Uttarakhand
अब नहीं चलेगा धोखा! UCC के तहत लिव-इन में छुपाई शादी तो होगी कड़ी कार्रवाई

देहरादून : उत्तराखंड में लागू समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) में अब कुछ अहम बदलाव किए जा रहे हैं, ताकि इसे और ज्यादा व्यावहारिक और आम लोगों के लिए आसान बनाया जा सके। मंगलवार को सरकार ने “समान नागरिक संहिता उत्तराखंड संशोधन अधिनियम 2025” को विधानसभा में पेश कर दिया है। उम्मीद है कि यह बिल बुधवार को पारित हो जाएगा।
अब विवाह पंजीकरण के लिए मिलेगा 1 साल का समय
पहले विवाह के पंजीकरण के लिए 6 महीने की समय सीमा थी। अब इसे बढ़ाकर 1 साल कर दिया गया है। यानी अब शादी के एक साल के अंदर पंजीकरण करवाया जा सकेगा।
लेकिन अगर कोई इस समयसीमा के बाद पंजीकरण करवाएगा, तो उस पर जुर्माना या दंड भी लग सकता है।
अपील और शुल्क के नियम भी तय
अगर किसी को विवाह पंजीकरण को लेकर कोई आपत्ति है, तो वह अब सब-रजिस्ट्रार के पास अपील कर सकता है।
इसके अलावा, पंजीकरण से जुड़े शुल्क और प्रक्रिया को भी स्पष्ट कर दिया गया है।
व्यावहारिक दिक्कतों को दूर करने की कोशिश
समान नागरिक संहिता लागू करने के बाद लोगों को जिन तकनीकी या कानूनी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था, उन्हें भी इस संशोधन में दूर किया गया है।
जैसे कुछ जगहों पर ‘पेनल्टी’ की जगह ‘शुल्क’ लिखा गया था, अब उसे ठीक कर दिया गया है।
इसके अलावा सीआरपीसी (CrPC) की जगह बीएनएसएस (BNS) को जोड़ा गया है, जो नया कानून है।
सख्त दंड: धोखे से रिश्ते बनाने पर 7 साल की सजा
धारा 387 में नया प्रावधान जोड़ा गया है —
अगर कोई व्यक्ति बल, दबाव या धोखा देकर सहमति लेता है और फिर शारीरिक संबंध बनाता है, तो उसे 7 साल तक की जेल और जुर्माने की सजा दी जाएगी।
शादीशुदा होते हुए लिव-इन में रहना अब अपराध
धारा 380(2) में कहा गया है कि अगर कोई व्यक्ति पहले से शादीशुदा है और यह बात छिपाकर लिव-इन रिलेशनशिप में रहता है, तो उसे भी 7 साल तक की सजा और जुर्माना होगा।
हालांकि ये नियम उन लोगों पर लागू नहीं होगा:
जिन्होंने लिव-इन रिलेशनशिप पहले ही खत्म कर दी हो, या
जिनके जीवनसाथी का 7 साल या उससे ज्यादा वक्त से कोई पता न हो
दो नई धाराएं: पंजीकरण निरस्त और जुर्माना वसूली
धारा 390-क: अब विवाह, तलाक, लिव-इन या उत्तराधिकार से जुड़े पंजीकरण को रद्द करने का अधिकार रजिस्ट्रार जनरल को दिया गया है।
धारा 390-ख: अगर किसी पर जुर्माना लगता है और वह नहीं भरता, तो उसकी वसूली भू-राजस्व की तरह की जाएगी, यानी सरकार सीधे वसूल सकती है।