Uttarakhand
नशे में डूबे बेटों ने विधवा मां का जीना किया दुश्वार, DM सविन बंसल ने गुंडा एक्ट में तुरंत की सख्त कार्रवाई

DM सविन बंसल ने तुरंत लिया एक्शन
देहरादून: देहरादून जिलाधिकारी कार्यालय में एक विधवा महिला ने जब अपनी आपबीती सुनाई, तो सुनने वालों की आंखें नम हो गईं और DM का भी दिल दहल उठा। भागीरथपुरम, बंजारावाला निवासी विजय लक्ष्मी पंवार, पत्नी स्वर्गीय मोहन सिंह पंवार, ने जिलाधिकारी सविन बंसल के सामने रोते हुए गुहार लगाई कि उनके दोनों बेटे नशे के आदी हैं और रोज़ाना उनके साथ मारपीट करते हैं।
विजय लक्ष्मी ने बताया कि उनके बेटे अफीम, गांजा और शराब जैसे नशे में चूर होकर कभी डंडों से, तो कभी हाथ-पैर से उनकी पिटाई करते हैं और हर समय पैसे की मांग करते हैं। कई बार पड़ोसियों, पार्षदों और पुलिस ने समझाने की कोशिश की, लेकिन दोनों और ज्यादा हिंसक होते चले गए। अब बात इतनी बढ़ चुकी है कि बेटों ने उन्हें जान से मारने की धमकी तक दे दी है।
महिला ने कहा कि मैं एक विधवा और अकेली महिला हूं। मुझे डर है कि ये दोनों बेटा मुझे झोपड़ी में ही जान से मार देंगे।
डीएम ने तुरंत लिया एक्शन, गुंडा एक्ट में केस दर्ज
महिला की बात सुनने के बाद डीएम सविन बंसल ने मामले को गंभीरता से लेते हुए उसी दिन गोपनीय जांच बैठाई। जांच में पड़ोसियों और जनप्रतिनिधियों ने भी पुष्टि की कि विजय लक्ष्मी के दोनों बेटे — शुभम पंवार और एक अन्य नशे के आदी हैं और अपनी मां के साथ अक्सर मारपीट करते हैं।
गोपनीय जांच अधिकारी ने स्पष्ट रूप से कहा कि इन दोनों को मां से दूर रखना जरूरी है, वरना उनकी जान को खतरा है।
इसके बाद जिलाधिकारी ने गुंडा नियंत्रण अधिनियम (Gunda Act, 1970) के तहत दो घंटे के भीतर दोनों बेटों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही शुरू कर दी। प्रशासन ने पारंपरिक पुलिस रिपोर्ट, वकील की प्रक्रिया और थानों की लंबी प्रक्रिया को दरकिनार करते हुए, अपनी विशेष शक्तियों का प्रयोग किया।
जारी हुआ नोटिस, 26 अगस्त को कोर्ट में होना होगा हाजिर
दोनों पुत्रों को नोटिस भेजकर 26 अगस्त 2025 को पूर्वाह्न 10:30 बजे न्यायालय में स्वयं या अधिवक्ता के माध्यम से उपस्थित होने का आदेश दिया गया है। यदि वह समय पर नहीं पहुंचे, तो उनके खिलाफ फास्ट ट्रैक कोर्ट में प्रकरण चलाया जाएगा।
प्रशासन का सख्त संदेश
डीएम बंसल ने स्पष्ट किया कि यह मामला सिर्फ कानून का नहीं, बल्कि एक असहाय मां की सुरक्षा और सम्मान का है। ऐसे मामलों में देरी नहीं, तुरंत न्याय होना चाहिए। न्याय की उम्मीद बनी विजय लक्ष्मी की आखिरी आस विजय लक्ष्मी ने राहत की सांस लेते हुए कहा अब मुझे भरोसा है कि मुझे इंसाफ मिलेगा और मेरी जान बच जाएगी।