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Uttarakhand

पतौंजा गांव को दहशत में रखने वाली मादा गुलदार पिंजरे में कैद, ग्रामीणों ने ली राहत की सांस l

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पतौंजा गांव को दहशत में रखने वाली मादा गुलदार पिंजरे में कैद, ग्रामीणों ने ली राहत की सांस l


बागेश्वर: कांडा तहसील के पतौंजा गांव में एक साल से लोगों के सिर पर मंडरा रहा खतरा आखिरकार खत्म हो गया। ग्रामीणों के लिए आतंक का पर्याय बन चुका गुलदार गुरुवार देर शाम पिंजरे में कैद हो गया। पांच साल की मादा गुलदार उसी स्थान पर फंसी, जहां कुछ दिन पहले उसने एक महिला पर हमला कर दिया था।

गुलदार के पकड़े जाने की खबर फैलते ही गांव में जैसे सुकून लौट आया हो। कई महीनों से जो लोग शाम ढलते ही घरों में कैद हो जाते थे, अब उन्होंने राहत की सांस ली है। वन विभाग की टीम अब गुलदार को रेस्क्यू सेंटर भेजने की प्रक्रिया में जुटी है और इसके लिए उच्चाधिकारियों से अनुमति ली जा रही है।

पतौंजा गांव और आसपास के इलाकों में यह गुलदार बीते एक साल से सक्रिय था। कुछ ही दिन पहले गुलदार ने गांव की एक महिला पर झपटा मारा था, जिसमें वह बुरी तरह घायल हो गई थी। महिला का इलाज पहले सीएचसी कांडा और फिर जिला अस्पताल में चला। इसके बाद से ही गांव में डर और दहशत का माहौल बन गया था।

गौरतलब है कि पिछले साल माणा कभड़ा क्षेत्र में भी इसी तरह की घटना सामने आई थी, जब एक मासूम बच्चे को गुलदार ने अपना शिकार बना लिया था। तब वन विभाग की तमाम कोशिशों के बावजूद गुलदार को पिंजरे में नहीं डाला जा सका था। इस बार पतौंजा में हुई घटना के बाद वन विभाग ने सतर्कता बढ़ाई ट्रैप कैमरे लगाए गए और गुलदार की गतिविधियों पर नजर रखी जाने लगी।

13 सितंबर को गांव में पिंजरा लगाया गया था, और गुरुवार की देर शाम आखिरकार गुलदार उसी में फंस गया। रेंजर दीप चंद्र जोशी ने जानकारी दी कि गुलदार को फिलहाल कांडा लीसा डिपो में रखा गया है। पशु चिकित्सकों की टीम ने उसका स्वास्थ्य परीक्षण किया है, जिसमें वह पूरी तरह स्वस्थ पाई गई है।

करीब पांच साल की इस मादा गुलदार को अब रेस्क्यू सेंटर भेजने की प्रक्रिया चल रही है। स्थानीय लोग उम्मीद कर रहे हैं कि अब उन्हें रातें चैन से काटने को मिलेंगी और मवेशियों को भी गुलदार से राहत मिलेगी।



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