Uttarakhand

खाली बोतल-चिप्स के पैकेट लौटाने में फायदा, उत्तराखंड में प्लास्टिक वापसी नीति में मिलेगा पैसा

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उत्तराखंड में प्लास्टिक की बढ़ती समस्या को देखते हुए इसकी वापसी की नीति तैयार की जाएगी। इसके तहत बाजार में बिक रहे प्लास्टिक की शत-प्रतिशत वापसी सुनिश्चित होगी। प्रदेश में प्लास्टिक कचरा पर्यावरण के लिए खतरा बनता जा रहा है।

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीसीबी) के एक अनुमान के अनुसार, वर्तमान में राज्य में हर दिन करीब 300 टन प्लास्टिक कचरा पैदा हो रहा है और भविष्य में इसके बढ़ने की आशंका है। इसे देखते हुए अब प्लास्टिक कचरे में कमी की योजना पर काम शुरू किया जा रहा है।

स्थानीय प्रशासन ने चारधाम में प्लास्टिक कचरे को कम करने के लिए रिफंड की व्यवस्था की है। यहां प्लास्टिक की खाली बोतल, चिप्स आदि के रेपर दुकान पर लौटाने की सुविधा है। इसके बदले तय राशि वापस मिल जाती है।

इसमें काफी हद तक सफलता मिली है। अब इस योजना को पूरे प्रदेश में लागू करने की तैयारी है।दून में रविवार को पीसीबी, स्वास्थ्य विभाग और कुछ निजी संस्थाओं के सहयोग से आयोजित कार्यक्रम में प्रमुख सचिव वन एवं पीसीबी के अध्यक्ष आरके सुधांशु ने कहा कि प्लास्टिक कचरे के साथ ही ई-वेस्ट भी एक बहुत बड़ी समस्या है। इसके समाधान के लिए भी काम शुरू किया गया है।

एआई को असिस्टेंट बनाने की जरूरत सचिव स्वास्थ्य डॉ. आर राजेश कुमार ने कहा कि आज के समय में एआई यानी आर्टिफिशल इंटेलीजेंस का दखल बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि एआई आज की जरूरत भी है और यह एक चिंता का विषय भी है। एआई को असिस्टेंट इंटेलिजेंस बनाने की जरूरत है।

प्लास्टिक और ई-कचरा एक बहुत बड़ी चुनौती बनता जा रहा है। इनके रिफंड के लिए ठोस नीति तैयार की जा रही है। इसके जरिये यह सुनिश्चित किया जाएगा कि प्लास्टिक और ई-वेस्ट की शत प्रतिशत वापसी हो सके।

आरके सुधांशु, प्रमुख सचिव एवं अध्यक्ष प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड



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