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Uttarakhand

धर्मस्थल को लेकर सांप्रदायिक बवाल पर बड़ा अपडेट, उत्तरकाशी में मुस्लिम वक्फ विभाग से जुड़ा मामला

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धर्मस्थल को लेकर सांप्रदायिक बवाल पर बड़ा अपडेट, उत्तरकाशी में मुस्लिम वक्फ विभाग से जुड़ा मामला

उत्तरकाशी के बाड़ाहाट क्षेत्र में निर्मित धार्मिक स्थल के संबंध में सोमवार को जिला प्रशासन ने वस्तुस्थिति साफ कर दी है। एसडीएम भटवाड़ी ने स्पष्ट किया है कि धार्मिक स्थल सरकारी भूमि पर नहीं बना है।

धार्मिक स्थल वाली जगह मौजा बाड़ाहाट तहसील भटवाड़ी की खतौनी में छह खातेदारों के नाम नाप की भूमि पर पंजीकृत है। डीएम डॉ. मेहरबान सिंह बिष्ट ने उत्तरकाशी के बाड़ाहाट में निर्मित धार्मिक स्थल के संबंध में विवाद के बाद एसडीएम भटवाड़ी को जांच के निर्देश दिए थे।

एसडीएम मुकेश चंद रमोला ने बताया कि कुल रक्बा चार नाली, 15 मुठ्ठी भूमि रमजान अली, अब्दुल हमीद बेग, अली अहमद, यासीन बेग, ईलाहीवक्श, मुहम्मद रफीक निवासी साकिनान उत्तरकाशी पट्टी बाड़ाहाट, तहसील भटवाड़ी को 20 मई 1969 में विक्रय की गई थी।

उक्त भूमि का दाखिला खारिज न्यायालय तहसीलदार भटवाड़ी के अभिलेखों में दर्ज है। उत्तर प्रदेश सरकार के मुस्लिम वक्फ विभाग द्वारा तीन जुलाई 1984 को प्रकाशित सरकारी गजट में भूमि पर धार्मिक स्थल अंकित है।

दरअसल, हाल ही में विहिप और बजरंग दल ने डीएम को ज्ञापन सौंपकर धर्मस्थल का निर्माण अवैध बताते हुए जांच की मांग की थी। वहीं मुस्लिम समुदाय ने धर्मस्थल को लेकर सोशल मीडिया पर भ्रम फैलाने का आरोप लगाते हुए जांच की मांग उठाई थी।

ओवैसी ने विशेष वर्ग के लोगों के उत्पीड़न का आरोप लगाया

चमोली जिले के गैरसैंण में बाहरी लोगों के कथित विरोध के मामले में ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन के राष्ट्रीय अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी भी कूद पड़े हैं। सोमवार को ओवैसी ने अपने सोशल मीडिया पेज के जरिए वर्ग विशेष के उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए प्रदेश सरकार पर निशाना साधा है।

उनका कहना है कि उत्तराखंड के चमोली में 15 परिवारों का सामूहिक बहिष्कार किया जा रहा है। वहां के व्यापारियों ने धमकी दी है कि सभी परिवारों को 31 दिसंबर तक जिला छोड़ दें। अगर कोई व्यक्ति वर्ग विशेष के लोगों को घर देते हैं तो उन्हें दस हजार रुपये जुर्माना देना होगा।

ओवैसी ने आगे लिखा कि ये वही उत्तराखंड है जहां की सरकार समानता के नाम पर यूनिफार्म सिविल कोड लागू कर रही है। क्या चमोली के मुसलमानों को समानता और सम्मान से जीने का हक नहीं है?



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