Uttar Pradesh

यूपी में उपचुनाव 10 सीटों पर लेकिन अयोध्या के मिल्कीपुर में अखिलेश के PDA का लिटमस टेस्ट

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UP by-election litmus test for Akhilesh Yadav: यूपी में उपचुनाव में 10 विधानसभा सीटों पर होने जा रहा है लेकिन करहल के बाद जिस एक सीट की सर्वाधिक चर्चा है वो है अयोध्‍या की मिल्‍कीपुर सीट। इस सीट पर अखिलेश यादव के पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्‍पसंख्‍यक) फार्मूले का लिटमस टेस्‍ट होने जा रहा है। अखिलेश ने यहां से सपा ने फैजाबाद सीट से पार्टी सांसद अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद को उम्मीदवार बनाया है। यह सीट अवधेश प्रसाद के सांसद बनने के बाद विधानसभा से इस्तीफा दिये जाने के कारण खाली हुई है। पिछले लोकसभा चुनाव में अवधेश प्रसाद के हाथों भाजपा उम्‍मीदवार की हार ने पूरे देश में सुर्खियां बटोरी थीं। राममंदिर प्राण प्रतिष्‍ठा और अयोध्‍या के विकास के तमाम दावों के चलते किसी को यहां से ऐसे चुनावी नतीजों की उम्‍मीद नहीं थी। भाजपा के सबसे गढ़ में अवधेश प्रसाद ने उसे पटखनी दे दी तो इसे सपा के पीडीए फार्मूले की बड़ी जीत माना गया। राजनीतिक विश्‍लेषकों ने यहां तक कहा कि यूपी में एक बार फिर मंडल के दौर वाली जातीय गोलबंदी होने लगी है। लोकसभा में अवधेश प्रसाद को अपने ठीक बगल में बिठाकर अखिलेश ने भी भविष्‍य में पीडीए सियासत को जारी रखने के संकेत दिए। कहा जा रहा है कि यदि विधानसभा उपचुनाव में भी अयोध्‍या में अखिलेश का पीडीए फार्मूला कामयाब होता है तो फिर इसे 2027 के यूपी के आम विधानसभा चुनाव में वह इसे खुलकर लागू करेंगे। हालांकि भाजपा भी इस फार्मूले की काट खोजने की हर मुमकिन कोशिश कर रही है।

वैसे पिछले लोकसभा चुनावों में अयोध्‍या ही नहीं यूपी की 80 में से 37 सीटों पर समाजवादी पार्टी ने जीत हासिल की तो इसके पीछे पीडीए को बड़ी वजह माना गया। कहा गया कि अखिलेश के पीडीए फार्मूले ने ही भाजपा को केंद्र में पूर्ण बहुमत पाने से रोक दिया। भाजपा ने 2019 में सूबे की 64 सीटों पर जीत हासिल की थी। 2024 में वो 33 सीटों पर सिमट गई। इसे अखिलेश के पीडीए फार्मूले की जीत के तौर पर देखा जा रहा था। यूपी उपचुनाव में अखिलेश अब तक जिन छह उम्‍मीदवारों के नाम घोषित कर चुके हैं उनमें भी पीडीए का खास ख्‍याल रखा है। उपचुनाव में मैनपुरी की करहल, कानपुर की सीसामऊ, प्रयागराज की फूलपुर, अम्‍बेडकरनगर की कटेहरी, मिर्जापुर की मझवां, अयोध्‍या की मिल्‍कीपुर , गाजियाबाद सदर, अलीगढ़ की खैर, मुजफ्फरनगर की मीरापुर और मुरादाबाद की कुंदरकी सीट पर चुनाव होना है। इनमें से नौ सीटें उसके विधायकों के लोकसभा चुनाव में सांसद चुने जाने के बाद खाली हुई थीं। सीसामऊ सीट पर, सपा विधायक इरफान सोलंकी को आपराधिक मामले में दोषी ठहराए जाने के कारण उपचुनाव हो रहे हैं। पिछले लोकसभा चुनाव की तरह इस उपचुनाव में भी समाजवादी पार्टी का कांग्रेस से गठबंधन है लेकिन अभी तक दोनों दलों का समझौता सामने नहीं आया है। सपा के छह सीटों पर उम्‍मीवार घोषित करने के बाद अब चार ही सीटें बची हैं।

10 सीटों में करहल की सीट की सबसे अधिक चर्चा है क्‍योंकि यह सीट खुद अखिलेश के सांसद बनने के चलते खाली हुई है। वर्ष 2022 में अखिलेश यादव ने यह सीट जीती थी लेकिन इस साल हुए लोकसभा चुनाव में कन्नौज सीट से सांसद चुने जाने के चलते उन्होंने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। अपनी सीट पर अखिलेश यादव ने अपने चचेरे भाई और पूर्व सांसद तेज प्रताप यादव को उम्मीदवार बनाया है। करहल के बाद अयोध्‍या की मिल्‍कीपुर सीट की सबसे ज्‍यादा चर्चा है।

