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उत्तराखंड में आयुर्वेद शिक्षा को मिलेगी नई दिशा, AIIMS की तर्ज पर स्थापित होगा आयुर्वेद संस्थान….

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देहरादून : उत्तराखंड के ऐतिहासिक आयुर्वेद कॉलेजों में जल्द ही कायाकल्प होने की उम्मीद है। राज्य सरकार ने 100 साल पुराने ऋषिकुल आयुर्वेद कॉलेज के उच्चीकरण के लिए एक डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (DPR) तैयार की है, जिसे केंद्र सरकार को भेजा गया है। केंद्र सरकार ने इस प्रस्ताव पर सकारात्मक रुख दिखाया है, और इसके उच्चीकरण की प्रक्रिया जल्द ही शुरू हो सकती है।

ऋषिकुल आयुर्वेद कॉलेज, जो 1919 में महामना मदन मोहन मालवीय द्वारा स्थापित हुआ था, उत्तराखंड के आयुर्वेद शिक्षा का एक महत्वपूर्ण केंद्र है। कॉलेज में 25 एकड़ भूमि पर सात मंजिला आधुनिक अस्पताल बनाने का प्रस्ताव रखा गया है, जिसमें छात्रों और मरीजों दोनों के लिए बेहतर सुविधाएं उपलब्ध होंगी। इस प्रस्ताव से न केवल कॉलेज की पहचान मजबूत होगी, बल्कि उत्तराखंड को आयुर्वेद शिक्षा में राष्ट्रीय स्तर पर एक अग्रणी राज्य के रूप में स्थापित करने का अवसर भी मिलेगा।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस अवसर पर कहा कि राज्य सरकार आयुष से जुड़ी सभी गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है और केंद्र सरकार से इस मामले में पूरी सहयोग की उम्मीद है। आयुष विभाग ने संबंधित कार्रवाई पूरी कर ली है और अब राज्य सरकार का उद्देश्य ऋषिकुल कॉलेज को अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान बनाने के अपने प्रस्ताव पर शीघ्र निर्णय प्राप्त करना है।

वहीं, गुरुकुल आयुर्वेद कॉलेज, जो 1921 में स्वामी श्रद्धानंद द्वारा स्थापित हुआ था, भी उच्चीकरण की प्रक्रिया में शामिल है, हालांकि यह प्रस्ताव अभी प्रारंभिक चरण में है। उत्तराखंड में दो सौ साल पुराने आयुर्वेद कॉलेजों का होना राज्य के लिए एक बड़ी उपलब्धि है, और सरकार इन कॉलेजों को आधुनिक सुविधाओं से लैस करने के लिए निरंतर प्रयासरत है।

भारत में सौ साल पुराने आयुर्वेद कॉलेजों की संख्या केवल एक दर्जन के आसपास है, और उत्तराखंड उन चुनिंदा राज्यों में शामिल है जिनके पास दो ऐतिहासिक आयुर्वेद कॉलेज हैं। ऋषिकुल कॉलेज में वर्तमान में 11 विषयों में स्नातकोत्तर की पढ़ाई चल रही है, और इसकी उन्नति से राज्य के आयुर्वेद क्षेत्र को एक नया आयाम मिलेगा।



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