Uttarakhand
शैलजा और माहरा के बीच नहीं है ऑल वेल? केदारनाथ उपचुनाव से पहले कांग्रेस में उभरी गुटबाजी; क्या है वजह

केदारनाथ विधानसभा सीट पर उपचुनाव से ठीक पहले उत्तराखंड कांग्रेस की गुटबाजी सतह पर आ गई। पार्टी के एक खेमे का कहना है कि प्रत्याशी चयन की प्रक्रिया के तहत दो दिन पूर्व हाईकमान के स्तर से की गई दो नए पर्यवेक्षकों की नियुक्ति से पहले प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष करन माहरा से राय नहीं ली गई।
केदारनाथ विधानसभा सीट पर उपचुनाव से ठीक पहले उत्तराखंड कांग्रेस की गुटबाजी सतह पर आ गई। पार्टी के एक खेमे का कहना है कि प्रत्याशी चयन की प्रक्रिया के तहत दो दिन पूर्व हाईकमान के स्तर से की गई दो नए पर्यवेक्षकों की नियुक्ति से पहले प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष करन माहरा से राय नहीं ली गई। इससे माहरा नाराज बताए जा रहे हैं।
केदारनाथ उपचुनाव से पहले कांग्रेस हाईकमान की ओर से पर्यवेक्षकों के नाम मांगे गए थे। प्रदेश कांग्रेस कमेटी की ओर से युवा विधायक और उपनेता प्रतिपक्ष भुवन कापड़ी और वीरेंद्र जाती का नाम भेज दिया गया था। जिन्हें हाईकमान की मंजूरी के बाद विधिवत घोषणा भी कर दी गई थी। लेकिन, अचानक दो दिन बाद दो अन्य पर्यवेक्षकों के नाम सामने आ गए। इनमें पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल को बतौर मुख्य पर्यवेक्षक और विधायक लखपत बुटोला को पर्यवेक्षक के तौर पर शामिल कर लिया गया।
पूर्व में घोषित दो नामों को भी यथावत रखा गया। जिस वक्त दो नए पर्यवेक्षकों की घोषणा की गई, उस वक्त प्रदेश अध्यक्ष माहरा गुंजी (धारचूला) के दौरे पर थे। बताया जा रहा है कि इस मुद्दे पर मंगलवार देर रात माहरा ने प्रदेश प्रभारी कुमारी सैलजा और सह प्रभारी सुरेंद्र शर्मा से बात की। इस संबंध में ‘हिन्दुस्तान’ ने माहरा से फोन पर बातचीत का कई बार प्रयास किया, लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया।
पार्टी सूत्रों के अनुसार, इस मामले में भीतरखाने डैमेज कंट्रोल भी शुरू हो गया है। हाईकमान तक ये संदेश पहुंच चुका है कि ऐन चुनाव से पहले पार्टी के बड़े नेताओं के बीच इस तरह की तल्खी पार्टी को नुकसान पहुंचा सकती है। हाल में हरियाणा चुनाव में पार्टी के भीतर उपजी गुटबाजी के परिणाम सबके सामने हैं। इस गुटबाजी में वहां भी मुख्य किरदार में उत्तराखंड प्रदेश प्रभारी का ही नाम सामने आ रहा है।
प्रभारी सैलजा पूर्व में निरस्त कर चुकीं कई नियुक्तियां
माहरा और सैलजा के बीच संबंध शुरू से ही बेहतर नजर नहीं बताए जा रहे थे। इससे पूर्व माहरा की ओर से जिलों और ब्लाक स्तर पर कुछ नियुक्तियां की गईं थीं, जिन्हें प्रभारी ने बिना पीसीसी से चर्चा किए एकतरफा हटा दिया। इसे लेकर भी माहरा खफा बताए जा रहे थे।
दोनों पर्यवेक्षकों ने स्थगित किया दौरा
पर्यवेक्षक प्रकरण में ताजा मोड़ आने के बाद पार्टी के भीतर नई खिचड़ी पकनी शुरू हो गई है। बताया जा रहा है कि पार्टी के नेता इस मुद्दे पर अब दो धड़ों में बंट गए हैं। इधर, पहले बनाए गए पर्यवेक्षक भुवन कापड़ी और वीरेंद्र जाती 18-19 अक्तूबर को केदारनाथ विस क्षेत्र के दो दिवसीय दौरे पर जाने वाले थे, लेकिन अब उन्होंने अपना दौरा स्थगित कर दिया है। भुवन कापड़ी ने इसकी पुष्टि की है।