Uttar Pradesh

देवरिया सामूहिक हत्याकांड के बाद ग्रामीण दवा और राशन के लिए हो रहे परेशान, डर के साये में जीने को मजबूर…

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देवरिया- देवरिया कोतवाली क्षेत्र के लेड़हा टोला में 85 घर हैं। सामूहिक हत्याकांड के बाद बृहस्पतिवार को भी यहां सन्नाटा पसरा रहा। लोग खौफजदा नजर आए। टोले पर घर के बाहर ऐसे लोग मिले, जो बुजुर्ग और बीमार हैं। घर की महिलाएं रसोई का सामान खत्म होने को लेकर चिंतित नजर आईं। कुछ ऐसा ही हाल पूर्व जिला पंचायत सदस्य प्रेम यादव के अभयपुरा टोले का भी रहा।

यहां कई परिवार अब भी रोते-बिलखते दिखे। कुछ का तो यह भी कहना था कि हम लोगों का दोनों परिवारों के विवाद से कोई लेना-देना नहीं है, तब भी घर के कमाऊ मुखिया को जेल जाना पड़ा। बंदूकों के साए में दिन-रात गुजर रही है। छोटे बच्चे, पुलिसकर्मियों को देखकर डर रहे हैं।

फतेहपुर ग्राम पंचायत का लेड़हा टोला में पांच ब्राह्मण परिवार हैं। चार कायस्थ, 15 साहनी, पांच पाल बिरादरी के लोग निवास करते हैं। करीब 59 घर यादव बिरादरी के लोगों के हैं। कुल मतदाता 632 हैं। बृहस्पतिवार की दोपहर करीब एक बजे दोनों टोलों के रास्तों पर पुलिस के जवान तैनात रहे। सत्यप्रकाश दूबे के घर को जाने वाले रास्ते पर चार जगहों पर पुलिस की पिकेट है। जबकि प्रेम यादव के घर के पास भी तीन जगहों पर पुलिस पिकेट तैनात मिली।

लेड़हा टोला में ही प्रेम यादव की चचेरी बहन का भी घर है। इस परिवार में भी सन्नाटा देखने को मिला, क्योंकि कई लोगों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई कर चुकी है। एक महिला ने बताया कि पति सब्जी बेचकर घर का खर्च चलाते हैं, लेकिन वह केस में फंस गए हैं। हालत यह है कि घर में सब सामान खत्म हो गया है। इसी तरह एक महिला ने बताया कि घर पर सरसों का तेल और कुछ दवाएं नहीं हैं। घर के कमाऊं लोग डर से दूसरी जगह चले गए हैं।

इसी तरह अभयपुरा टोले में भी दोपहर करीब दो बजे कुछ महिलाएं रो रहीं थीं। बच्चे खिड़की के रास्ते आने-जाने वाले लोगों को देख रहे थे। उनके चेहरे पर भय साफ झलक रहा था।
सीताराम निषाद ने बताया कि हम लोग काम-धंधा कर जीविकोर्पाजन करते हैं, लेकिन लेहड़ा टोले का माहौल ऐसा बन गया है कि अब डर लग रहा है। दरवाजे पर बैठे चलने-फिरने में असमर्थ दो बुजुर्गों ने बताया कि टोले का हाल बहुत बुरा है। पुलिस के डर से अधिकांश लोग अपने रिश्तेदारी व अन्य स्थानों पर चले गए हैं। उनका लड़का मुंबई से कमाकर आने वाला था, लेकिन उसे मना कर दिया कि अभी मत आओ। मशीन से चारा काट रहे छात्र ने बताया कि घटना के समय कोचिंग पढ़ने गया था। लौट कर आया तो देखा कि घर से कुछ दूरी पर भीड़ जुटी है और चीखने-पुकारने की आवाज सुनाई दे रही है। जब एक घंटे बाद पुलिस आई तो राहत की सांस ली।

रास्ते में गिरा प्रेम चीख रहा था…हमको छोड़ दो

लेहड़ा टाेले में सत्यप्रकाश दूबे के घर के ठीक पीछे दरवाजे पर बैठीं सलहंती देवी ने बताया-घटना के दिन सुबह जब वह घर से बाहर निकलीं तो प्रेम यादव रास्ते पर गिरे पड़े थे। वह छटपटा रहे थे। उनकी हल्की आवाज भी सुनीं- अरे! हमको छोड़ दो। कुछ ही देर बाद वह शांत हो गए। करीब 45 मिनट बाद भीड़ आई और चीखने-पुकारने की आवाजें गूंजने लगीं। तोड़फोड़ और बच्चों के रोने-पीटने की आवाज सुनाई पड़ने लगी। सलहंती देवी ने बताया कि पहले प्रेम यादव इस टोल पर आते थे तो बॉडीगार्ड साथ लाते थे। बीते एक साल से उनकी दूबे परिवार से बात होने लगी तो वह निश्चिंत होकर अकेले भी आते रहते थे। इसी गांव की आशा कार्यकर्ता सुषमा ने बताया कि घटना के दिन बारिश हो रही थी। काफी देर बाद हम लोगों को घटना की जानकारी हुई। करीब एक घंटे बाद पुलिस पहुंची तब जाकर पूरे मामले की जानकारी हुई।
सत्यप्रकाश दूबे की माली हालत थी खराब

सत्यप्रकाश दूबे का पूरा परिवार टिनशेड के मकान में जीवनयापन कर रहा था। घर से कुछ दूरी पर सरकारी अनुदान से एक शौचालय बना है, जिसका फाटक तक नहीं है। इतना जरूर है कि इस टोले में सबसे अधिक जमीन सत्यप्रकाश के नाम पर ही है, पर घर की माली हालत ठीक नहीं थी। उन्होंने कृषि कार्य के लिए लोन पर एक ट्रैक्टर लिया था। लोगों के मुताबिक किस्त न जमा करने के कारण वसूली के लिए आरसी भी जारी हो चुका है।

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