Rajasthan
Ashok Gehlot targeted Lalchand Kataria and Rajendra Yadav for leaving Congress

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राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने लालचंद कटारिया और राजेंद्र यादव समेत अन्य कांग्रेस नेताओं के बीजेपी में शामिल होने पर प्रतिक्रिया दी है। एक्स पर पोस्ट किया-जो नेता कांग्रेस छोड़कर जा रहे हैं उन्हें कांग्रेस ने पहचान दी, केन्द्रीय मंत्री, राज्य में मंत्री बनाया, पार्टी में बड़े पदों पर बिठाया परन्तु पार्टी के मुश्किल वक्त में वो पार्टी छोड़कर भाग रहे हैं।कई लोग कह रहे हैं कि उनके ऊपर केंद्रीय एजेसिंयों का दबाव है इसलिए भाजपा में जा रहे हैं। ये वक्त किसी दबाव के आगे झुकने का नहीं है बल्कि लोकतंत्र को बचाने और देश के भविष्य के लिए संघर्ष करने का है।
गहलोत ने कहा- हमें गांधी परिवार से प्रेरणा लेनी चाहिए जिनमें राहुल गांधी एवं पूरे परिवार को कई-कई दिनों तक ED ने पूछताछ के बहाने परेशान किया। उनकी संसद सदस्यता रद्द कर दी। घर तक खाली करवा दिया पर वो हर दबाव का मुकाबला मजबूती से कर रहे हैं। देशभर में भारत जोड़ो न्याय यात्रा के माध्यम से अन्याय, महंगाई, नफरत और बेरोजगारी के खिलाफ यात्रा कर जनजागरण का काम कर रहे हैं। राजनीति में मुकाबला इस तरह डटकर किया जाता है।
उल्लेखनीय है कि आज पूर्व केंद्रीय मंत्री लालचंद कटारिया समेत 32 नेता बीजेपी शामिल हो गए है। कटारिया पूर्व सीएम अशोक गहलोत के करीबी नेता माने जाते है। गहलोत सरकार में कृषि मंत्री रहे है। मनमोहन सिंह सरकार में मंत्री भी रहे है। बड़े नेता के जाने से कांग्रेस को सियासी तौर पर बड़ा झटका लगा है। सियासी जानकारों का कहना है कि कटारिया अपनी अनदेखी से नाराज थे। विधानसभा चुनाव भी लड़ने से इंकार कर दिया था। इसके बाद जयपुर की झोटवाड़ा से युवा नेता अभिषेक चौधरी को कांग्रेस ने टिकट दिया था। हालांकि, अभिषेक चौधरी को हार का सामना करना पड़ा था।
सियासी जानकारों का कहना है कि राजेंद्र यादव और लालंचद कटारिया भी जांच एजेंसियों की रडार पर थे। शायद यहीं वजह है कि अपने बिजनेस को बचाने के लिए वह बीजेपी में शामिल हुए है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि कांग्रेस ने बहुत कम समय में कटारिया को सबकुछ दिया। केंद्र में मंत्री बनाया। राजस्थान में मंत्री बनाया। जबकि लालचंद कटारिया को विरासत में सबकुछ मिला था। उनके पिता आमेर से विधायक रहें थे। इसके बावजूद कांग्रेस छोड़ने की वजह भी यहीं मानी जा रही है कि वह केंद्रीय एजेंसियों के रडार थे।