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Uttarakhand

देहरादून में बढ़ते प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए परिवहन विभाग की नई कार्ययोजना, सीएनजी और इलेक्ट्रिक बसों का होगा विस्तार।

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देहरादून में बढ़ते प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए परिवहन विभाग की नई कार्ययोजना, सीएनजी और इलेक्ट्रिक बसों का होगा विस्तार।

देहरादून – राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) की तर्ज पर, उत्तराखंड में भी परिवहन विभाग ने प्रदेश की राजधानी देहरादून में प्रदूषण नियंत्रण की दिशा में एक बड़े कदम की तैयारी की है। इस वर्ष वृहद स्तर पर बनाई गई कार्ययोजना के तहत, देहरादून में डीजल चालित सिटी बसों और विक्रमों को बाहर किया जाएगा, ताकि वायु प्रदूषण कम हो सके और नागरिकों को सुविधा एवं आरामदायक सफर उपलब्ध कराया जा सके।

उत्तराखंड स्वच्छ गतिशीलता परिवर्तन नीति-2024
परिवहन विभाग ने इस दिशा में ‘उत्तराखंड स्वच्छ गतिशीलता परिवर्तन नीति-2024’ को लागू किया है, जिसके तहत पुराने डीजल बसों और विक्रमों को सीएनजी या इलेक्ट्रिक बसों से बदला जाएगा। सरकार ट्रांसपोर्टरों को 50 प्रतिशत सब्सिडी देने का भी प्रस्ताव कर रही है। आवेदन स्वीकार किए जा रहे हैं, और नई बसों के लिए ट्रांसपोर्टरों को सीएनजी और इलेक्ट्रिक बसों की ओर प्रोत्साहित किया जा रहा है।

वर्तमान में, स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत देहरादून में 36 इलेक्ट्रिक बसें चल रही हैं, लेकिन इनकी उच्च कीमत (लगभग एक करोड़ रुपये प्रति बस) के कारण निजी ट्रांसपोर्टर इन बसों को लेकर अनिच्छुक हैं। ऐसे में सीएनजी बसों को लाने का विकल्प भी दिया गया है, जिसमें ट्रांसपोर्टरों को अधिकतम 15 लाख रुपये तक की सहायता मिलेगी।

डीजल चालित वाहनों का होगा स्थानांतरण
आरटीओ (प्रशासन) सुनील शर्मा ने बताया कि पिछले दो वर्षों से शहर में सीएनजी बसों के संचालन की योजना बन रही थी, लेकिन इस साल इसे धरातल पर उतारने का निर्णय लिया गया है। पर्यावरण की रक्षा के लिए और वायु प्रदूषण को कम करने के उद्देश्य से, डीजल चालित सिटी बसों और विक्रमों को बाहर किया जाएगा। शहर के सभी क्षेत्रों तक सिटी बस सेवा को विस्तार दिया जाएगा, जहां अभी तक बस सेवा उपलब्ध नहीं है।

विक्रमों का भविष्य
परिवहन विभाग ने 2022 में ऋषिकेश, विकासनगर और हरिद्वार के साथ देहरादून में भी डीजल चालित विक्रमों को हटाने का निर्णय लिया था। 10 साल से पुरानी डीजल विक्रमों को 31 मार्च 2023 तक बाहर करना था, जबकि 10 साल से कम उम्र के विक्रमों को 31 दिसंबर 2023 तक हटाना था। इस निर्णय के विरोध में विक्रम और आटो चालक उच्च न्यायालय पहुंच गए हैं, और मामला अभी विचाराधीन है।

महिलाएं भी अब आटो व्यवसाय में
‘घर-घर आटो योजना’ के तहत महिलाओं ने आटो के नए परमिट में खासा हिस्सा लिया है। सीएनजी आटो के लिए 510 बेरोजगारों को परमिट दिए गए हैं, जिनमें 60 प्रतिशत महिलाएं हैं। ये सभी वाहन 31 मार्च 2025 तक लाने की योजना है।

सड़कों की सुरक्षा और प्रदूषण नियंत्रण
नए साल की कार्ययोजना में सड़क सुरक्षा और प्रदूषण नियंत्रण को लेकर भी कई अहम कदम उठाए गए हैं। सड़कों के ब्लैक स्पॉट्स का निरीक्षण, ओवरलोडिंग और ओवरस्पीडिंग पर कार्रवाई, और दुर्घटना संभावित क्षेत्रों पर सुरक्षा उपायों को लागू किया जाएगा। इसके अलावा, प्रदूषण नियंत्रण के लिए मोबाइल टेस्टिंग वैन से वाहनों की जांच की जाएगी। स्कूल वाहनों के सुरक्षा आडिट के लिए भी विशेष अभियान चलाया जाएगा।

न्यायालय में लंबित मामला
दून से ऋषिकेश, हरिद्वार, मसूरी और अन्य क्षेत्रों के लिए निजी बसों के संचालन को लेकर मामला उच्च न्यायालय में विचाराधीन है। यदि न्यायालय का निर्णय परिवहन विभाग के पक्ष में आता है, तो बसों के परमिट आवंटन की प्रक्रिया तुरंत शुरू कर दी जाएगी।

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