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Uttarakhand

देहरादून की मलिन बस्तियों पर फंसेगा फ्लड जोन का पेंच, आखिर किस बात की है चिंता?

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देहरादून की मलिन बस्तियों पर फंसेगा फ्लड जोन का पेंच, आखिर किस बात की है चिंता?

पुष्कर सिंह धामी सरकार बेशक एक बार फिर मलिन बस्तियों पर अध्यादेश लेकर आ जाए, लेकिन देहरादून की बस्तियों पर फ्लड जोन का पेंच फंसना तय है। इस दायरे में आ रहे मकान चिन्हित होने के बाद एक बार फिर मुद्दा गर्मा सकता है।

देहरादून की बात करें तो यहां सूचीबद्ध 129 बस्तियों में पुराने सर्वे के मुताबिक करीब 40 हजार मकान हैं। नगर निगम के जीआईएस सर्वे के मुताबिक, बीते कुछ वर्षों में बड़ी संख्या में नए मकान बन चुके हैं।

बस्ती क्षेत्र में दो से तीन लाख के आसपास मतदाता का अनुमान है। नगर निकाय चुनाव में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। इसलिए बस्तियों में कार्रवाई पर रोक के लिए अब सरकार तीसरी बार अध्यादेश लाने की तैयारी कर रही है।

इस बीच, रिस्पना नदी का फ्लड जोन भी तय हो चुका है, जिसमें रिस्पना के उद्गम शिखर फॉल से मोथरोवाला संगम स्थल तक नदी के दोनों तरफ के क्षेत्र को शामिल किया गया है। इसका निर्धारण 25 साल और 100 साल के बाढ़ अनुमान के आधार पर तय किया गया है।

इसके लिए जिला प्रशासन ने लोगों से 60 दिन के भीतर आपत्ति मांगी है। फिलहाल आपत्तियां दर्ज नहीं हुई हैं। लेकिन, यदि इस पर अमल होता है तो बस्तियों में कार्रवाई का मुद्दा दोबारा गर्माएगा।

निकाय चुनाव से पहले महत्वपूर्ण होगा फैसला

नगर निगम के विभिन्न वार्डों में इन दिनों बस्तियों के नियमितीकरण और वार्ड आरक्षण का मुद्दा चर्चा का विषय है। कई वार्ड ऐसे हैं, जहां पति और पत्नी दोनों नेता सक्रिय होकर काम कर रहे हैं, ताकि सीट महिला या पुरुष के लिए आरक्षित होने की स्थिति में दोनों में से कोई एक चुनाव मैदान में उतर सके। निकाय चुनाव से ठीक पहले अध्यादेश आएगा तो उसका भी चुनाव पर असर पड़ेगा।



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