Uttarakhand
निर्माण में प्रदूषण पर रहेगा अब सख्त ‘पहरा’, कड़ा जुर्माना लगाने का भी बना प्रावधान
निर्माण स्थलों पर प्रदूषण की रोकथाम नहीं करना अब भारी पड़ सकता है। इसके लिए मालिक या कंस्ट्रक्शन कंपनी पर कार्रवाई की जा सकती है। प्रदूषण की रोकथाम के लिए प्रदेश भर में निर्माण स्थलों पर एंटी स्मोक गन और स्क्रीनिंग गार्ड लगाना भी अनिवार्य किया जाएगा।
इसके लिए उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीसीबी) विस्तृत कार्ययोजना तैयार कर रहा है। इसके दायरे में सभी कॉमर्शियल, रेजिडेंशियल और निजी निर्माण आएंगे। निकायों को प्रदूषण फैलाने वालों की निगरानी करनी होगी।
देहरादून सहित राज्य के प्रमुख शहरों में प्रदूषण का मुख्य कारण नए और पुराने निर्माण का ध्वस्तीकरण भी है। इनसे उठने वाली धूल, मिट्टी, वायु को काफी प्रदूषित कर रही है। इसके अलावा इनमें लगे वाहन निर्माण सामग्री खाली करने के बाद शहर में दौड़ते हैं तो उनसे काफी मात्रा में बची हुई धूल, मिट्टी वायु में फैल जाती है।
इसी तरह ध्वस्तीकरण करने के बाद मलबा लेकर जाने वाले वाहन भी प्रदूषण फैलाते हैं। इसी को रोकने के लिए निर्माण स्थालों पर एंटी स्मोक गन और स्क्रीनिंग गार्ड लगाने अनिवार्य किए जाने की योजना है।
दून विवि के पर्यावरण विभाग के प्रो. विजय श्रीधर के अनुसार, एनजीटी ने निर्माण व ध्वस्तीकरा स्थलों पर एंटी स्मोक गन और स्क्रीनिंग गार्ड अनिवार्य करने के निर्देश दिए हैं, जो यहां सख्ती से लागू होने चाहिए। क्योंकि राज्य में निर्माण और ध्वस्तीकरण प्रदूषण के बड़े कारण हैं।
अब सरकार इस पर सख्ती करने जा रही है। इसके तहत प्रदूषण रोकने के उपाय करना अनिवार्य होगा और नहीं करने पर जुर्माने से लेकर सीलिंग तक की कार्रवाई हो सकती है।
सभी स्थल होंगे दायरे में
सूत्रों ने बताया कि इस कार्रवाई की जद में कमर्शियल, रेजिडेंशियल और निजी निर्माण सभी आएंगे। इसके अलावा सभी तरह के सरकारी निर्माण या ध्वस्तीकरण भी इसके तहत आएंगे। इनमें भी प्रदूषण रोकथाम के उपाय करने अनिवार्य होंगे।
निर्माण और ध्वस्तीकरण स्थलों पर प्रदूषण रोकने के उपाय करना अनिवार्य है। प्रदूषण फैलाने वालों पर कार्रवाई की जाएगी। इसके लिए विस्तृत कार्ययोजना तैयार की जा रही है। इसमें निकायों के स्तर से मानिटरिंग की बात चल रही है। ऐसा नहीं करने वालों पर जुर्माने से लेकर सीलिंग तक की कार्रवाई हो सकती है।