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Uttarakhand

पिथौरागढ़ में भूस्खलन से सहमे ग्रामीण

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पिथौरागढ़ में भूस्खलन से सहमे ग्रामीण


पिथौरागढ़ | उत्तराखंड: उत्तराखंड में लगातार हो रही भारी बारिश अब लोगों के लिए प्राकृतिक आपदा नहीं, बल्कि रोज़ का डर बन चुकी है। पिथौरागढ़ जिले के देवतपुरचौड़ा गांव में बीते सोमवार रात हुई एक दिल दहला देने वाली घटना ने पूरे इलाके को सदमे में डाल दिया। बारिश के बीच पहाड़ी से अचानक गिरे भारी-भरकम बोल्डर ने एक 12 साल के मासूम की जान ले ली, जबकि दो अन्य लोग घायल हो गए। इस हादसे में गांव का प्राथमिक विद्यालय और एक मंदिर भी क्षतिग्रस्त हो गया।

“नींद नहीं आती… कब गिर जाए कोई पत्थर, इसी डर में जी रहे हैं”

गांव की एक बुज़ुर्ग महिला ने रोते हुए बताया कि  बच्चा स्कूल के पास खेल रहा था, अचानक तेज़ आवाज़ आई और सब कुछ खत्म हो गया। अब रात को आंखें बंद करते डर लगता है कि कहीं पहाड़ी से फिर कुछ ना आ गिरे।

देवतपुरचौड़ा गांव पहाड़ी के ठीक नीचे बसा हुआ है, और यही पहाड़ी पिछले सात सालों से लगातार दरक रही है। ग्रामीणों के मुताबिक, पहाड़ी से अक्सर पत्थर और बोल्डर गिरते रहते हैं, लेकिन प्रशासन की ओर से अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।

प्रशासन तक पहुंची ग्रामीणों की गुहार

घटना के बाद गांव के लोगों ने जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा और पहाड़ी का ट्रीटमेंट कराए जाने की मांग की। ग्रामीणों ने बताया कि ये पहली घटना नहीं है…पहले भी तीन बार ऐसा हो चुका है। कभी मकान टूटे, कभी जानवर मरे….और अब एक बच्चा भी चला गया।

एक ग्रामीण ने गुस्से में कहा कि अगर पहाड़ी से लटके पत्थरों को पहले ही हटा दिया गया होता, तो शायद आज वो बच्चा जिंदा होता।

मौके पर पहुंचे पूर्व विधायक और एसडीएम

घटना के बाद पूर्व विधायक चंद्रा पंत और एसडीएम मंजीत सिंह ने गांव का निरीक्षण किया और नुकसान का जायजा लिया। लेकिन ग्रामीणों का सवाल यही है कि निरीक्षण से क्या होगा, जब कार्रवाई नहीं होती?

गांव के करीब 60 परिवारों की ज़िंदगी खतरे में है, लेकिन पहाड़ी पर अब भी कई बड़े बोल्डर लटके हुए हैं….जो कभी भी गिर सकते हैं।

अब और कितना इंतज़ार?

पिथौरागढ़ हो या रामनगर पहाड़ों में बारिश के नाम पर डर और तबाही की तस्वीरें सामने आ रही हैं। देवतपुरचौड़ा गांव में एक मासूम की मौत शायद वह आख़िरी चेतावनी हो जिसे प्रशासन को अब नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए।

हर बरसात के साथ अगर सरकार और प्रशासन की नींद नहीं खुलती, तो इन आपदाओं की कीमत आम लोगों को अपनी जान देकर चुकानी पड़ती रहेगी।



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