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भारत में डायबिटीज़ के मामलों में वृद्धि: हमारी आहार आदतों का क्या है योगदान?

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देहरादून – भारत, जो एक तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था वाला देश है, में डायबिटीज़ जैसी जीवनभर की बीमारियों का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है। हालांकि, देश ने स्वास्थ्य क्षेत्र में कई सुधार किए हैं, लेकिन जीवनशैली से जुड़ी बीमारियां, विशेषकर डायबिटीज़, अब एक महामारी बन चुकी हैं। इसका कोई ठोस इलाज अभी तक सामने नहीं आया है।

बहुत से लोग यह मानते हैं कि मिठाई जैसे जलेबी, केक, आइस-क्रीम आदि खाना बंद करने से डायबिटीज़ ठीक हो जाएगी, लेकिन यह गलत है। असल में, डायबिटीज़ का मुख्य कारण शरीर में इंसुलिन की कमी या इंसुलिन का सही तरीके से काम न करना है, जो कार्बोहाइड्रेट्स को पचाने में मदद करता है। इसका मतलब यह है कि डायबिटीज़ को नियंत्रित करने के लिए केवल मिठाई खाना छोड़ना पर्याप्त नहीं है, बल्कि सभी प्रकार के कार्बोहाइड्रेट्स से बचना आवश्यक है।

हमारे आहार में कार्बोहाइड्रेट्स सिर्फ मीठे खाद्य पदार्थों में ही नहीं होते, बल्कि नमकीन चीजें जैसे रोटी, चावल, उपमा, थेपला, खाखरा में भी होते हैं। अधिक कार्बोहाइड्रेट्स के सेवन से शरीर में शर्करा (ग्लूकोज) का स्तर बढ़ सकता है, जो डायबिटीज़ का कारण बन सकता है। इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि हम अपने आहार में संतुलन बनाए रखें और सिर्फ मिठाई से ही नहीं, बल्कि अन्य कार्बोहाइड्रेट्स को भी नियंत्रित करें।

भारत में प्रोटीन का सेवन अन्य देशों के मुकाबले काफी कम है। FAO की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में प्रति व्यक्ति औसतन 70.52 ग्राम प्रोटीन का सेवन होता है, जबकि चीन में यह 124.61 ग्राम है। इससे यह साफ है कि भारत में प्रोटीन का सेवन बहुत कम है, जबकि कार्बोहाइड्रेट्स का सेवन काफी अधिक है।

हाल ही में EAT-Lancet की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ कि भारत में लोग कार्बोहाइड्रेट्स का अत्यधिक सेवन करते हैं, जिससे डायबिटीज़ जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ता है। ग्रामीण भारत में लोग औसतन 432 ग्राम और शहरी भारत में 347 ग्राम कार्बोहाइड्रेट्स का सेवन करते हैं, जो उनकी शारीरिक आवश्यकता से कहीं अधिक है।

इसके अलावा, भारत में डायबिटीज़ के मामलों में भी लगातार वृद्धि हो रही है। 2022 में भारत में लगभग 77 मिलियन लोग डायबिटीज़ से प्रभावित थे, और यह संख्या लगातार बढ़ रही है। भारतीय शहरों में टाइप-2 डायबिटीज़ के मामलों में सबसे ज्यादा वृद्धि देखी जा रही है।

भारत को अपनी आहार आदतों में बदलाव करने की आवश्यकता है, ताकि इस गंभीर स्वास्थ्य संकट से निपटा जा सके और डायबिटीज़ की रोकथाम की जा सके।

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