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wife rape to physical relationship with someone else Uttarakhand UCC divorce grounds

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wife rape to physical relationship with someone else Uttarakhand UCC divorce grounds


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UCC in Uttarakhand: उत्तराखंड यूसीसी बिल आज विधानसभा के पटल पर  सीएम पुष्कर सिंह धामी द्वारा रखा गया। उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू होने के बाद किसी को भी मनमाने ढंग से तलाक लेने की इजाजत नहीं होगी। तय शर्तों के तहत न्यायिक प्रक्रिया के आधार पर ही तलाक लिया जा सकेगा।

इसका उल्लंघन करने वालों के लिए 3 साल की कैद और 1 लाख रुपऐ तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है। विधानसभा में पेश किए गए विधेयक के अनुसार, विवाह और तलाक का उत्तराखंड में पंजीकरण अनिवार्य होगा। ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में जिस तरह से जन्म एवं मृत्यु के प्रमाण पत्र जारी किए जाते हैं। उसी स्तर पर अब विवाह और तलाक का पंजीकरण किया जाएगा।

ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायत सचिव तथा शहरी निकाय क्षेत्रों में सक्षम प्राधिकारियों द्वारा पंजीकरण किया जाएगा। समान नागरिक सहिंता में बिना न्यायिक प्रक्रिया के तलाक पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाया गया है। समान नागरिक संहिता लागू होने के बाद राज्य में विवाह का पंजीकरण अनिवार्य होगा और जो पंजीकरण नहीं कराएंगे उनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई होगी। हालांकि विवाह को निरस्त नहीं किया जाएगा।

यह होंगे तलाक के आधार

नपुंसकता, अन्य दूसरे  से सेक्स पति के अलावा किसी अन्य से गर्भवती होना या पत्नी के अलावा किसी अन्य को गर्भवती करना, क्रूरता, कम से कम दो साल की अवधि तक उपेक्षा या छोड़कर रखना, धर्म परिवर्तन, मानसिक विकार को आधार बनाया गया है।

इसके अलावा, असाध्य संचारी यौन रोग से पीडि़त होने पर, सन्यास, पति या पत्नी के सात साल तक जीवित होने की सूचना न मिलने पर, दूसरा विवाह करने पर, भरण पोषण आदेश का पालन न कर पाने पर, शादी के बाद यदि पति बलात्कार या किसी अन्य अप्राकृतिक संभोग का दोषी पाया जाता है तो पत्नी को तलाक का अधिकार होगा।

सजा और जुर्माने का प्रावधान

इजाजत के बिना तलाक के मामलों में यूसीसी में अलग अलग धाराओं में जुर्माने और सजा का प्रावधान किया गया है। यदि कोई व्यक्ति नियमों का उल्लंघन कर तलाक लेता है तो उसे छह माह के कारावास और पचास हजार रुपए तक के जुर्माने की सजा दी जाएगी।

जुर्माना न देने पर सजा एक माह बढ़ाई जा सकती है। इसी तरह धारा 29 के उल्लंघन पर तीन साल के करावास और एक लाख रुपऐ के जुर्माने का प्रावधान किया गया है। जुर्माना न देने पर छह माह जेल बढ़ाई जा सकती है।

 



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