Uttarakhand
साल 2022 में 1.5 लाख से अधिक लोगों ने सड़क हादसों में गंवाई जान, तेज रफ्तार बनी सबसे ज्यादा बार कारण।
देहरादून – भारत में सड़क दुर्घटनाएं एक नई ऊंचाई पर पहुंच गई हैं, जो केंद्र द्वारा वर्ष 2022 के लिए जारी किए गए आंकड़ों से पता चलता है। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, भारत में पिछले साल कुल 4,61,312 सड़क दुर्घटनाएं दर्ज की गईं। इन हादसों में 1,68,491 लोगों की जान चली गई। जबकि इन सड़क हादसों में करीब 4.45 लाख लोग घायल भी हुए थे।
जानलेवा है तेज रफ्तार
भारतीय सड़कों पर तेज रफ्तार अभी भी जान लेने वाली सबसे बड़ी कारण बनी हुई है। 2022 में हुई लगभग 75 प्रतिशत दुर्घटनाओं का कारण यही है। सड़क दुर्घटनाओं के बढ़ते मामलों के पीछे गलत साइड ड्राइविंग भी सबसे बड़े कारणों में से एक है, जिसका योगदान लगभग छह प्रतिशत है। नशे में गाड़ी चलाना और गाड़ी चलाते समय फोन का इस्तेमाल दो अन्य बड़े कारण हैं, जो भारत में चार प्रतिशत से ज्यादा सड़क दुर्घटनाओं में योगदान करते हैं।
सीट बेल्ट और हेलमेट नहीं पहनने से इतनी मौत
बुनियादी सड़क सुरक्षा मानदंडों के उल्लंघन के कारण भी पिछले साल भारत में लगभग 70,000 लोग मारे गए। वाहन में बैठने वाले सभी लोगों के लिए सीटबेल्ट अनिवार्य होने का नियम लागू करने के बावजूद, 2022 में इसे न पहनने के कारण लगभग 17,000 लोगों की जान चली गई। हेलमेट न पहनने के कारण 50,000 से ज्यादा दोपहिया वाहन चालकों की भी मौत हो गई।
किन सड़कों पर कितनी दुर्घटनाएं
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, इनमें से आधे से ज्यादा सड़क दुर्घटनाएं हाईवे और एक्सप्रेसवे पर हुई हैं। लगभग 33 प्रतिशत सड़क दुर्घटनाएं एक्सप्रेसवे सहित नेशनल हाईवे पर हुई हैं। जहां गाड़ी उच्चतम स्पीड लिमिट के साथ चलाई जा सकती हैं। स्टेट हाईवे पर भी पिछले साल एक लाख से ज्यादा दुर्घटनाएं हुईं। जो भारत में सभी दुर्घटनाओं का लगभग 23 प्रतिशत है। रिपोर्ट में कहा गया है कि लगभग 40 प्रतिशत दुर्घटनाएं अन्य सड़कों पर होती हैं।
ऐसे तैयार होता है डेटा
इस वार्षिक रिपोर्ट के लिए एशिया प्रशांत सड़क दुर्घटना डेटा (APRAD) बेस प्रोजेक्ट के तहत एशिया और पैसिफिक के लिए संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक आयोग (UNESCAP)(यूएनईएससीएपी) द्वारा प्रदान किए गए मानकीकृत प्रारूपों में कैलेंडर वर्ष के आधार पर राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के पुलिस विभाग आंकड़े भेजते हैं।