Madhya Pradesh
man who promoted traditional dance drama mach omprakash sharma now get padma award

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Padma Awards : हर साल गणतंत्र दिवस से पहले दिए जाने वाले पद्म पुरस्कारों का ऐलान हो चुका है। यह पुरस्कार विभिन्न क्षेत्रों में अहम योगदान देने वाले शख्सियतों को दिया जाता है। इस बार 33 विभूतियों को पद्म श्री देने का फैसला किया गया है। इन्हीं महान हस्तियों में से एक हैं ओमप्रकाश शर्मा। ओमप्रकाश शर्मा की गिनती उन शख्सियतों में होती है जिन्होंने अपनी जिंदगी का लंबा वक्त मालवा क्षेत्र की लोक नाट्य परंपरा ‘माच’ को बचाए रखने में गुजारा। लोक नाट्य परंपरा ‘माच’ करीब 200 साल पुराना है।
ओमप्रकाश शर्मा की पहचान एक ‘माच’ थियेटर आर्टिस्ट के तौर पर है। उन्होंने सात दशक तक इस लोक नाट्य परंपरा को आगे बढ़ाने में अपना अमूल्य योगदान दिया है। ओमप्रकाश शर्मा ने ‘माच’ थियेटर प्रॉडक्टर के लिए स्क्रिप्ट भी लिखे और उन्होंने संस्कृति के नाटकों का रूपांतरण भी ‘माच’ स्टाइल में किया।
ओमप्रकाश शर्मा ने एक शिक्षक के तौर पर अपना योगदान दिया। उन्होंने NSD दिल्ली और भारत भवन भोपाल के छात्रों को इस अद्भुत नाट्य कला से परिचित कराया। एक विनम्र पृष्ठभूमि से आने वाले ओमप्रकाश शर्मा ने यह महत्वपूर्ण कला उस्ताद कालूराम माच अखाड़ा के अंतर्गत अपने पिता से सीखी। माच मालवी बोली में गाई जाने वाली मालवा की लोक गायन शैली है। ओमप्रकाश शर्मा को माच को आगे बढ़ाने वाले रंगमंच के बड़े चेहरे के तौर पर जाना जाता है।
‘माच’ परंपरा को लेकर यह का जाता है कि यह लोक नाट्य रूप अठारहवीं शताब्दी की लगभग शुरुआत से मालवा क्षेत्र में रहने वाले लोगों की संस्कृति का अभिन्न अंग है। परंपगत तौर पर ‘माच’ का प्रदर्शन होली के समय किया जाता है। यह भी माना जाता है कि इस लोक नाट्य की उत्पति लोगों के मनोरंजन के लिए हुई थी। बाद में धीरे-धीरे यह लोगों की संस्कृति का अंग बन गया।