Uttarakhand

सीएम धामी ने वन्य जीव सप्ताह की शुरुआत की ,जनहानि पर राहत राशि बढ़ाई

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देहरादून: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को देहरादून जू में वन्य जीव प्राणी सप्ताह का शुभारंभ करते हुए कहा कि प्रदेश में वन्य जीवों के हमले में होने वाली जनहानि पर मिलने वाली सहायता राशि को बढ़ाकर 10 लाख रुपए किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि वन्यजीव हमारी आस्था, संस्कृति और परंपरा का अभिन्न अंग हैं, और हमारे देवी-देवताओं ने भी इनके साथ सह-अस्तित्व का संदेश दिया है। मां दुर्गा का वाहन शेर, गणेश जी का वाहन मूषक, मां सरस्वती का हंस, भगवान कार्तिकेय का मोर, लक्ष्मी जी का उल्लू और महादेव के कंठ पर नागराज व नंदी, ये सभी हमारी सनातन संस्कृति में मानव और जीव-जगत के बीच एकात्म भाव के प्रतीक हैं। इसलिए आदिकाल से वन्यजीवों का संरक्षण भारत की जीवन पद्धति का स्वाभाविक हिस्सा रहा है।

उन्होंने बताया कि राज्य की लगभग 14.77 प्रतिशत भूमि, 6 राष्ट्रीय उद्यानों, 7 वन्यजीव विहारों और 4 संरक्षण आरक्षित क्षेत्रों के रूप में संरक्षित है, जबकि पूरे देश में ये अनुपात मात्र 5.27 प्रतिशत है। यह राज्य की पर्यावरणीय प्रतिबद्धता को दर्शाता है। हरियाली और स्वच्छंद विचरण करते वन्य जीव वर्ष भर देश-विदेश से लाखों पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। सरकार वनों के प्राकृतिक स्वरूप को अक्षुण्ण रखने और वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।

उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रेरणा से कहा कि राज्य सरकार इकोनॉमी, इकोलॉजी और टेक्नोलॉजी के बीच संतुलन स्थापित करते हुए विकास के साथ प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के लिए कार्य कर रही है। वन विभाग को निर्देश दिए गए हैं कि हर जिले में कम से कम एक नया पर्यटन स्थल विकसित किया जाए, जो पर्यटकों के लिए सुलभ हो लेकिन प्राकृतिक स्वरूप न बदले। प्रदेश में नए इको-टूरिज्म मॉडल पर भी काम चल रहा है ताकि लोग जंगलों से जुड़ सकें, लेकिन प्रकृति को नुकसान न पहुंचे।

उन्होंने कहा कि बाघ, गुलदार, हाथी, हिम तेंदुवा जैसे दुर्लभ वन्य प्राणियों की संख्या में वृद्धि हुई है, लेकिन मानव-वन्यजीव संघर्ष की चुनौतियाँ भी बढ़ रही हैं। सरकार आधुनिक तकनीक और वैज्ञानिक उपायों से इस संघर्ष को कम करने का प्रयास कर रही है। वन विभाग को ड्रोन और जीपीएस जैसी तकनीकें प्रदान की जा रही हैं ताकि वन्यजीवों की बेहतर निगरानी और सुरक्षा हो सके। स्थानीय लोगों के लिए नई आजीविका के अवसर भी बनाए जा रहे हैं जिससे वे जंगलों और वन्यजीवों की सुरक्षा में सहयोगी बन सकें।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने एक लाख युवाओं को “सीएम यंग ईको-प्रिन्योर” बनाने की योजना शुरू की है, जिसके तहत नेचर गाइड, ड्रोन पायलट, वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर, इकोटूरिज्म, वन्यजीव टूरिज्म से जुड़ी कौशल शिक्षा दी जा रही है। इसके अलावा हर जिले में छात्रों के लिए इको क्लब के माध्यम से वन्यजीवों से संबंधित शैक्षिक यात्राएँ भी आयोजित की जा रही हैं।

मुख्यमंत्री ने पर्यटकों से भी अपील की कि वे जंगल सफारी या धार्मिक पर्यटन स्थलों पर गंदगी न फैलाएं और पर्यावरण संरक्षण में सहयोग करें।

वन मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि वन और वन्य जीवों की रक्षा हम सभी की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि इकोनॉमी, इकोलॉजी और टेक्नोलॉजी के मेल से ही प्रदेश प्रगति कर सकता है।

इस अवसर पर कृषि मंत्री गणेश जोशी, राज्यसभा सांसद नरेश बसंल, प्रमुख सचिव आरके सुधांशु, प्रमुख मुख्य वन संरक्षक समीर सिन्हा, प्रमुख वन संरक्षक वन्यजीव रंजन कुमार मिश्रा सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।



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