डिटेल रिकॉर्ड पर टिकी है। पुलिस मृतक डॉक्टर और आरोपियों के फोन की कॉल डिटेल खंगाल रही है। इससे पुलिस को अहम सुराग मिल सकता है।
कॉल डिटेल रिकॉर्ड ।(सीडीआर) से डॉक्टर कार्तिकेय की मौत के बारे में अहम क्लू मिल सकता है। इससे यह पता चलेगा कि कार्तिकेय ने आखिरी बार किससे बात की थी। कब तक वह फोन कॉल रिसीव करते रहे। कितने लोगों ने दिनभर कॉल किया। मौत वाले दिन की उनकी लोकेशन भी पता चल सकती है। वहीं इस मामले में आरोपियों के मोबाइल की भी सीडीआर खंगाली जा रही है। जिससे यह पता चलेगा कि घटना से पहले डॉ कार्तिकेय ने किन लोगों से संपर्क किया था। वह घटना के समय कहां मौजूद थे। सोमवार को भी कोतवाली पुलिस ने एसआरएन अस्पताल पुलिस चौकी में लगभग दस डॉक्टरों को बुलाकर घटना के संबंध में पूछताछ की।
पार्किंग स्थल के पास लगे चारों कैमरे मिले बंद
डाक्टर कार्तिकेय श्रीवास्तव की मौत के मामले में जांच जुटी पुलिस परिसर में लगे सीसीटीवी कैमरे की फुटेज भी खंगाल रही है। जांच के दौरान पुलिस को पार्किंग स्थल में लगे चारों कैमरे बंद मिले हैं। ऐसे पुलिस यह भी जांच कर रही है कि कैमरे कब से बंद थे। इसमें कोई साजिश तो नहीं है।