Uttarakhand
उत्तराखंड की वन पंचायतों के अवैध कब्जे होंगे चिन्हित, वन पंचायतों का सीमांकन न होने से हो रहे कब्जे।
देहरादून – उत्तराखंड के 80% पंचायती बनो का सीमांकन नहीं होने से धड़ाधड़ अतिक्रमण और पेड़ों का कटान हो रहा है। इस पर रोक लगाने के लिए पंचायती वनों के सीमांकन का अधिकार राजस्व विभाग के बजाय वन विभाग को देने के लिए सरकार को एक प्रस्ताव भेजा गया है। मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि पंचायती वन क्षेत्रों को शक्ति से अतिक्रमण से मुक्त कराया जाएगा।
उत्तराखंड के 11 जिलों में वर्तमान में 11336 1 पंचायतें हैं। जिन का कुल क्षेत्रफल करीब 5449 वर्ग किलोमीटर है। करीब 80 फ़ीसदी वन पंचायती वन क्षेत्र का सीमांकन नहीं हुआ है, इससे वहां हो रहे अतिक्रमण चिन्हित नहीं हो पा रहे हैं। अब तक सीमांकन का काम राजस्व विभाग के जिम्मे है। जिस कारण वन विभाग कोई कार्रवाई नहीं कर पाता है। अब वन विभाग वन पंचायत एक्ट में संशोधन के जरिए सीमांकन का अधिकार लाने जा रहा है।
गढ़वाल में करीब 95 और कुमाऊं में करीब 80 फ़ीसदी 1 पंचायतों का सीमांकन नहीं हुआ है। इससे पंचायती वन क्षेत्रों में कहां और कितना अतिक्रमण है, इसका पता नहीं लग पा रहा है। साथ ही तमाम काम और बजट आवंटन भी में भी दिक्कत आ रही है। सरकार वन पंचायत एक्ट में संशोधन कर 1 पंचायतों के तमाम अधिकार वन विभाग को देने जा रही है। वन विभाग ने इसका प्रस्ताव शासन को भेज दिया है, इसी महा कैबिनेट में इसके पारित होने की उम्मीद है।
भले ही वन पंचायतों के अतिक्रमण का अभी पता ना चल पाया हो, लेकिन वन भूमि पर अब तक 10 हजार हेक्टेयर से ज्यादा अतिक्रमण हो चुका है। वन भूमि में बड़ी संख्या में धार्मिक स्थल, रिजॉर्ट, आश्रम के साथ ही रेजिडेंशियल सोसायटी तक बनाई गई है। पर्यटक स्थलों के आसपास भी वन भूमि पर अतिक्रमण के कई मामले आ चुके हैं।
वन पंचायतों के घोषित क्षेत्रफल के आधार पर राजस्व अभिलेखों में उनके क्षेत्रफल का अमल दरामद (अभिलेखों में राजेश्वर सेवन पंचायत के नाम चढ़ाना) नहीं किया गया है। जिससे 1 पंचायतों की प्रबंध समिति को दीवानी अथवा फौजदारी के वाद चलाने पैरवी करने एवं पंचायती भूमि पर अतिक्रमण रोकने का अधिकार नहीं है। इससे अतिक्रमण चिन्हित करने में भी दिक्कत है।
वन मंत्री सुबोध उनियाल ने बताया कि पंचायतों के सीमांकन का काम राजस्व विभाग की जिम्मेदारी है वन पंचायत एक्ट में संशोधन कर यह अधिकार वन विभाग को देने का प्रस्ताव है इसके बाद सीमांकन तेजी से करवाया जाएगा ताकि अतिक्रमण का पता चल सके।