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Uttar Pradesh

स्मार्ट मीटर की जांच के निर्देशों का नहीं हुआ पालन, खुलासे के बाद बिजली कंपनियों में हड़कंप

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स्मार्ट मीटर की जांच के निर्देशों का नहीं हुआ पालन, खुलासे के बाद बिजली कंपनियों में हड़कंप


यूपी में बिजली कंपनियों ने केंद्र सरकार द्वारा दिए गए निर्देश का पालन नहीं किया गया।इस आदेश का खुलासा उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने सोमवार को किया है। इसके बाद बिजली कंपनियों में हड़कंप है।

Deep Pandey हिन्दुस्तानTue, 1 Oct 2024 05:46 AM
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प्रदेश की बिजली कंपनियों ने केंद्र सरकार द्वारा दिए गए निर्देश का मनमाने ढंग से उल्लंघन किया है। बिजली कंपनियों ने चेक मीटर के रूप में पांच फीसदी पुराने मीटर लगाने के आदेश का पालन ही नहीं किया। इस आदेश का खुलासा उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने सोमवार को किया है। इसके बाद बिजली कंपनियों में हड़कंप है। आला अधिकारियों ने कहा है कि इस संबंध में जल्द ही नया आदेश जारी किया जाएगा।

पूरे प्रदेश में लगभग 1.45 लाख स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए गए हैं। केंद्र सरकार ने दिशा-निर्देश दिए थे कि स्मार्ट मीटर बदलने के दौरान चेक मीटर के रूप में पुराने मीटरों को लगाया जाए, ताकि उपभोक्ता तय कर सकें कि स्मार्ट मीटर ठीक चल रहा है या नहीं। ऐसा पांच फीसदी मामलों में किया जाना था। उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने आरोप लगाए हैं कि किसी भी बिजली कंपनी ने इसका अनुपालन नहीं किया। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने यह व्यवस्था इसलिए लागू की है, जिससे उपभोक्ता 3 महीने तक मिलान कर देख सकें कि कहीं मीटर तेज तो नहीं चल रहा है जिसकी वजह से ज्यादा बिल आ रहा है। इस मामले में बिजली कंपनियों को अपनी रिपोर्ट हर महीने भारत सरकार को भी भेजनी है। केंद्र सरकार ने कहा था कि दोनों मीटरों की रीडिंग की समीक्षा होनी चाहिए।

अवधेश ने आरोप लगाया कि चेक मीटर की कोई भी फीस उपभोक्ता से न लेने के निर्देश थे लेकिन उत्तर प्रदेश में अभी तक एक भी चेक मीटर उपभोक्ता के परिसर पर नहीं लगाया गया जो या सिद्ध करता है कि बिजली कंपनियां मीटर लगाने वाले उद्योगपतियों के इशारे पर काम कर रहे हैं। उन्होंने सभी बिजली कंपनियों में स्मार्ट प्रीपेड मीटर को लगवाने वाले उच्च अधिकारियों को इस आदेश से अवगत कराया तो उन्होंने आदेश का क्रियान्वयन करने की बात कही। अवधेश ने 5 प्रतिशत की सीमा को 30 प्रतिशत करने के लिए भारत सरकार को एक प्रस्ताव भी भेजा है और मांग उठाई है कि सीमा को 30 प्रतिशत तक बढाया जाए।



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