Uttarakhand
Muslim daughters get rights in father property Uttarakhand UCC provisions

समान नागरिक संहिता-यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी-UCC) की पांच सदस्यीय विशेषज्ञ कमेटी ने सीएम पुष्कर सिंह धामी को 2 फरवरी को ड्रॉफ्ट सौंप दिया है। आगामी विधानसभा सत्र में 06 फरवरी को उत्तराखंड सरकार सदन में विधेयक लाने जा रही है। सूत्रों की बात मानें तो कमेटी बेटियों को भी पैत्रिक संपत्ति में अधिकार देने की सिफारिश कर सकती है।
सभी धर्मों के लोगों के लिए इसे अनिवार्य किया जा सकता है। कमेटी की अध्यक्ष व सुप्रीम कोर्ट की पूर्व जस्टिस रंजना देसाई के नेतृत्व में सभी सदस्यों ने सीमांत क्षेत्र चमोली जिले के माणा से लेकर पिथौरागढ़ जिले के मुनस्यारी तक पहुंच कर लोगों के सुझाव लिए। सूत्रों ने बताया कि कमेटी रिपोर्ट में बेटियों को भी बेटों के समान पैत्रिक संपत्ति पर अधिकार देने की वकालत की है।
कमेटी के समक्ष इसके अलावा विभिन्न सुझाव आए हैं। इनमें बुजुर्गों के भरण-पोषण व विवाह पंजीकरण अनिवार्य करने, लिव इन रिलेशनशिप में रहने वालों को नियम बनाने, लड़कियों के लिए शादी की उम्र 21 वर्ष करने, गोद लेने और जनसंख्या नियंत्रण के लिए कानून बनाने आदि सुझाव आए थे। कमेटी इनमें से कुछ बिंदुओं को शामिल कर सकती है।
उधर, विशेषज्ञों का कहना है कि यदि उत्तराखंड में यूसीसी लागू होता है तो फिर महिलाओं को पैत्रिक संपत्ति में अधिकार मिलने के साथ ही उनके प्रति अपराधों में कमी आएगी। इसके साथ ही ससुराल में उनके मन में भी आर्थिक सुरक्षा का भाव पैदा नहीं होगा। इससे निश्चित तौर पर न्यायालयों में मुकदमों की संख्या में कमी आ सकती है। वहीं, इस कानून से देश की आधी आबादी कही जाने महिलाओं की सहानुभूति मिल सकती है।
किसी समुदाय विशेष को नुकसान नहीं
सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि समान नागरिक संहिता (यूसीसी) से किसी समुदाय विशेष को नुकसान नहीं होगा। सीएम ने कहा कि हमारी सरकार ने यूनिफॉर्म सिविल कोडलागू करने के लिए प्रदेश की जनता से वादा किया था। इसके लिए देवतुल्य जनता ने भाजपा को बहुमत दिया।
उत्तराखंड में कोई किसी पंथ, समुदाय, धर्म या जाति का हो, सबके लिए समान कानून हो, इसके लिए समान नागरिक संहिता का लागू करने की बात की जा रही है। यूसीसी सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास के मूलमंत्र की दिशा में बढ़ाया गया अहम कदम है।
क्या है यूनिफॉर्म सिविल कोड( यूसीसी ) समान नागरिक संहिता
यूनिफॉर्म सिविल कोड( यूसीसी ) समान नागरिक संहिता में लैंगिक समानता और पैतृक संपत्तियों में बेटियों के लिए समान अधिकार पर जोर दिया गया है। सूत्रों की बात मानें तो यह महिलाओं की विवाह योग्य आयु को बढ़ाकर 21 वर्ष करने का सुझाव नहीं देता है। समिति की सिफारिश में कहा गया है कि महिलाओं के लिए विवाह की आयु 18 वर्ष ही बरकरार रखी जानी चाहिए।
यह एक ऐसा कानून बनाना है जो शादी, तलाक, विरासत और गोद लेने से संबंधित मामलों में सभी धर्मों पर लागू होगा। विधेयक का विशेषतौर पर विवाह पंजीकरण, तलाक, संपत्ति अधिकार, अंतर-राज्य संपत्ति अधिकार, रखरखाव, बच्चों की हिरासत आदि में एकरूपता पर फोकस है।