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गोविंद बल्लभ पंत कृषि विश्वविद्यालय का शहद उत्पादन पर अनूठा शोध कार्य , राज्यपाल ने दी शुभकामनाएँ…..

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गोविंद बल्लभ पंत कृषि विश्वविद्यालय का शहद उत्पादन पर अनूठा शोध कार्य , राज्यपाल ने दी शुभकामनाएँ…..


देहरादून : राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) के समक्ष गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. मनमोहन सिंह चौहान ने राजभवन में ‘वन यूनिवर्सिटी-वन रिसर्च’ कार्यक्रम के अंतर्गत विश्वविद्यालय द्वारा किए जा रहे महत्वपूर्ण शोध कार्य की प्रगति पर प्रस्तुतीकरण दिया। इस दौरान विश्वविद्यालय द्वारा चलाए जा रहे शोध विषय “उत्तराखण्ड में महिला सशक्तीकरण द्वारा शहद उत्पादन की क्रांति” (हनी रेवलूशन थ्रू वुमन एम्पावरमेंट इन उत्तराखण्ड) पर विस्तृत चर्चा की गई।

प्रो. मनमोहन सिंह चौहान ने शोध के उद्देश्यों और प्रमुख निष्कर्षों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि मौन पालन के क्षेत्र में स्वरोजगार के माध्यम से समृद्धि प्राप्त करने की अपार संभावनाएँ हैं, और न सिर्फ शहद, बल्कि अन्य मौनपालन उत्पाद जैसे बी वैक्स, रॉयल जेली, बी वेनोम, प्रोपॉलिस और पोलन की मांग भारत के साथ-साथ वैश्विक बाजार में भी तेज़ी से बढ़ रही है।

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उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय के मधुमक्खी अनुसंधान और प्रशिक्षण केंद्र के माध्यम से अब तक 750 से अधिक महिलाओं को मौन पालन के क्षेत्र में मास्टर ट्रेनर के रूप में प्रशिक्षित किया गया है। प्रो. चौहान ने यह भी बताया कि उत्तराखण्ड में शहद उत्पादन की क्षमता वर्तमान स्तर से दस गुना अधिक हो सकती है, और विश्वविद्यालय ने अल्मोड़ा, सितारगंज और कोटबाग क्षेत्र को क्षेत्रीय प्रयोग केंद्र के रूप में चुना है।

इसके अतिरिक्त, उन्होंने कहा कि मौन पालन से रोजगार सृजन, रिवर्स पलायन और अतिरिक्त आय के अवसर उत्पन्न होते हैं, और मधुमक्खियों के परागन से विभिन्न फल और सब्जियों की गुणवत्ता में भी सुधार देखा गया है।

राज्यपाल ने इस महत्वपूर्ण शोध कार्य के लिए विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं को शुभकामनाएँ दीं और इसे मौन पालन के क्षेत्र में एक क्रांति लाने वाला कदम बताया। उन्होंने कहा कि इस शोध के परिणाम स्वरोजगार और महिला सशक्तीकरण के माध्यम से समाज के हर वर्ग के लिए लाभकारी होंगे। राज्यपाल ने उत्तराखण्ड की प्राकृतिक सुंदरता और यहां के पौष्टिक फलों, फूलों और वनस्पतियों से प्राप्त शहद की विशिष्ट गुणवत्ता का भी उल्लेख किया और कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा किए गए शोध कार्य से क्षेत्रीय विकास के नए रास्ते खुलेंगे।

 



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