Uttarakhand
60 Percent more rain forecast during monsoon IND Uttarakhand asked to remain prepared – Weather today in Hindi – Aaj ka mausam, mausam ki jankari, Temp today in Hindi

भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) देहरादून ने इस वर्ष मॉनसून सीजन में सामान्य बारिश से 60% अधिक बारिश की भविष्यवाणी की है। सभी विभागों को इसे ध्यान में रखते हुए तैयारी शुरू करने को कहा गया है। गुरुवार को उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (यूएसडीएमए) की ओर से विभिन्न विभागों के लिए मॉनसून की तैयारियों को लेकर प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया गया। इसमें आईएमडी देहरादून केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह ने कहा कि इस साल राज्य में मॉनसून सीजन में सामान्य बारिश से 60 फीसदी अधिक बारिश होने का अनुमान है।
मौसम अधिकारी ने कहा, “मौसम संबंधी जानकारी को लेकर आईएमडी देहरादून केंद्र लगातार अलर्ट भेजता रहता है। यदि इसका पालन किया जाए तो आपदाओं के प्रभाव को काफी हद तक कम किया जा सकता है और जान-माल की हानि को भी कम किया जा सकता है। आईएमडी द्वारा प्रभाव-आधारित पूर्वानुमान जारी किए जा रहे हैं, जिससे विभिन्न विभागों को समय पर अपनी तैयारी करने के लिए पर्याप्त समय मिल जाता है। विभाग द्वारा मौसम की रियल टाइम मॉनिटरिंग भी की जा रही है, जिससे काफी हद तक सटीक भविष्यवाणी करना संभव हो रहा है।”
क्या सावधानियां बरतनी चाहिए…
मौसम वैज्ञानिक रोहित थपलियाल ने बताया कि मौसम परिवर्तन की जानकारी आईएमडी की वेबसाइट पर उपलब्ध है। उन्होंने कहा, “यह जानकारी विभिन्न मीडिया के माध्यम से लोगों तक पहुंचाई जा रही है। अलर्ट जारी करने के साथ-साथ आईएमडी यह जानकारी भी साझा करता है कि क्या सावधानियां बरतनी चाहिए।” उत्तराखंड भूस्खलन न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र के निदेशक शांतनु सरकार ने कहा कि राज्य में भूस्खलन संभावित क्षेत्रों में बरसात के दौरान सतर्क रहने की जरूरत है। उन्होंने कहा, “संबंधित विभागों को ऐसे सभी क्षेत्रों के लिए शमन (mitigation) और प्रबंधन उपायों में तेजी लानी चाहिए।”
उन्होंने जल निकासी व्यवस्था में सुधार, भूस्खलन संभावित क्षेत्रों में आधुनिक तकनीक से रिटेनिंग वॉल और बाड़ लगाने, भूस्खलन क्षेत्रों की निगरानी और प्रारंभिक चेतावनी जारी करने और रॉक फॉल जोन की मैपिंग के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा, “भूस्खलन संभावित क्षेत्रों में सड़क पर आश्रय (एक प्रकार की सुरंग) बनाना एक अच्छा विकल्प है। इसके कारण मलबा शेल्टर पर गिरेगा और शेल्टर के नीचे यातायात सामान्य रूप से चलता रहेगा।”
आकाशीय बिजली से बचाव के उपाय
USDMA स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. विमलेश जोशी और मौसम विज्ञानी डॉ. पूजा राणा ने आकाशीय बिजली से बचाव के उपाय बताए। जोशी ने कहा, ”आकाशीय बिजली गिरने की घटना को गंभीरता से लेने की जरूरत है क्योंकि हर साल बिजली गिरने से बड़ी संख्या में लोग अपनी कीमती जान गंवा देते हैं। घर के अंदर होने पर बिजली के स्विच से प्लग हटा दें। कभी भी तार वाले फोन का प्रयोग न करें। बिजली चमकने पर न तो नहाना चाहिए और न ही बर्तन धोने चाहिए। घर से बाहर निकलने पर अधिक सावधानी बरतने की जरूरत है। किसी पेड़ के नीचे खड़ा होना या बिजली या अन्य खंभे पर टेक लगाकर खड़ा होना खतरनाक हो सकता है। यदि आप नाव चला रहे हैं या तैर रहे हैं, तो पानी से तुरंत बाहर आना चाहिए।”
उत्तराखंड प्राकृतिक आपदाओं से ग्रस्त
उत्तराखंड प्राकृतिक आपदाओं से ग्रस्त है जिसमें बादल फटना, भूस्खलन, ग्लेशियर टूटना, भूकंप, अचानक बाढ़ और भूमि धंसना शामिल है। अधिकांश विशेषज्ञ इस बात पर जोर देते हैं कि इस तरह की भूवैज्ञानिक और चरम मौसम की घटनाएं इस क्षेत्र में लाखों वर्षों से होती आ रही हैं, लेकिन अब ऐसी घटनाओं से लोगों की निकटता के कारण जान-माल का नुकसान बढ़ गया है। जलवायु परिवर्तन के कारण कई बदलाव बढ़ गए हैं। कई क्षेत्रों में नाजुक ढलान और ढीली चट्टानें समय-समय पर भूस्खलन का कारण बनती हैं, खासकर मानसून के दौरान जब ढलानों पर भारी बारिश होती है।
जलवायु परिवर्तन विशेषज्ञों के अनुसार, बारिश के दिन कम होते जा रहे हैं और शुष्क दिन यानी बिना बारिश के दिन ज्यादा हो रहे हैं, शीत लहरें कम हो रही हैं और इसका असर हिमालय पर भी पड़ रहा है, खासकर ग्लेशियरों के पिघलने और वनस्पति तथा पशु-पक्षियों के जीवन में बदलाव पर असर दिख रहाहै। जलवायु परिवर्तन के कारण चरम जलवायु घटनाओं के ट्रेंड में वृद्धि के कारण जून 2013 में केदारनाथ बाढ़ जैसी त्रासदी हुई, जिसमें 3000 से अधिक लोग अभी भी लापता हैं और अब तक 700 से अधिक लोगों के शव बरामद किए गए हैं।