Uttarakhand
रुद्रप्रयाग में नई तकनीकी पहल, आपदा प्रबंधन और केदारनाथ यात्रा के लिए वायरलेस नेटवर्क स्थापित…
रुद्रप्रयाग : उत्तराखंड के जनपद रुद्रप्रयाग ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए देश का पहला जनपद बनकर अपना वायरलेस सिस्टम विकसित किया है। जिलाधिकारी डॉ. सौरभ गहरवान के नेतृत्व में जनपद ने अपने 250 किमी क्षेत्र को वायरलेस सुविधा से जोड़ने में सफलता प्राप्त की है। इस नेटवर्क के माध्यम से जिले के दूरस्थ और विषम इलाकों में भी आपातकालीन संपर्क में मदद मिलेगी, साथ ही 36 स्कूलों में ऑनलाइन कक्षाएं भी संचालित हो सकेंगी।
रुद्रप्रयाग का यह इंट्रानेट, जिसे ‘डिस्ट्रिक्ट डिजास्टर रिसोर्स नेटवर्क’ का नाम दिया गया है, जिले के विभिन्न क्षेत्रों को जोड़ते हुए किसी भी अप्रिय घटना की सूचना तत्काल मिलने में मदद करेगा। यह नेटवर्क केदारनाथ यात्रा के दौरान भी महत्वपूर्ण साबित होगा, जहां इसका पूरा लाभ मिलेगा।
प्रशासन ने इस नेटवर्क को स्थापित करने के लिए जिला प्लान, खनन न्यास निधि और अन्य मदों से फंडिंग की है। आपदा कंट्रोल रूम में मोबाइल नेटवर्क का कंट्रोल रूम स्थापित किया गया है, साथ ही जिले के विभिन्न क्षेत्रों में टॉवर भी लगाए गए हैं। खास बात यह है कि इस वायरलेस सिस्टम को केदारनाथ, सोनप्रयाग और सीतापुर के साथ ही केदारघाटी के 10 हेलिपैड से भी जोड़ा गया है।
जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी नंदन सिंह रजवार ने बताया कि यह इंट्रानेट केवल आपदा प्रबंधन के लिए ही नहीं, बल्कि केदारनाथ यात्रा की तैयारियों, व्यवस्थाओं और यात्रियों की मॉनीटरिंग के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण साबित होगा। इस सिस्टम के जरिए यात्रा की व्यवस्थाओं को बेहतर तरीके से मॉनिटर किया जाएगा, साथ ही घोड़ा-खच्चरों का पंजीकरण, हाईवे और संपर्क मार्गों की चौबीस घंटे निगरानी की जाएगी।
इस इंट्रानेट के जरिए 36 दूरस्थ स्कूलों को जोड़ा गया है, जिससे शिक्षा का स्तर और बेहतर होगा। इसके अलावा, केदारनाथ यात्रा के दौरान हेलीकॉप्टर सेवाओं को भी इस नेटवर्क से जोड़ा जाएगा, जिससे हेलीकॉप्टर कंपनियों को मौसम की जानकारी निरंतर मिलती रहेगी।
डॉ. सौरभ गहरवान ने इस सिस्टम को एक सॉफ्टवेयर के रूप में स्थापित किया है, जिसका मुख्य उद्देश्य सूचना के आदान-प्रदान और नेटवर्क की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। उनका कहना है कि इस नेटवर्क से जनपद रुद्रप्रयाग का 250 किमी का क्षेत्र किसी भी अप्रत्याशित स्थिति में पूरी तरह से कवर रहेगा, और इसमें फ्रीक्वेंसी-हॉपिंग स्प्रेड स्पेक्ट्रम के कारण किसी भी प्रकार की तकनीकी परेशानी का सामना नहीं होगा।
यह विकास रुद्रप्रयाग के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा, जो आपदा प्रबंधन के साथ-साथ शिक्षा, यात्रा व्यवस्थाओं और प्रशासनिक कार्यों में भी मददगार साबित होगा।