Uttar Pradesh
ayodhya ram lalla darshan construction of second floor in ram temple begins this work will be completed soon
Ayodhya Ram Mandir: अयोध्या के भव्य राममंदिर के भूतल में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद अब दूसरे चरण की निर्माण प्रक्रिया शुरू हो गई है। पहले चरण में भूतल, प्रथम तल, परकोटे का मुख्य द्वार,यात्री सुविधा केंद्र का आंशिक निर्माण पूरा किया गया। इसके बाद अनुष्ठान की शुरुआत होने से काम रोक दिया गया। शुक्रवार रात से काम दोबारा शुरू कर दिया गया है। 19 जनवरी को हटाए गए चारों टॉवर क्रेन में दो को दोबारा लगाया जा रहा है।
सिंहद्वार और आगे के मंडपों का काम पूरा हो चुका है इसलिए अब केवल पीछे के हिस्से में टॉवर क्रेन की जरूरत पड़ेगी। एक क्रेन शुक्रवार रात लगा दिया गया। छुट्टियों पर गए 1000 से अधिक कारीगरों को भी वापस बुला लिया गया है। 50-50 की संख्या में मजदूर आमद करा रहे हैं। पांच छह दिनों में दूसरे तल का काम विधिवत शुरू हो जाएगा। उधर यात्री सुविधा केंद्र और बिजली उपकेंद्र के दूसरे हिस्सों पर काम शुरू हो गया है।
श्रीराम मंदिर निर्माण के दूसरे चरण में मुख्य रूप से दूसरे तल का निर्माण होना है। इसका काम पूरा होते ही ऊपर गूढ़ी मंडप और गर्भगृह के ठीक ऊपर शिखर का काम शुरू हो जाएगा। शिखर पूरा होते ही उस पर शिखर दंड और कलश रखा जाएगा। इसके साथ लगभग 732 मीटर लंबे, सवा चार मीटर चौड़े परकोटा का निर्माण पूरा होगा। परकोटा के निर्माण में आठ लाख घन मीटर पत्थर लगाए जाने हैं। इसी वर्ष के अंत तक परकोटा का काम पूरा किए जाने का लक्ष्य है।
वर्तमान में मुख्य प्रवेश द्वार परकोटे का हिस्सा है। जिन पांच सीढियों से हम चढकर मुख्य मंदिर में प्रवेश करते हैं उसी के नीचे एक टनल के रूप में मंदिर के चारों ओर परकोटे का निर्माण किया जाना है। इसी टनल के अंदर से श्रद्धालुओं को दर्शन के लिए गुजारे जाने की योजना है। टनल के ऊपर श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र अपने लिए व्यवस्थागत निर्माण कराएगा। मंदिर निर्माण के पूरे बजट का एक बड़ा हिस्सा परकोटे पर खर्च होगा।
6 मंदिरों का भी निर्माण होगा पूरा
इसी वर्ष परकोटे के चारों कोनों व दोनों भुजाओं पर 6 मंदिरों का निर्माण किया जाना है। एक कोने पर भगवान सूर्यदेव, हनुमानजी, शंकर जी, माता भगवती, अन्न्पूर्णा व गणपति के मंदिर बनाए जाने की योजना है। भवन निर्माण समिति ने इन 6 मंदिरों के निर्माण को इसी वर्ष दिसंबर में पूरा किए जाने का लक्ष्य लिया है। परकोटे में परिक्रमा के दौरान दर्शनार्थी इन मंदिरों में दर्शन कर पाएंगे।
तीर्थ क्षेत्र के धार्मिक न्यास समिति की आपात बैठक में तीर्थ क्षेत्र महासचिव चंपत राय, कोषाध्यक्ष महंत गोविंद देव गिरि, न्यासी डा. अनिल मिश्र, मंदिर निर्माण प्रभारी व विहिप केन्द्रीय मंत्री गोपाल राव, समिति सदस्य व रामकुंज कथामंडप महंत डा. रामानंद दास व उनके उत्तराधिकारी महंत सत्य नारायण दास के अलावा प्रशिक्षण योजना के मुख्य आचार्य केशव प्रसाद शामिल हुए।
दस अतिरिक्त पुजारी भी तैनात किए जा रहे
धार्मिक न्यास समिति चेयरमैन और तीर्थ क्षेत्र कोषाध्यक्ष महंत गोविंद देव गिरि ने हिन्दुस्तान को बताया कि समय और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए दस अतिरिक्त पुजारियों को भी नियुक्त किया जा रहा है। यह पुजारी प्रशिक्षण योजना के प्रशिक्षु ही रहेंगे और अप्रेंटिसशिप के रूप में शामिल होंगे। उन्होंने बताया कि यह वह शिक्षार्थी है जिन्होंने रामोपासना आचार संहिता के सभी मंत्रों को कंठस्थ कर लिया है। यह सभी प्रशिक्षु पुजारी अलग-अलग पालियों में अपनी सेवाएं देंगे।
तीन गुना बढ़ाई गई पुजारियों की संख्या
राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के ठीक पांचवें दिन श्रीरामजन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ने पुजारियों की संख्या तीन गुना बढ़ा दी है। रामलला की सेवा में मुख्य पुजारी समेत चार सहायक पुजारी तैनात थे लेकिन अब दस अतिरिक्त पुजारी भी तैनात कर दिये गये। इस तरह पुजारियों की कुल संख्या 15 हो गई है। मेक शिफ्ट स्ट्रक्चर से नूतन मंदिर में दो शिफ्टों में चारों पुजारी सेवा दे रहे थे। मुख्य पुजारी आचार्य सत्येन्द्र दास शास्त्रत्त्ी दोनों शिफ्टों में मौजूद रहकर पर्यवेक्षण करते थे।
यह शिफ्ट सुबह-शाम के दर्शन अवधि के लिहाज से थी। प्राण-प्रतिष्ठा के बाद अपेक्षा से अधिक उमड़ी भीड़ के चलते अनवरत 16 घंटे दर्शन की अवधि निर्धारित हो गयी है। इससे पुजारियों पर काम का दबाव खासा बढ़ गया है। इसके चलते शुक्रवार की सायं तीर्थ क्षेत्र के धार्मिक न्यास समिति की आपात बैठक बुलाई गयी। मुख्य मंदिर के अलावा 13 अतिरिक्त मंदिरों का भी निर्माण हो रहा है। इन मंदिरों में दूसरे पुजारियों को भी मौका दिया जाएगा।
कार्यरत पुजारियों पर कोई असर नहीं होगा
16 घंटे अनवरत दर्शन अवधि तय होने के बाद पूजन में व्यवधान के केन्द्रीय विषय पर मंथन के पुजारी बढ़ाने पर सहमति बनी। निर्णय हुआ कि प्रशिक्षुओं को मौका मिले। इनकी नियुक्ति से पूर्व कार्यरत पुजारियों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।