Connect with us

Uttarakhand

कक्षा 9 के छात्र ने शिक्षक पर झोंका फायर, देसी तमंचे से किया हमला

Published

on

कक्षा 9 के छात्र ने शिक्षक पर झोंका फायर, देसी तमंचे से किया हमला


काशीपुर | उत्तराखंड: बुधवार की दोपहर जब काशीपुर के कुंडेश्वरी रोड पर स्थित गुरुनानक स्कूल में रोज़ की तरह पढ़ाई चल रही थी, तब किसी को अंदाजा नहीं था कि कुछ ही मिनटों में वहां एक गोली की आवाज़ सबको दहशत में डाल देगी।

कक्षा 9 का एक छात्र अपने ही शिक्षक गगन सिंह पर तमंचा लेकर टूट पड़ा। 315 बोर का तमंचा छात्र ने अपने बैग से निकाला और क्लास पूरी होने के ठीक बाद शिक्षक को निशाना बनाकर गोली चला दी। गोली शिक्षक के दाहिने कंधे में लगी। आनन-फानन में घायल गगन सिंह को पास के निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां फिलहाल उनकी हालत खतरे से बाहर बताई जा रही है।

एक थप्पड़ बना हमले की वजह?

पुलिस के मुताबिक, गुलजारपुर निवासी नाबालिग छात्र का कहना है कि सोमवार को शिक्षक ने पढ़ाई के दौरान थप्पड़ मारा था, जिससे वह आहत हुआ और बदले की भावना पाल बैठा।

बच्चे ने घर से तमंचा अलमारी से चुराया, उसे टिफिन कवर में छिपाया और स्कूल ले आया। यह सब कुछ इतनी चुपचाप तरीके से हुआ कि स्कूल प्रशासन को भनक तक नहीं लगी। क्लास खत्म होते ही छात्र ने जैसे ही गगन सिंह को बाहर निकलते देखा, गोली चला दी।

अफरा-तफरी और जांच की शुरुआत

गोली चलने की आवाज़ से स्कूल में अफरा-तफरी मच गई। शिक्षक और छात्र भागते हुए मौके पर पहुंचे। घायल गगन सिंह को निजी वाहन से अस्पताल ले जाया गया।

घटना की सूचना मिलते ही पुलिस और फॉरेंसिक टीम मौके पर पहुंच गई। सीसीटीवी फुटेज में पूरी घटना कैद मिली है, जिससे पुष्टि हुई कि छात्र ने जानबूझकर हमला किया। आरोपी छात्र को मौके पर ही पकड़ लिया गया और पुलिस के हवाले कर दिया गया।

सवालों के घेरे में स्कूल और परवरिश

इस सनसनीखेज घटना ने स्कूल की सुरक्षा व्यवस्था, शस्त्रों की घरेलू पहुंच और बच्चों की मानसिक स्थिति—इन तीनों को कटघरे में खड़ा कर दिया है।

सबसे बड़ा सवाल यही है:
एक नाबालिग के हाथ तक तमंचा कैसे पहुंचा?
स्कूल में सुरक्षा जांच क्यों नहीं हुई?
क्या किसी थप्पड़ के जवाब में गोली चलाना समझदारी है या हमारी परवरिश की असफलता?

अभिभावकों की चिंता अब दोगुनी हो गई है। बच्चे स्कूल तो जाते हैं पढ़ने, लेकिन अब वहां सुरक्षित भी रहेंगे या नहीं, यह सोचकर माता-पिता सहमे हुए हैं।

शिक्षा के मंदिर में बंदूक की आवाज़

एक स्कूल, जहां कलम की आवाज़ होनी चाहिए, वहां अब गोली की आवाज़ गूंजी है। एक शिक्षक पर हमला सिर्फ एक व्यक्ति पर नहीं, बल्कि गुरु-शिष्य परंपरा पर चोट है।

अब समय आ गया है जब सिर्फ छात्र को दोषी ठहराने के बजाय घर, समाज, स्कूल तीनों को आत्मचिंतन करना होगा कि ऐसा कैसे और क्यों हुआ।



Source link

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement