Uttarakhand

शिक्षा मंत्री डाॅ. धन सिंह रावत ने का बड़ा कदम, अब सभी निजी विद्यालयों में पढ़ाई जाएगी ‘हमारी विरासत एवं विभूतियां’ पुस्तक…

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देहरादून – राज्य के शिक्षा मंत्री डाॅ. धन सिंह रावत ने एक महत्वपूर्ण घोषणा की है। उन्होंने बताया कि राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) द्वारा तैयार की गई ‘हमारी विरासत एवं विभूतियां’ पुस्तक अब प्रदेश के सभी निजी विद्यालयों में भी पढ़ाई जाएगी। इसके साथ ही, निजी विद्यालयों में बच्चों के बस्ते का भार भी कम किया जाएगा। इसके अलावा, हर महीने एक दिन बैग फ्री डे मनाने की भी योजना बनाई गई है।

बैठक में हुई सहमति
शिक्षा मंत्री ने बताया कि इस मुद्दे पर निजी विद्यालयों के संगठनों और स्कूल संचालकों के साथ हुई बैठक में सहमति बनी है। इसके तहत, अब निजी विद्यालयों में ‘हमारी विरासत एवं विभूतियां’ पुस्तक को लागू किया जाएगा। इससे यहां पढ़ाई करने वाले देश-विदेश के बच्चों को उत्तराखंड की समृद्ध लोक विरासत, सांस्कृतिक विविधता, राज्य आंदोलन, लोकगीत, लोकनृत्य, ऐतिहासिक स्थल और राज्य की महान विभूतियों के बारे में जानकारी मिलेगी।

निजी विद्यालयों में बस्ते का वजन घटेगा
शिक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि सरकारी विद्यालयों की तरह अब निजी विद्यालयों में भी कक्षावार बस्ते का निर्धारित वजन लागू किया जाएगा। इसके अलावा, बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि सभी निजी विद्यालयों को विद्या समीक्षा केंद्र से जोड़ा जाएगा ताकि सकल नामांकन अनुपात बढ़ाया जा सके।

टीचिंग शेयरिंग प्रोग्राम और संसाधनों का बेहतर उपयोग
निजी और सरकारी विद्यालयों के बीच टीचिंग शेयरिंग प्रोग्राम चलाने और प्रयोगशाला तथा खेल मैदानों को आपस में साझा करने का भी निर्णय लिया गया। इस कदम से विद्यालयों के संसाधनों का बेहतर उपयोग किया जा सकेगा।

साक्षर उत्तराखंड और टीबी मुक्त भारत अभियान
डाॅ. रावत ने निजी विद्यालयों के प्रत्येक शिक्षक से ‘साक्षर उत्तराखंड’ अभियान में भाग लेने की अपील की। उन्होंने कहा कि हर शिक्षक को एक निरक्षर व्यक्ति को साक्षर बनाने का लक्ष्य रखना चाहिए। इसके अलावा, स्कूल संचालकों से टीबी मुक्त भारत अभियान में सामाजिक भागीदारी के तहत टीबी मरीजों को गोद लेने के लिए कहा गया। सभी निजी विद्यालय संचालकों ने इस पर सहमति जताई।

बस्ते का वजन कम करने में अब भी चुनौतियाँ
हालांकि, शिक्षा विभाग द्वारा समय-समय पर निजी विद्यालयों के छात्रों के बस्ते का वजन कम करने के निर्देश जारी किए गए थे, लेकिन कई बार के निर्देशों के बावजूद इस पर पूरी तरह से अमल नहीं हो सका है।

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