Uttarakhand

लिव इन रिलेशनशिप से लेकर शादी की उम्र-रजिस्ट्रेशन, धामी सरकार के UCC में यह सख्त प्रावधान

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समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को प्रभावी तरीके से लागू करने के लिए अधिकारी-कार्मिकों के लिए विशेष प्रशिक्षण अभियान चलाया जाएगा। यूसीसी में शादी की उम्र, लिव इन रिलेशनशिप से लेकर पंजीकरण को लेकर प्रावधान बनाया गया है।

यूसीसी के प्रावधानों पुलिस, प्रशासन, समाज कल्याण, महिला सशक्तिकरण, राजस्व आदि विभागों के अधिकारी और कार्मिकों को एक से दो हफ्ते तक यूसीसी की बारीकियों से रूबरू कराया जाएगा।

साथ ही उन्हें यूसीसी के प्रावधानों के तहत किसी प्रकार कार्यवाही और कार्रवाई करनी है, इसमें भी पारंगत किया जाएगा। चूंकि उत्तराखंड आजादी के बाद यूसीसी लागू करने वाला देश का पहला राज्य बनने जा रहा है। सरकार किसी भी पहलू को कमजोर नहीं छोड़ना चाहती। कोशिश कर रही है कि यूसीसी के तहत कार्यवाही ऐसी हो, जिस पर सवाल न उठ सकें।

क्रियान्वयन संस्थाओं का होगा गठन

यूसीसी के प्रावधानों को लागू करने और आपत्तियों के समाधान के लिए हर स्तर पर क्रियान्वयन मंच का गठन भी किया जाएगा। यूसीसी एक व्यापक विषय है। इसके लिए हर स्तर पर मजबूत तंत्र विकसित करेंगे।

शादी की उम्र

सभी धर्मों की लड़कियों के लिए विवाह की न्यूनतम उम्र 18 और लड़कों के लिए 21 निर्धारित की गई है। अभी कुछ धर्मों में इससे कम उम्र में लड़कियों की शादी हो जाती है।

विवाह पंजीकरण

शादी के छह माह के भीतर अनिवार्य तौर पर सब रजिस्ट्रार के पास विवाह पंजीकरण कराना होगा। पंजीकरण नहीं कराने पर जुर्माने का प्रावधान भी किया गया।

तलाक

समान नागरिक संहिता में पति-पत्नी के लिए तलाक के कारण और आधार एक समान कर दिए गए हैं। अभी पति जिस आधार पर तलाक ले सकता है, उसी आधार पर अब पत्नी भी तलाक की मांग कर सकेगी।

बहु विवाह

पति या पत्नी के रहते दूसरी शादी यानि बहु विवाह पर सख्ती से रोक रहेगी। विशेषज्ञों के मुताबिक अभी मुस्लिम पर्सनल लॉ में बहुविवाह करने की छूट है लेकिन अन्य धर्मो में एक पति-एक पत्नी का नियम बहुत कड़ाई से लागू है।

उत्तराधिकार

उत्तराधिकार में लड़के और लड़कों को बराबर अधिकार प्रदान किया गया है। संहिता में सम्पत्ति को सम्पदा के रूप में परिभाषित करते हुए इसमें सभी तरह की चल- अचल, पैतृक सम्पत्ति को शामिल किया गया है।

लिव इन रिलेशनशिप

समान नागरिक संहित (यूसीसी) में लिव इन में रहने के लिए रजिस्ट्रेशन करवाना होगा, विवाहित पुरुष या महिला लिव इन में नहीं रह पाएंगे। इसके लिए जोड़ों को लिव इन में रहने की स्वघोषणा करनी पड़ेगी। लिव इन से पैदा होने वाले बच्चे को एक जायज संतान के सम्पूर्ण अधिकार मिलेंगे।

अधिकार क्षेत्र

राज्य का स्थायी निवासी, राज्य या केंद्र सरकार के स्थायी कर्मचारी, राज्य में लागू सरकारी योजना के लाभार्थी पर लागू होगा। राज्य में न्यूनतम एक साल तक रहने वाले लोगों पर भी यह कानून लागू होगा।



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