Delhi
delhi high court says allegation of conspiring against pm modi can not be levelled irresponsibly

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दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने बुधवार को कहा कि प्रधानमंत्री के खिलाफ साजिश रचने के आरोप देशद्रोह के समान हैं। न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की अदालत ने यह भी कहा कि बिना किसी ठोस सामग्री के गैर-जिम्मेदाराना तरीके से आरोप नहीं लगाए जा सकते हैं। अदालत वकील जय अनंत देहाद्राई के खिलाफ बीजेडी सांसद पिनाकी मिश्रा की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिका में जय अनंत देहाद्राई पर मानहानिकारक बयान देने के आरोप लगाए गए हैं।
देहाद्राई की ओर से सांसद पिनाकी मिश्रा पर निष्कासित टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा के साथ मिलकर प्रधानमंत्री के खिलाफ साजिश रचने का आरोप लगाया गया था। अदालत ने सुनवाई के दौरान कहा कि हालांकि एक राजनेता संवेदनशील नहीं हो सकता है। देहाद्राई को अधिकारियों से की गई अपनी शिकायत के नतीजे का इंतजार करना चाहिए।
जय अनंत देहाद्राई की ओर से लगाए गए आरोपों के बाद महुआ मोइत्रा को 8 दिसंबर को लोकसभा से निष्कासित कर दिया गया था। उन पर आरोप था कि उन्होंने संसद में पूछे गए सवालों के लिए व्यवसायी और हीरानंदानी समूह के सीईओ दर्शन हीरानंदानी (Hiranandani Group CEO Darshan Hiranandani) से कथित तौर पर रिश्वत ली थी।
अदालत ने सुनवाई के दौरान कहा- जब आप कहते हैं कि प्रधानमंत्री के खिलाफ साजिश रची गई तो यह परेशानी वाली बात है। आप खुश नहीं हो सकते… प्रधानमंत्री के खिलाफ साजिश राज्य के खिलाफ अपराध है। यह देशद्रोह है। आम जनता पर इसका गंभीर असर होगा… पहले जांच के नतीजे का इंतजार करें।
वहीं जय अनंत देहाद्राई और उनके वकील ने अदालत को भरोसा दिया कि वह सुनवाई की अगली तारीख तक बीजेडी सांसद पिनाकी मिश्रा की ओर से प्रधानमंत्री के खिलाफ साजिश रचने के संबंध में कोई और बयान नहीं देंगे। अदालत ने कहा- प्रतिवादी ने अदालत को भरोसा दिया है कि सुनवाई की अगली तारीख तक वादी पर प्रधानमंत्री के खिलाफ किसी साजिश में शामिल होने का कोई आरोप नहीं लगाएगा।
याचिका में कहा गया है कि सीबीआई पहले से ही आरोपों की जांच कर रही है। यही नहीं देहाद्राई और महुआ मोइत्रा के बीच विवाद भी हाईकोर्ट में लंबित है। अदालत ने कहा- प्रथम दृष्टया प्रधानमंत्री के खिलाफ साजिश रचने का आरोप गंभीर है। यह देशद्रोह के समान है। प्रधानमंत्री के खिलाफ साजिश रचने का आरोप गैर-जिम्मेदाराना तरीके से नहीं लगाया जा सकता है। यह ठोस कारणों पर आधारित होना चाहिए।
हालांकि कुछ रिपोर्टों के मुताबिक, देहाद्राई अपने आरोपों पर अड़े रहे। उन्होंने कहा कि उनके पास पिनाकी मिश्रा के खिलाफ लगाए गए आरोपों को साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत हैं। उन्होंने इन सबूतों को सीबीआई को दिए हैं। ये सबूत कुल 140 पन्नों में हैं। मैंने जान जोखिम में डालकर सबूतों को रिकॉर्ड पर रखा है। इसके बाद अदालत ने प्रतिवादी के बयान को रिकॉर्ड पर लेते हुए देहाद्राई और दो मीडिया हाउसों को नोटिस जारी किया। अब इस मामले में जुलाई में सुनवाई होगी।