Uttarakhand

38वें राष्ट्रीय खेलों के समापन के लिए सज रहा कुमाऊं प्रवेश द्वार हल्द्वानी , सड़कों और चौराहों पर छाई सांस्कृतिक झलक…..

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हल्द्वानी : कुमाऊं का प्रवेश द्वार हल्द्वानी इन दिनों राष्ट्रीय खेलों के समापन की तैयारियों में रंगीन हो चुका है। 38वें राष्ट्रीय खेलों का समापन हल्द्वानी के अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम में 14 फरवरी को होने जा रहा है, और इस खास मौके पर शहर के चौक-चौराहों को शानदार तरीके से सजाया जा रहा है। समापन समारोह में देश के गृहमंत्री अमित शाह भी उपस्थित रहेंगे, जिसके चलते शहर को विशेष रूप से सजाया गया है।

सड़कें हुईं चौड़ी, दीवारों पर सजे कला के अद्भुत नमूने
राष्ट्रीय खेलों के आयोजन को लेकर जिला प्रशासन ने पहले ही हल्द्वानी की सड़कों का चौड़ीकरण कार्य किया था। अब इन सड़कों के दोनों ओर दीवारों को खूबसूरत ढंग से सजाया गया है। इन दीवारों पर स्थानीय संस्कृति और कला के अद्भुत चित्र उकेरे गए हैं, जिससे शहर की सड़कों को एक नया रूप मिला है। काठगोदाम, जो कुमाऊं का प्रवेश द्वार है, अब सैलानियों के लिए भी एक आकर्षण बन चुका है। यही से पर्यटक उत्तराखंड के हिल स्टेशनों की ओर रुख करते हैं, और वे इन दीवारों पर उकेरी गई कला से देवभूमि की समृद्ध संस्कृति से परिचित होंगे।

नरीमन चौराहे पर छोलिया नृत्य और कलाकारों की मूर्तियां
हल्द्वानी के काठगोदाम स्थित नरीमन चौराहे को अब कुमाऊं की सांस्कृतिक पहचान से सजाया गया है। चौराहे के बीचों-बीच पांच कलाकारों की मूर्तियां बनाई गई हैं, जो छोलिया नृत्य और कलाकारों के ढोल-दमाऊ के साथ नृत्य करते हुए दर्शायी गई हैं। यह दृश्य कुमाऊं की पारंपरिक कला और संस्कृति का जीवंत चित्रण है। इसके अलावा, चौराहे पर एक चबूतरा भी बनाया गया है, जहां यह मूर्तियां स्थित हैं। यह चौराहा अब कुमाऊं की संस्कृति और विरासत का प्रतीक बन गया है।

नैनीताल रोड की दीवारों पर उत्तराखंड की संस्कृति
हल्द्वानी के नैनीताल रोड की दीवारों को उत्तराखंड की कला और संस्कृति से सजाया गया है। इन दीवारों पर कुमाऊं के प्रमुख दर्शनीय स्थलों की कलाकृतियां उकेरी गई हैं, जैसे गोलज्यू धाम, जागेश्वर धाम, मायावती आश्रम, कौसानी, डोल आश्रम, मोस्टामानू, मानसरोवर, ओम पर्वत, आदि। इन चित्रों को बनाने में उत्तराखंड के अलावा विभिन्न राज्यों के कलाकारों ने कई महीनों तक मेहनत की है। इन कलाकृतियों के माध्यम से कुमाऊं की प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक धरोहर को जीवन्त रूप में प्रदर्शित किया गया है।

 



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