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Uttarakhand

सुन लो! दिल्ली-देहरादून, हमें चाहिए भू-कानून, स्वाभिमान महारौली में सरकार को ललकारा

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सुन लो! दिल्ली-देहरादून, हमें चाहिए भू-कानून, स्वाभिमान महारौली में सरकार को ललकारा

उत्तराखंड में सशक्त भू-कानून और मूल निवास की मांग अब राज्य तक सीमित नहीं है। ऋषिकेश में रविवार को भू-कानून एवं मूल निवास समन्वय संघर्ष समिति ने स्वाभिमान महारैली के जरिये केंद्र सरकार को भी ललकारा। पदाधिकारियों ने मांगों के लिए प्रदेशभर में ही नहीं, बल्कि देश की राजधानी दिल्ली जाने से भी पीछे नहीं हटने का ऐलान किया।

महारैली में ‘नशा नहीं, रोजगार चाहिए’, ‘जल-जंगल-जमीन हमारी, नहीं चलेगी एक तुम्हारी’, ‘मातृभूमि कि सुणा पुकार, भै-बैण्यूं भोरा हुंकार’ समेत कई नारे गूंजते रहे। नारों की तख्तियां लेकर स्वाभिमान महौरली में शामिल लोगों ने मांगों को उठाया। 

सभी ने एक स्वर में कहा कि भू-कानून और मूल-निवास की मांग के सिवाय उन्हें कुछ भी मंजूर नहीं है। मांगों की अनदेखी पर राज्य सरकार के खिलाफ आयोजन समिति के साथ ही स्थानीय लोगों में आक्रोश दिखा। लोगों का गुस्सा केंद्र की सरकार पर भी निकला। महारैली के माध्यम से देहरादून से लेकर देश की राजधानी दिल्ली तक आवाज पहुंचाने की कोशिश की गई।

पहाड़ के गांधी इंद्रमणि बडोनी को दी श्रद्धांजलि

मूल निवास, भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति के आह्वान पर रविवार को स्वाभिमान महारैली में राजनीतिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक संगठनों, पूर्व सैनिकों, पूर्व कर्मचारियों के साथ आम नागरिक जुटे। नटराज चौक पर उत्तराखंड राज्य निर्माण के नायक स्व. इंद्रमणि बडोनी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई।

यह राज्यवासियों के अस्तित्व और पहचान का मुद्दा : डिमरी

जनसभा में समन्वयक मोहित डिमरी ने कहा कि बलिदानों के बाद मिला राज्य उत्तराखंड आज भी पहचान के संकट से जूझ रहा है। यहां के मूल निवासियों को उनका वाजिब हक नहीं मिल रहा है। अब तो हालात इतने खतरनाक हो चुके हैं कि मूल निवासी अपने ही प्रदेश में पिछड़ते जा रहे हैं। आज मूल निवासियों को न नौकरी मिल रही और न ठेके। 

हर तरह के संसाधन मूल निवासियों के हाथों से खिसकते जा रहे हैं। डिमरी ने मूल निवास की कट ऑफ डेट 1950 लागू करने के साथ ही प्रदेश में मजबूत भू-कानून को समय की मांग बताया। बोले, यह मुद्दा राज्य के लोगों की पहचान और उनके भविष्य से जुड़ा है। इस लड़ाई को जीते बिना उत्तराखंड का भविष्य सुरक्षित नहीं है। 

आरोप लगाया कि मजबूत भू-कानून नहीं होने से ऋषिकेश ही नहीं पूरे उत्तराखंड में जमीनों की खुली बंदरबांट चल रही है। लोगों के धैर्य की सराहना महारैली में शहर के मुख्य मार्ग से लेकर त्रिवेणीघाट तक जनता की आवाज गूंजी। 

स्वाभिमान महारैली में शामिल हजारों लोगों की भीड़ के धैर्य की भी शहर के लोगों ने तारीफ की। अनुशासित ढंग से बिना किसी बाधा के महारैली शांतिपूर्वक संपन्न हुई। ऋषिकेश-हरिद्वार हाईवे पर दो-दफा एंबुलेंस भी गुजरी, जिसके लिए लोगों ने तत्काल जगह बनाई और तेजी से एंबुलेंस को निकलवाया।

भविष्य की रणनीति

संयोजक मोहित डिमरी ने बताया कि प्रदेश में मूल निवास की सीमा 1950 और मजबूत भू-कानून लागू करने के आंदोलन को घर-घर ले जाया जाएगा। अब आर-पार की लड़ाई होगी। जल्द पूरे प्रदेश में स्वाभिमान यात्रा शुरू की जाएगी। चरणबद्ध तरीके से समिति विभिन्न कार्यक्रम करेगी, जिसके तहत गांव-गांव जाने से लेकर प्रदेश के विश्वविद्यालयों में जाकर युवाओं से संवाद किया जाएगा।

मूल निवासियों के अधिकार सुरक्षित रखने होंगे : लुसुन

समिति के सह संयोजक लुसुन टोडरिया ने कहा कि उत्तराखंड के मूल निवासियों के अधिकार सुरक्षित रहें, इसके लिए मूल निवास 1950 और भू-कानून जरूरी है। सचिव प्रांजल नौडियाल ने कहा, प्रदेश के युवाओं के सामने रोजगार का संकट खड़ा हो गया है। हिमांशु बिजल्वाण, सुरेंद्र नेगी, हिमांशु रावत, अरुण नेगी राकेश बिष्ट ने भी सभा को संबोधित किया।



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