Uttarakhand
मजाडा गांव मेंआधी रात फटा बादल, घर हिलने लगे, बाहर मची अफरातफरी — 15 मिनट की देरी मौत बन जाती l
देहरादून आपदा: रात एक और चार बजे फटे बादल, नींद में डूबे मजाडा गांव में मचा हड़कंप, टॉर्च और सीटियों से बचाई गईं जानें, 15 मिनट की देरी मौत बन जाती lदेहरादून आपदा: सहस्रधारा से पांच किलोमीटर ऊपर स्थित मजाडा गांव में बीती रात कुदरत का कहर टूटा। आधी रात करीब एक बजे और फिर तड़के चार बजे बादल फटने से घर हिलने लगे। लोग गहरी नींद में थे कि बाहर अचानक चीख-पुकार मच गई। गांव वालों ने सीटियां बजाकर और टॉर्च की रोशनी से एक-दूसरे को सुरक्षित स्थान पर इकट्ठा होने का आह्वान किया।
जमाडा गांव के दीपू और जामा ने आपबीती सुनाते हुए बताया कि वह अपने परिवार के साथ अब सुरक्षित स्थान की तलाश में हैं। उनके चेहरे पर तबाही का डर साफ नजर आ रहा था। कई किलोमीटर पैदल चलने की थकान और आंखों में आंसू लिए दोनों बोले—”सब बरबाद हो गया।”
दीपू ने बताया कि जब पहली बार एक बजे बादल फटा, तब बाहर अफरातफरी मची थी। थोड़ी देर के लिए सब शांत हो गया, तो लगा शायद तबाही टल गई। लेकिन तड़के करीब चार बजे जब दोबारा धरती कांपी और घर हिलने लगे, तो सभी समझ गए कि अब कुछ नहीं बचेगा।
गांववालों ने तुरंत सतर्कता दिखाई और सीटियों के जरिये लोगों को जागाया। टॉर्च जलाकर सभी को एक जगह इकट्ठा किया गया और सुरक्षित स्थान की ओर रवाना हो गए।
15 मिनट की देरी बन सकती थी काल
जामा ने बताया कि वे सुबह करीब साढ़े चार बजे अपने परिवार के साथ घर से निकले थे। कुल पांच सदस्य थे, जिनमें दो छोटे बच्चे शामिल थे। उन्होंने कहा कि यदि 15 मिनट और रुक जाते, तो उनका घर जो बाद में पानी में बह गया—उसके मलबे में सभी दब जाते।
मलबे में दबे पड़ोसियों की आशंका से दहशत
मजाडा गांव से आए लोगों ने बताया कि उनके कई पड़ोसी लापता हैं और आशंका है कि वे मलबे में दबे हो सकते हैं। दशकों से साथ रहने वाले लोग अब एक-दूसरे का हाल जानने को भी तरस रहे हैं। आपदा इतनी तेज थी कि जिसने जहां रास्ता मिला, वहीं भाग निकला।
लोगों ने बताया कि उन्होंने मेहनत से घर बनाए थे, लेकिन एक ही रात में सब कुछ उजड़ गया।