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इन्हें ब्रेस्ट कहो, संतरे नहीं; दिल्ली मेट्रो में लगे पोस्टर पर छिड़ गया विवाद

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ब्रेस्ट कैंसर के प्रति जागरूक करने के लिए दिल्ली मेट्रो में लगाए गए एक पोस्टर पर विवाद छिड़ गया है। सोशल मीडिया पर यह वायरल हो गया है। कई महिलाओं ने ब्रेस्ट को ऑरेंज कहे जाने पर आपत्ति जताई है।

Sudhir Jha लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीThu, 24 Oct 2024 05:11 AM
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ब्रेस्ट कैंसर के प्रति जागरूक करने के लिए दिल्ली मेट्रो में लगाए गए एक पोस्टर पर विवाद छिड़ गया है। सोशल मीडिया पर यह वायरल हो गया है। कई महिलाओं ने ब्रेस्ट को ऑरेंज कहे जाने पर आपत्ति जताई है। पोस्टर में हर महीने ब्रेस्ट की जांच करने की सलाह दी गई है, लेकिन ब्रेस्ट की बजाय ऑरेंज शब्द का इस्तेमाल किया गया है।

दरअसल, दिल्ली मेट्रो में ब्रेस्ट कैंसर के प्रति जागरूक करने के लिए पोस्टर लगाए गए हैं। खासकर लेडीज कोच में इन्हें लगाया गया है। पोस्टर में एआई से बनाई गई तस्वीर है जिसमें कुछ महिलाएं बस में सफर करती दिख रही हैं। एक लड़की हाथ में दो संतरे लिए हुए है। तस्वीर पर लिखा गया है, ‘अपने ऑरेंजेज (संतरों) की हर महीने जांच करिए।’

पोस्टर के जरिए महिलाओं को यह बताने की कोशिश की गई है कि हर महीने खुद ही अपने ब्रेस्ट की जांच करते रहें ताकि यदि कोई गांठ बनने पर जल्दी पता जल जाए। हालांकि, कई महिलाओं को ब्रेस्ट की तुलना संतरे से करना पसंद नहीं आया। उन्होंने सोशल मीडिया पर आपत्ति जाहिर की है।

एक यूजर ने एक्स पर पोस्टर शेयर करते हुए लिखा, ‘नहीं, मैं अपने संतरे चेक नहीं करूंगी। मैं एक पेड़ नहीं जिसमें फल लटके हैं। मैं एक महिला हूं। मैं अपने ब्रेस्ट चेक करूंगी और आपसे भी अपने ब्रेस्ट की जांच करते रहने को कहूंगी। क्या बकवास है।’ एक अन्य यूजर ने लिखा कि अक्सर छेड़खानी करने वाले लोग ब्रेस्ट के लिए इस तरह के शब्दों का इस्तेमाल करते हैं। ब्रेस्ट कैंसर से जंग लड़ चुकीं कुछ महिलाओं ने भी इन पोस्टरों को तुरंत हटाने की मांग की है। वहीं, कुछ लोगों ने पोस्टर का समर्थन भी किया और कहा कि उद्देश्य अच्छा है और यह ध्यान खींचने लायक है।

टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, यूवीकैन फाउंडेशन की ट्रस्टी पूनम नंदा ने पोस्टर का यह कहते हुए बचाव किया कि उनकी संस्था ने 3 लाख महिलाओं को जागरूक किया और 1.5 लाख की स्क्रीनिंग की है। उन्होंने कहा कि यदि संतरों के इस्तेमाल से लोग ब्रेस्ट के स्वास्थ्य की बात करते हैं और एक भी जिंदगी बचती है तो यह सार्थक है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत में खुलकर ब्रेस्ट की बात करना थोड़ा संवेदनशील है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि डीएमआरसी ने लोगों की आपत्ति का संज्ञान लिया है।0



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