Punjab
‘लॉरेंस बिश्नोई का इंटरव्यू करवाने वाले अफसरों पर होगी कार्रवाई’, HC में बोली पंजाब सरकार
कुख्यात गैंगस्टर लारेंस बिश्नोई के जेल से प्रसारित दो इंटरव्यू के मामले में गुरुवार को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान पंजाब सरकार ने अंडरटेकिंग दी है कि 24 सितम्बर तक इंटरव्यू करवाने के जिम्मेदार पुलिस अफसरों पर कार्रवाई कर दी जाएगी। जस्टिस अनुपिंद्र सिंह ग्रेवाल और जस्टिस लपिता बनर्जी ने कहा कि उम्मीद है कि जेल में बंद गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई के इंटरव्यू में मदद करने वाले अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई केवल निचले स्तर के पुलिस अधिकारियों के खिलाफ ही नहीं, बल्कि उच्च अधिकारियों के खिलाफ भी की जाएगी, जिनके पास उस लॉकअप पर पर्यवेक्षी अधिकार क्षेत्र था, जहां बिश्नोई को कथित तौर पर उसके एक इंटरव्यू के दौरान बंद रखा गया था। इसमें तत्कालीन एसएसपी मोहाली भी शामिल हैं, जो साक्षात्कार के समय जिला पुलिस प्रमुख थे।
कोर्ट ने डीजीपी को 24 सितम्बर तक इंटरव्यू करवाने के जिम्मेदार पुलिस अफसरों पर कार्रवाई करके रिपोर्ट देने के आदेश दिए, जिस पर पंजाब के एडवोकेट जनरल ने हाईकोर्ट को कार्रवाई का भरोसा दिया है। हाईकोर्ट द्वारा गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) के खुलासे में पता चला था कि गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई का पहला इंटरव्यू तब लिया गया था, जब वह पंजाब के खरड़ में स्थित सीआईए परिसर में था और दूसरा इंटरव्यू जयपुर जेल में हुआ था। पंजाब के एडवोकेट जनरल ने कोर्ट को यकीन दिलाया कि सीआईए स्टाफ के प्रभारी अधिकारियों के साथ-साथ पर्यवेक्षी अधिकारियों के खिलाफ भी कानून के अनुसार अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की जाएगी। मामले में अब अगली सुनवाई 24 सितम्बर को होगी।
जेल से रंगदारी के लिए व्यापारियों को धमका रहा लारेंस, रोक जरूरी
कोर्ट ने कहा कि जेल में बैठे लारेंस बिश्नोई की ओर से लगातार व्यापारियों से रंगदारी वसूलने व उन्हें धमकियां देने के मामले सामने आ रहे हैं, जो जेल प्रशासन की कारगुजारी और सुरक्षा में चूक का बड़ा उदाहरण है, जिसे रोकने की जरूरत है। जस्टिस अनुपिंद्र सिंह ने कहा कि जेलों में मोबाइल पहुंचना जेल स्टाफ की मिलीभगत के बिना संभव नहीं है इसलिए जेलों में बॉडी स्कैनर व जैमर लगाना अति आवश्यक है और यह सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश भी हैं जिस पर अमल करना ही होगा।
कागजात मिलते ही की जाएगी जयपुर इंटरव्यू की जांच: एजी राजस्थान
हाईकोर्ट के निर्देश के बाद वीरवार को सुनवाई के समय राजस्थान के एडवोकेट जनरल वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से पेश हुए और कहा कि जैसे ही उन्हें आवश्यक कागजात प्राप्त होंगे, मामले में उचित कार्रवाई की जाएगी। इसके बाद कोर्ट ने जयपुर सेंट्रल जेल में आयोजित साक्षात्कार से संबंधित एफआईआर को आवश्यक कागजात के साथ राजस्थान स्थानांतरित करने का निर्देश दिया।
निर्धारित समय सीमा के भीतर जेलों में लगाएं सुरक्षा उपकरण
बेंच ने जेल के कैदियों के लिए कॉलिंग सुविधा बढ़ाने के लिए राज्य को जारी किए गए अपने निर्देश के बारे में भी पूछा क्योंकि कई बार कैदियों में अपने प्रियजनों से बात करने की हताशा होती है और वे इस कारण से अवैध रूप से मोबाइल फोन की तस्करी करने का प्रयास भी कर सकते हैं। कोर्ट के प्रश्न के उत्तर में एडीजीपी जेल ने बताया कि जेलों में सुरक्षा से संबंधित कार्यों के आदेश दिया जा चुका है और पूरी प्रक्रिया का परीक्षण किया जाएगा और दिसम्बर, 2024 तक पूरी तरह से चालू हो जाएगा। उन्होंने यह भी प्रस्तुत किया कि भारत सरकार से मंजूरी की आवश्यकता होगी, जिसमें कुछ समय लगेगा। कोर्ट ने कहा कि अदालत ने स्पष्ट किया कि सरकार द्वारा निर्धारित समयसीमा के भीतर कोर्ट के आदेशों पर अमल होना चाहिए और जेलों में सभी सुरक्षा उपकरण लग जाने चाहिए जिसके बाद और समय न देकर कोर्ट बनती कार्रवाई करेगी।
रिपोर्ट: मोनी देवी