अब यूपी विधानसभा उपचुनाव में खुलकर उन्‍होंने पीडीए पर दांव लगाया है। अखिलेश ने फूलपुर सीट से मुस्तफा सिद्दीकी, कटेहरी से शोभावती वर्मा और मझवां से डॉक्टर ज्योति बिंद को उम्मीदवार बनाया है। फूलपुर सीट पर 2022 के चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार प्रवीण पटेल ने जीत हासिल की थी। उन्हें 42% वोट मिले थे। जबकि समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार मोहम्मद मुजतबा सिद्दीकी को 40.89% वोट मिले थे। कांग्रेस प्रत्याशी सिद्धनाथ मौर्य को 0.66 फीसदी वोट मिले थे। 2024 के लोकसभा चुनाव में प्रवीण पटेल के सांसद चुने जाने के बाद यह सीट खाली हो गई थी। वहीं कटेहरी सीट पर सपा उम्मीदवार लालजी वर्मा ने 37.78% वोट पाकर जीत हासिल की थी। जबकि कांग्रेस उम्मीदवार निशात फातिमा को महज 0.83% वोट मिले थे। इस सीट पर निषाद पार्टी के उम्मीदवार अवधेश कुमार उपविजेता रहे थे। उन्होंने भाजपा के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा था। उन्हें 34.67% वोट मिले थे। 2024 के लोकसभा चुनाव में लालजी वर्मा के सांसद चुने जाने के बाद यह सीट खाली हो गई थी।

मझवां सीट से 2022 का चुनाव निषाद पार्टी के उम्‍मदीवार डॉ. विनोद कुमार बिंद ने जीती थी। भाजपा-निषाद पार्टी का गठबंधन था। उन्‍हें 42.07% वोट मिले थे। इस सीट पर समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार रोहित शुक्ला 28.38% वोटों के साथ उपविजेता रहे थे। कांग्रेस उम्मीदवार शिव शंकर चौबे को सिर्फ 1.39% वोट मिले थे। 2024 के लोकसभा चुनाव में डॉ. विनोद कुमार बिंद के सांसद चुने जाने के बाद यह सीट खाली हो गई है।

वहीं, कानपुर नगर की सीसामऊ विधानसभा सीट पर 2022 में सपा के हाजी इरफान सोलंकी जीते थे। इस बार सपा ने उनकी पत्‍नी नसीम सोलंकी को यहां से उतारा है। इरफान सोलंकी को 2022 में 50.68% वोट मिले थे। जबकि कांग्रेस उम्मीदवार हाजी सुहेल अहमद को 3.6% वोट मिले थे। इस सीट पर भाजपा उम्मीदवार सलिल विश्नोई उपविजेता रहे। उन्‍हें 42.83% वोट मिले थे। सपा के हाजी इरफान सोलानी को एक आपराधिक मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद अयोग्य घोषित किए जाने के चलते यह सीट खाली हो गई थी।

अन्‍य सीटों की स्थिति

मुजफ्फरनगर के मीरापुर सीट से 2022 में राष्ट्रीय लोक दल के उम्मीदवार चंदन चौहान ने सपा गठबंधन में चुनाव लड़ा था। उन्‍हें 49.57% वोटों के साथ जीत मिली थी। उस चुनाव में कांग्रेस के जमील अहमद को 0.58% वोट मिले थे। भाजपा उम्मीदवार प्रशांत चौधरी 36.94% वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहे थे। 2024 के लोकसभा चुनाव में चंदन चौन के सांसद चुने जाने के बाद यह सीट खाली हो गई।

गाजियाबाद सदर की भाजपा उम्मीदवार अतुल गर्ग ने जीत हासिल की थी। उन्हें कुल 61.37% वोट मिले। सपा उम्मीदवार विशाल वर्मा दूसरे स्थान पर रहे। उन्‍हें 18.25% वोट मिले थे। कांग्रेस उम्मीदवार सुशांत गोयल को उस चुनाव में 4.83% वोट मिले थे। पिछले लोकसभा चुनाव में अतुल गर्ग के सांसद चुने जाने के बाद यह सीट खाली हो गई थी।

अलीगढ़ की खैर सीट पर भाजपा उम्मीदवार अनूप सिंह उर्फ़ अनूप प्रधान वाल्मीकि‍ की जीत हुई थी। उन्हें 55.55% वोट मिले थे। रालोद ने सपा के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा था। उसके उममीदवार भगवती प्रसाद को 16.57% वोट मिले थे। कांग्रेस उम्मीदवार मोनिका को 0.6% वोट मिले थे। 2024 के लोकसभा चुनाव में अनूप प्रधान के सांसद चुने जाने के बाद यह सीट खाली हुई है।

मुरादाबाद की कुंदरकी सीट से सपा उम्मीदवार जिया उर रहमान की जीत हुई थी। उन्‍हें 46.28% वोट मिले थे। भाजपा के कमल कुमार को 30.4% वोट मिले थे। कांग्रेस प्रत्याशी दरक्षा बेगम को उस चुनाव में 0.63% वोट मिले थे। पिछले लोकसभा चुनाव में जिया उर रहमान के सांसद चुने जाने के बाद यह सीट खाली हुई।



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