मॉक ड्रिल के बाद आया निर्णय:
8 मई को भारत-पाक तनाव के दौरान एक मॉकड्रिल आयोजित की गई थी जिसमें आराघर, धारा चौकी, आईएसबीटी, एमडीडीए कॉलोनी और इनएवीएच जैसे स्थानों पर सायरनों का परीक्षण किया गया। परीक्षण के दौरान पाया गया कि सायरनों की आवाज बहुत कम थी और दूरदराज के क्षेत्रों तक नहीं पहुंच पा रही थी। इस पर जिलाधिकारी सविन बंसल ने समीक्षा बैठक कर तेज आवाज वाले आधुनिक सायरन लगाने का निर्णय लिया।
सायरनों की विशेषताएं:
इनमें से 10 सायरनों की ध्वनि सीमा 8 किलोमीटर होगी, जबकि 5 सायरनों की आवाज 16 किलोमीटर तक सुनी जा सकेगी। ये सायरन न केवल सैन्य आपात स्थितियों के लिए उपयोगी होंगे, बल्कि भूकंप, बाढ़ या अन्य प्राकृतिक आपदाओं की चेतावनी देने में भी सहायक होंगे। जिलाधिकारी सविन बंसल ने जानकारी दी कि 25 लाख रुपये की धनराशि “अनटाइड फंड” से उपलब्ध कराई गई है। सायरनों की खरीद के लिए क्रय आदेश जारी कर दिए गए हैं और शीघ्र ही सभी 15 इलेक्ट्रॉनिक सायरन खरीदकर स्थापित किए जाएंगे।