Uttarakhand
भारत-चीन बॉर्डर पर पांच सेकेंड में भरभराकर गिरा पहाड़, उत्तराखंड के चमोली में भूस्खलन से फिर टेंशन; VIDEO
भारत-चीन बॉर्डर पर एक बार फिर भूस्खलन हुआ है। उत्तराखंड के चमोली जिले में सिर्फ पांच सेकेंउ के अंदर पहाड़ का हिस्सा भरभराकर हाईवे पर आकर गिर गया। सोमवार दोपहर को पहाड़ी टूटने से बंद नीति-मलारी हाईवे पर यातायात पूरी तरह से ठप हो गया है। भूस्खलन के बाद से बॉर्डर एरिया पर चौकियों समेत एक दर्जन से अधिक गांवों के लिए यातायात ठप हो गया है।
हाईवे के बंद होने से ग्रामीणों को काफी परेशानी हो रही है। हालांकि, भूस्खलन के बाद बीआरओ और प्रशासन की टीमों द्वारा हाईवे से मलबा हटाने का काम किया जा रहा है, लेकिन देर शाम तक हाईवे पर यातायात सुचारू नहीं हो सका है।
चमोली जिले में नीती-मलारी हाईवे पर रैणी के पास पहाड़ी का एक बड़ा हिस्सा टूट गया। गनीमत रही कि जब पहाड़ी का एक बड़ा हिस्सा टूटकर हाईवे पर गिर रहा था तक कोई गाड़ी या कोई यात्री नहीं गुजर रहा था। दूसरी ओर, रैंणी के पास पहाड़ी टूटने से दूरसंचार का एक टावर भी क्षतिग्रस्त हुआ है।
आपको बता दें कि दूरसंचार के लिए नीति घाटी में यह एकमात्र टावर है।पहाड़ी के टूटने की वजह से सैन्य छावनियां मलारी, गमशाली, नीती, लफथल, रिमखिम, टोपीढुंगा, ग्यालडुंग में सरहद में तैनात जवानों तक रसद और अन्य सामाग्रियों को पहुंचाने के लिए रूट पूरी तरह से बंद हो गया है।
इन सरहदी गांवों की आवाजाही हुई बंद
रैणी के निकट पहाडी टूटने से बार्डर हाईवे बंद होने से लाता, सूकी, भलागांव, तोलमा, सुराईठोटा, फागती, लौंग, जुम्मा, कागा, गरपक, द्रोणागिरी, जेलम, भापकुंड, कोषा, मलारी, गुरूकुटी, मेहरगांव, रोलीबगड, फरक्या, बाम्पा, गमशाली व नीती गांव का संपर्क टूट गया है और इससे लगभग साढे तीन हजार से अधिक की आबादी का संपर्क फिलहाल जिला मुख्यालय से कट गई है।
लगातार टूट रही है नीति मलारी बॉर्डर हाईवे की पहाड़ियां
नीती बार्डर हाईवे की पहाड़ियां इस बार बरसात की दस्तक के बाद लगातार दरक रहीं हैं। इसी महीने की पांच सितंबर को भी लाता के निकट पहाड़ी टूटने से बार्डर हाईवे तीसरे दिन खुल पाया था। इसके अतिरिक्त गुरूकुटी, सलधार में भी कई बार सड़क बंद हो चुकी हैं।
स्थानीय निवासी लक्ष्मण बुटोला कहते हैं कि बीआरओ के द्वारा नीति बॉर्डर तक सड़क चौडीकरण का कार्य किया जा रहा है जिस कारण से भी पहाड़ियां हिल रही हैं व बरसात और बर्फों के दौरान टूट रही हैं कहते हैं। भूस्खलन की लगातार हो रही घटनाओं से ग्रामीण भी चिंतित हैं।