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नई आचार संहिता से बदलेगा सामाजिक ढांचा, जानें कैसे दहेज और धर्मांतरण पर लगेगा विराम

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नई आचार संहिता से बदलेगा सामाजिक ढांचा, जानें कैसे दहेज और धर्मांतरण पर लगेगा विराम



Hindu Code of Conduct 2025: काशी विद्वत परिषद ने नई हिंदू आचार संहिता जारी की है, जिसका उद्देश्य दहेज प्रथा, भव्य शादियों और धर्मांतरण जैसी सामाजिक कुरीतियों पर अंकुश लगाना है। परिषद ने समाज से इन परंपराओं में सुधार की अपील की है।

Hindu Code 2025(वाराणसी): काशी विद्वत परिषद ने हिंदू समाज में व्याप्त सामाजिक कुरीतियों और अनावश्यक परंपराओं पर रोक लगाने के उद्देश्य से नई हिंदू आचार संहिता जारी की है। इस संहिता को तैयार करने में देशभर के 70 विद्वानों, शंकराचार्यों, महामंडलेश्वरों और संतों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।

दहेज और फिजूलखर्ची पर प्रतिबंध, दिन में वैदिक विवाह की सिफारिश

संहिता में दहेज प्रथा पर पूर्ण रोक, शादियों में फिजूलखर्ची से बचाव और दिन में वैदिक रीति से विवाह संपन्न करने की सिफारिश की गई है। प्री-वेडिंग शूट और सगाई जैसे आधुनिक चलनों को हतोत्साहित किया गया है।

ब्रह्मभोज की सीमा: सिर्फ 13 लोगों की अनुमति

मृत्यु के बाद आयोजित ब्रह्मभोज को सीमित करते हुए उसमें केवल 13 लोगों की भागीदारी को अनुमति देने की व्यवस्था की गई है। इसका उद्देश्य अनावश्यक सामाजिक दबाव और खर्च को कम करना है।

धर्मांतरण के बाद वापसी होगी आसान

संहिता में यह भी प्रावधान है कि जो लोग किसी दबाववश हिंदू धर्म से अन्य धर्म में चले गए थे, वे अपने गोत्र और नाम सहित पुनः हिंदू धर्म में लौट सकते हैं। इसके लिए प्रक्रिया को सरल बनाया गया है।

मंदिरों की मर्यादा: गर्भगृह में केवल पुजारी और संत

मंदिरों की पवित्रता बनाए रखने के लिए, मंदिरों के गर्भगृह में केवल पुजारियों और संतों के प्रवेश की अनुमति देने का निर्देश दिया गया है।

अक्टूबर 2025 में लागू होगी संहिता

काशी विद्वत परिषद के महासचिव राम नारायण द्विवेदी के अनुसार, यह संहिता 11 टीमों और 3 उप-टीमों के सहयोग से तैयार की गई है। इसे मनुस्मृति, पराशर स्मृति, देवल स्मृति, गीता, रामायण और महाभारत सहित अन्य ग्रंथों के आधार पर संकलित किया गया है।
40 से अधिक बैठकों के बाद तैयार यह दस्तावेज अक्टूबर 2025 में औपचारिक रूप से लागू किया जाएगा। प्रारंभिक चरण में इस संहिता की 5 लाख प्रतियां देशभर में वितरित की जाएंगी ताकि समाज में जागरूकता और स्वीकृति का वातावरण बन सके।

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