Connect with us

Delhi

देश के कई इलाकों में हवा बनी जहर, अक्टूबर-नवंबर में क्यों खराब हो जाती है हवा की गुणवत्ता, जानिए…

Published

on

नई दिल्ली – इन दिनों देश के कई इलाकों में हवा जहर बनी हुई है। गुरुवार को राष्ट्रीय दिल्ली में हवा की गुणवत्ता बेहद खराब श्रेणी की दर्ज की गई। दिल्ली के अलावा नोएडा और ग्रेटर नोएडा में हवा दमघोंटू रही। नोएडा में समग्र वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 695 तक पहुंच गया। उधर, देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में भी हवा खराब रही और एक्यूआई 200 से ऊपर दर्ज किया गया। शुक्रवार को हालात में सुधार होता नहीं दिखा।

ऐसे में सवाल उठता है कि दिल्ली में क्या हालात हैं? मुंबई में हवा की स्थिति क्या है? आखिर अक्तूबर-नवंबर में हवा की गुणवत्ता खराब क्यों जाती है? एक्यूआई क्या होता है? एक्यूआई कैसे घटता बढ़ता रहता है? आइये जनते हैं…
दिल्ली में क्या हैं हालात?
राजधानी दिल्ली में हवा की गति कम होने के साथ ही वायु दमघोंटू हो गई है। गुरुवार को एक बार फिर एनसीआर में दिल्ली की हवा गंभीर श्रेणी में दर्ज की गई। गुरुवार को दिल्ली का एक्यूआई 346 दर्ज किया गया। यह इस सीजन का सर्वाधिक एक्यूआई है और यह लगातार छठा दिन रहा जब वायु गुणवत्ता बेहद खराब श्रेणी में बनी रही। वहीं, नोएडा में दोपहर 12 बजे AQI 695 पर जा पहुंचा। कई लोगों ने आंखों में जलन तक की शिकायत की।

इस बीच वायु गुणवत्ता पैनल ने गुरुवार को दिल्ली में ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रैप) के तीसरे चरण के तहत प्रतिबंधों को लागू करने का निर्देश दिया है, जिसमें गैर-जरूरी निर्माण और तोड़-फोड़ के काम पर रोक शामिल है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार, शुक्रवार को दिल्ली में वायु गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में बरकरार रही। लोधी रोड इलाके में AQI 438, जहांगीरपुरी में 491, आरके पुरम इलाके में 486 और IGI एयरपोर्ट (टी 3) के आसपास 473 है। वहीं, नोएडा में वायु गुणवत्ता 413 ‘गंभीर’ श्रेणी में दर्ज किया गया। फरीदाबाद और गाजियाबाद में भी हालात खराब ही रहे।
मुंबई में हवा की क्या है स्थिति?
दिल्ली की तरह मुंबई में भी हवा कुछ खास नहीं है। 150-200 के एक्यूआई के साथ शहर की वायु गुणवत्ता खराब श्रेणी में आंकी गई है। प्रदूषण को रोकने के लिए बॉम्बे वायु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने ने हिंदुस्तान पेट्रोलियम, टाटा पावर और अन्य कंपनियों से अपने उत्पादन में आधा कटौती करने को कहा है। उधर बीसीसीआई ने दिल्ली और मुंबई में विश्वकप मैचों के दौरान होने वाली आतिशबाजी पर रोक लगा दी है।
क्या होता है वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई)?
एक्यूआई, रोजाना के हवा की गुणवत्ता रिपोर्टिंग के लिए एक सूचकांक है। यह आपको बताता है कि आपकी हवा कितनी स्वच्छ या अस्वस्थ है और इससे जुड़े प्रभाव कितने चिंताजनक हो सकते हैं। खराब हवा में सांस लेने के कुछ घंटों या दिनों के भीतर अनुभव किए जाने वाले प्रभावों पर एक्यूआई केंद्रित होते हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक खराब एक्यूआई में रहने वाले लोगों की सेहत को गंभीर नुकसान होने का जोखिम बना रहता है।
कैसी मापी जाती है वायु की गुणवत्ता?
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, दुनिया की 99% आबादी अशुद्ध हवा में सांस लेती है और वायु प्रदूषण के कारण प्रति वर्ष 70 लाख लोगों की असामयिक मृत्यु होती है। जब हवा का स्तर खराब होता है तो सूक्ष्म कणों (पीएम2.5) से होने वाला कण प्रदूषण चिंता का विषय बन जाता है। दरअसल, पीएम2.5 कण 2.5 माइक्रोमीटर या उससे कम व्यास वाले कणों को बताता है जो हमारे स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़ा खतरा है। पीएम 2.5 को अक्सर वायु गुणवत्ता मानकों में एक उपाय के रूप में उपयोग किया जाता है। जब हम सांस लेते हैं, तो PM 2.5 रक्तप्रवाह में गहराई से अवशोषित हो जाता है और हृदय रोग, फेफड़ों की बीमारी और कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा उत्पन्न करता है।
वायु गुणवत्ता कब खराब होती है?
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) के अनुसार, वायु प्रदूषक विभिन्न स्रोतों से आते हैं, जिनमें मानव-जनित उत्सर्जन शामिल हैं। इन प्रदूषकों में वाहनों और खाना पकाने में जीवाश्म ईंधन का उपयोग और प्राकृतिक स्रोत, जैसे धूल भरी हवा और जंगल की आग और ज्वालामुखी से निकलने वाला धुआं आदि शामिल होते हैं।

वायु गुणवत्ता निगरानी उपकरण विशेष प्रदूषकों का पता लगाने के लिए बनाये गए सेंसर से लैस होते हैं। कुछ लोग हवा के एक घन मीटर में कणों के घनत्व को मापने के लिए लेजर का उपयोग करते हैं, जबकि कुछ पृथ्वी द्वारा परावर्तित या उत्सर्जित ऊर्जा को मापने के लिए उपग्रह इमेजरी का इस्तेमाल करते हैं।

हवा में प्रदूषकों का घनत्व जितना अधिक होगा, एक्यूआई उतना ही अधिक होगा, जो शून्य से 500 तक का पैमाना है। 50 या उससे कम का AQI सुरक्षित माना जाता है, जबकि 100 से ऊपर का मान अस्वस्थ माना जाता है।
दिल्ली में अक्टूबर-नवंबर में हवा की गुणवत्ता खराब क्यों जाती है?
दिल्ली की लगातार वायु गुणवत्ता संकट के पीछे के कई कारण हैं। पहला प्रमुख कारण वायु प्रदूषक है जिसके चलते हवा प्रदूषित होती है। इन वायु प्रदूषणों में पराली जलाना, वाहन उत्सर्जन, निर्माण कार्य से उठने वाली धूल, औद्योगिक प्रदूषण, पटाखे और लैंडफिल की आग शामिल हैं।

दिल्ली की आबोहवा खराब करने में मौसम की स्थिति की भूमिका भी होती है। सर्दियों के दौरान स्थिर हवाएं क्षेत्र में प्रदूषकों को फंसा लेती हैं और कम हवा का उलटना प्रदूषित हवा को ऊपर की ओर बढ़ने से रोकता है।

राजधानी में प्रदूषण का तीसरा कारण उसकी भौगोलिक स्थिति है। दिल्ली की जमीन से घिरा स्थान और हिमालय की उपस्थिति की वजह से धूल और प्रदूषक इकट्ठे होते हैं। इस बीच वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने सुप्रीम कोर्ट को सौंपी अपनी हालिया रिपोर्ट में कहा कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु प्रदूषण का एक कारण पराली जलाना है।

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement