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पहले प्रस्ताव का समर्थन किया, अब यू-टर्न ले रही बीजेपी; आप ने लगाया बड़ा आरोप

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आम आदमी पार्टी ने भाजपा पर अपने वादे से मुकरने का आरोप लगाया है। दिल्ली में हाल के दो दिवसीय विधानसभा सत्र में बस मार्शलों की बर्खास्तगी को लेकर आप और विपक्ष के बीच तीखी बहस हुई। इसके बाद दोनों पक्षों ने उनकी नौकरियों को बहाल करने के प्रस्ताव का समर्थन किया।

Subodh Kumar Mishra पीटीआई, नई दिल्लीThu, 3 Oct 2024 10:43 AM
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आम आदमी पार्टी ने भाजपा पर अपने वादे से मुकरने का आरोप लगाया है। दिल्ली में हाल के दो दिवसीय विधानसभा सत्र में बस मार्शलों की बर्खास्तगी को लेकर आप और विपक्ष के बीच तीखी बहस हुई। इसके बाद दोनों पक्षों ने उनकी नौकरियों को बहाल करने के प्रस्ताव का समर्थन किया। अब आप ने आरोप लगाया है कि इस मुद्दे पर भाजपा यू-टर्न ले रही है।

विधानसभा में पास प्रस्ताव में कहा गया था कि आप और भाजपा दोनों पार्टियों के विधायक गुरुवार सुबह 11 बजे उपराज्यपाल से मिलेंगे। विधायक वहां से तब तक नहीं लौटेंगे, जब तक कि बस मार्शलों की बहाली सुनिश्चित नहीं हो जाती। आप ने कहा, “हमारे मंत्री सौरभ भारद्वाज ने भी एलजी साहब को पत्र लिखकर उनका समय मांगा था, लेकिन हमें अब तक कोई जवाब नहीं मिला है।”

एक संवाददाता सम्मेलन में आप विधायक दिलीप पांडे, कुलदीप कुमार और संजीव झा ने दावा किया कि उनकी पार्टी ने बस मार्शलों की बहाली के लिए सब कुछ किया है। यहां तक ​​कि विधानसभा में एक प्रस्ताव भी पारित किया है, लेकिन भाजपा अपने वादे से मुकर रही है। पांडे ने आरोप लगाया कि भाजपा वादे तोड़ने और धोखे का पर्याय बन गई है। उसने बस मार्शलों की नियुक्ति के मुद्दे पर उपराज्यपाल से मिलने के आप के प्रस्ताव पर सहमति जताई थी, लेकिन अब यू-टर्न ले रही है। 

पांडे ने कहा, “मैं उपराज्यपाल से दिवाली से पहले बस मार्शलों को बहाल करने का अनुरोध करता हूं ताकि वे भी अपने परिवारों के साथ खुशी से त्योहार मना सकें।” कुलदीप कुमार ने कहा कि विधानसभा द्वारा पारित कोई भी प्रस्ताव आधिकारिक है और एलजी साहब को हमें समय देना चाहिए था। हम चाहते हैं कि एलजी हमें समय दें और बस मार्शलों को बहाल करें।

पिछले साल एलजी वी.के. सक्सेना ने बस मार्शल के रूप में तैनात सिविल डिफेंस की सेवाएं समाप्त करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी। उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को उनके द्वारा स्वीकृत होम गार्ड के 10,000 से अधिक पदों पर ऐसे स्वयंसेवकों को नियुक्त करने पर विचार करने का भी निर्देश दिया था।



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