Uttarakhand
नहीं टूटेंगी मलिन बस्तियां, तीसरी बार अध्यादेश लाएगी धामी सरकार; HC ने दिए थे हटाने का आदेश
उत्तराखंड में अतिक्रमण के घेरे में आई बस्तियों का संकट तीन साल के लिए फिर टल गया है। सरकार ने इन्हें बचाने के लिए तीसरी बार अध्यादेश लाने का फैसला ले लिया है। बुधवार को मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में इससे संबंधित अध्यादेश को मंजूरी दी गई।
उत्तराखंड में अतिक्रमण के घेरे में आई बस्तियों का संकट तीन साल के लिए फिर टल गया है। सरकार ने इन्हें बचाने के लिए तीसरी बार अध्यादेश लाने का फैसला ले लिया है। बुधवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में इससे संबंधित अध्यादेश को मंजूरी दी गई। सचिवालय स्थित विश्वकर्मा भवन में हुई कैबिनेट बैठक में 30 फैसलों पर मुहर लगी।
फैसलों की जानकारी देते हुए सचिव शैलेश बगौली ने बताया कि बस्तियों से संबंधित अध्यादेश को मंजूरी के लिए अब राज्यपाल के पास भेजा जाएगा। बता दें कि इससे पहले सरकार वर्ष 2018 और 2021 में अध्यादेश लेकर आई थी, जिसकी अवधि बुधवार को समाप्त हो गई थी। सरकार ने अध्यादेश लाकर इस अवधि को तीन साल आगे बढ़ाते हुए कुल नौ वर्ष कर दिया है।
हाईकोर्ट ने दिया था बस्तियों को हटाने का आदेश
वर्ष 2016 में हाईकोर्ट ने प्रदेश में अवैध रूप से बसी बस्तियों को अतिक्रमण मानते हुए हटाने के निर्देश दिए थे। तब से लेकर आज तक बस्तियों का नियमितीकरण तो नहीं हो पाया, लेकिन सरकार बस्तियों के नियमितीकरण के नाम पर बीते छह सालों से अध्यादेश लाकर बस्तियों को टूटने से बचाती रही है। एक सर्वे में उत्तराखंड में ऐसी बस्तियों की संख्या 582 पाई गई थी।
प्रदेश में बस्तियां
देहरादून 162
ऊधमसिंह नगर 121
हरिद्वार 122
उत्तरकाशी 20
पिथौरागढ़ 21
बागेश्वर 07
अल्मोड़ा 09
(वर्ष 2011 में हुए सर्वे के अनुसार)
तेरह साल बाद होगा बस्तियों का सर्वे
उत्तराखंड में बस्तियों की सही स्थिति और अन्य मूलभूत सुविधाओं की जानकारी जुटाने के लिए सरकार एक बार फिर बस्तियों का सर्वे कराने जा रही है। इससे पहले राज्य में 2011 में मलिन बस्तियों का सर्वे हुआ था। अब शहरी विकास विभाग दोबारा सर्वे शुरू करने जा रहा है, ताकि बस्तियों के नियमितीकरण का भी रास्ता साफ हो सके। हालांकि, वर्ष 2015 में कांग्रेस सरकार ने बस्तियों के नियमितीकरण के लिए राजकुमार कमेटी का भी गठन किया था।