Uttarakhand

मिनी औद्योगिक आस्थानों में 5% प्लॉट-शेड आरक्षित

Published

on


उत्तराखंड सरकार ने एमएसएमई सर्विस सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए मिनी औद्योगिक आस्थानों में पांच प्रतिशत प्लाट आरक्षित किए हैं। इस फैसले से स्थानीय उद्यमियों को प्रोत्साहन मिलेगा और राज्य में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। पहाड़ी क्षेत्रों में उद्योग विकास की संभावनाओं को देखते हुए यह कदम पलायन रोकने में भी मददगार साबित होगा। इससे राज्य की औद्योगिक संरचना मजबूत होगी।

देहरादून: सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग (एमएसएमई) क्षेत्र के सर्विस सेक्टर को नई गति देने के लिए उत्तराखंड सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। बुधवार को हुई कैबिनेट बैठक में निर्णय हुआ कि राज्य के मिनी औद्योगिक आस्थानों में सर्विस सेक्टर के लिए पांच प्रतिशत प्लॉट और शेड आरक्षित किए जाएंगे। यह कदम विशेष रूप से सूक्ष्म और छोटे उद्यमियों को औद्योगिक गतिविधियों में सक्रिय भागीदारी का अवसर देगा।

राज्य में फिलहाल 89,877 से अधिक एमएसएमई इकाइयां संचालित हैं, जिनमें 17,189.37 करोड़ रुपये का निवेश हुआ है और 4,45,492 लोगों को रोजगार मिला है। विभिन्न क्षेत्रों में फैले इन उद्योगों का मानना है कि इस फैसले से न केवल स्थानीय उद्यमियों को प्रोत्साहन मिलेगा, बल्कि बाहरी निवेशकों के लिए भी उत्तराखंड एक आकर्षक निवेश गंतव्य बनेगा। इससे औद्योगिक उत्पादन में तेजी आएगी और रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।

भौगोलिक दृष्टि से उत्तराखंड में फार्मास्युटिकल, टिंबर, कागज और फूड प्रोसेसिंग जैसे क्षेत्रों में अपार संभावनाएं हैं। खासतौर पर पहाड़ी जनपद—चमोली, रुद्रप्रयाग, पौड़ी, टिहरी, उत्तरकाशी, पिथौरागढ़, चंपावत, अल्मोड़ा और बागेश्वर—में स्थानीय संसाधनों के आधार पर उद्योग विकसित कर वहां की अर्थव्यवस्था को मजबूती दी जा सकती है। इससे युवाओं को अपने ही जिले में रोजगार के अवसर मिलेंगे और पलायन पर रोक लगेगी।

राज्य के नौ जनपद पूरी तरह से पहाड़ी हैं, जहां उद्योग लगाने की इच्छा तो है, लेकिन भूमि की कमी बड़ी बाधा रही है। ऐसे में मिनी औद्योगिक आस्थानों में 5% प्लॉट और शेड आरक्षित करने का निर्णय छोटे उद्यमियों के लिए सुनहरा अवसर साबित होगा। सीमित भूमि उपलब्धता के बावजूद इच्छुक उद्यमी इस योजना का लाभ उठाकर अपना कारोबार शुरू कर सकेंगे।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम औद्योगिक संतुलन कायम करने में मदद करेगा और राज्य के दुर्गम व पिछड़े इलाकों में भी विकास की अवधारणा को साकार करेगा। इससे न केवल राजधानी और मैदानी क्षेत्रों में, बल्कि पहाड़ी जनपदों में भी औद्योगिक माहौल बनेगा।

राज्य की अर्थव्यवस्था में पहले से ही एमएसएमई क्षेत्र का योगदान महत्वपूर्ण है। ये उद्योग उत्पादन के साथ-साथ सेवा क्षेत्र में भी अहम भूमिका निभा रहे हैं। नए फैसले से सर्विस सेक्टर में प्रतिस्पर्धा और नवाचार को बढ़ावा मिलेगा, जिससे उत्तराखंड की औद्योगिक संरचना और मजबूत होगी।

यह भी पढ़े 



Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Exit mobile version