Uttarakhand
उत्तराखंड में हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा के कपाट पारंपरिक रीति रिवाजों से हुए बंद

उत्तराखंड स्थित हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा के कपाट पारंपरिक रीति रिवाजों से बंद हो गए हैं।
उत्तराखंड के गढ़वाल हिमालय स्थित हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा के कपाट पारंपरिक रीति रिवाज से गुरुवार को शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं। इस बार करीब 2500 तीर्थयात्री शामिल हुए थे। यह पवित्र सिख तीर्थस्थल 16000 फीट की ऊंचाई पर हिमनद झील के निकट बर्फ से ढकी चोटियों से घिरा है। कपाट बंद करने से जुड़ा समापन समारोह गुरुवार सुबह ही हेमकुंड साहिब ट्रस्ट के प्रबंधक की उपस्थिति में शुरु हुआ था।
इ तीर्थयात्री हेमकुंड साहिब के दर्शन करने आए
समारोह के समापन के बाद तीर्थयात्री भजन और कीर्तन गाते हुए घांघरिया और गोविंदघाट लौट आए। ट्रस्ट के प्रमुख ने कहा कि प्रशासन और स्थानीय लोगों के सहयोग से इस वर्ष यात्रा व्यवस्थित ढंग से संपन्न हुई। चमोली जिले के डीएम संदीप तिवारी ने बताया कि इस बार 183722 तीर्थयात्री हेमकुंड साहिब के दर्शन करने आए। वहीं पिछले साल 177463 तीर्थयात्री दर्शन करने आए थे।
418- इंडीपेंडेंट इंजीनियरिंग कोर दल के सदस्यों ने दी सेवाएं
प्रतिवर्ष की तरह भारतीय सेना के 418- इंडीपेंडेंट इंजीनियरिंग कोर दल के सदस्यों ने इस अवसर पर बढ़चढ़ कर अपनी सेवाएं प्रदान की। इनमें हवलदार हरसेवक सिंह, हवलदार गुरप्रीत सिंह व अन्य जवान शामिल रहे। गुरूद्वारा प्रबंधन ने सेना के जवानों द्वारा निभाई गई विशेष सेवा के लिए सभी को सिरोपा भेंज करके सम्मानित करते हुए बहुत-बहुत धन्यवाद किया।
‘जो बोले सो निहाल’ के जयकारों से गूज उठा वातावरण
अरदास के बाद संगतों द्वारा ‘‘जो बोले सो निहाल’’ के जयकारों से वातावरण गूंज उठा। गढ़वाल स्काउट एवं पंजाब बैंड ग्रुप के सदस्यों ने वाद्य यंत्रों पर धुनें सजाकर माहौल को और भी खुशनुमा बनाया। बारिश के बीच पुष्प वर्षा करते हुए पंज प्यारों की अगुवाई में गुरू साहिब जी के स्वरूप सुखासन स्थान पर श्रृद्धा सहित नतमस्तक होकर सुशोभित कर दिए गए। आपको बता दें कि हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा सिक्खों का पवित्र स्थान है। यहीं हजारों की संख्या में भक्त अरदास लगान