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Uttarakhand

गोविंद वन्य जीव विहार और राष्ट्रीय पार्क पुरोला के घेरबाड़ निर्माण घोटाले में 15 दिन बाद भी दर्ज नहीं हो पाई एफआईआर।

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देहरादून – उत्तरकाशी के पुरोला में स्थित गोविंद वन्य जीव विहार एवं राष्ट्रीय पार्क पुरोला की सुपिन रेंज में मानव-वन्यजीव संघर्ष रोकथाम योजना के तहत घेरबाड़ निर्माण घोटाले में 15 दिन बाद भी एफआईआर दर्ज नहीं हो पाई है। इस मामले में आरोपी ठेकेदार पर 8.23 लाख रुपये के सरकारी धन के गबन का आरोप है।

चर्चा है कि राजनीतिक दबाव के चलते मामले को दबाने के प्रयास किए जा रहे हैं। इस संबंध में पार्क की उप निदेशक डॉ. अभिलाषा सिंह के निर्देश पर सुपिन रेंज कार्यालय की ओर से 12 अक्तूबर को थाना मोरी में ठेकेदार शंकर सिंह राणा निवासी कासल, फिताड़ी तहसील मोरी के विरूद्ध मुकदमा दर्ज किए जाने को लेकर तहरीर दी गई थी।
आरोप है कि वर्ष 2021 में सुपिन रेंज नैटवाड़ के तहत मनोरा कक्ष संख्या-2 में जंगली जानवरों से मानव एवं फसल सुरक्षा के लिहाज से तारबाड़ एवं सुरक्षा दीवार के निर्माण के लिए ठेकेदार की ओर 8.23 लाख रुपये रुपये का गबन किया गया है। इस मामले में ठेकेदार को ब्लैकलिस्ट किए जाने के साथ ही वसूली की कार्रवाई शुरू की गई है।
वन विभाग ने मोरी थाने में दी तहरीर
क्षेत्र में इस बात को लेकर चर्चा है कि सत्ता पक्ष के एक राजनीतिक व्यक्ति की ओर से अधिकारियों पर मामले को रफा-दफा करने के लिए दबाव बनाया जा रहा है। इस मामले में जिलाधिकारी की ओर से ही जांच कराई गई थी। इसके बाद वन विभाग ने मोरी थाने में तहरीर दी है। लेकिन 15 दिन बाद भी मुकदमा दर्ज नहीं होने पर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं।
मामले में एसपी उत्तरकाशी अर्पण यदुवंशी ने कहा कि इस मामले में वन विभाग की ओर से जो प्राथमिकी मिली है, उसमें आधी-अधूरी जानकारी है। इसलिए उनसे प्रकरण से संबंधित पूरी जानकारी मांगी गई है। इसके बाद ही मुकदमा दर्ज किया जाएगा।
वहीँ जिलाधिकारी उत्तरकाशी अभिषेक रूहेला ने कहा कि ठेकेकेदार से वसूली से संबंधी पत्र वन विभाग की ओर से प्राप्त हुआ था। इसका परीक्षण कराए जाने के बाद संबंधित तहसील को आगे की कार्रवाई के लिए निर्देशित किया गया है।

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