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उत्तराखंड की इस सड़क को अंग्रेजों के दिए नाम से मिलेगी मुक्ति, चीन बॉर्डर तक का सफर होगा आसान

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उत्तराखंड की इस सड़क को अंग्रेजों के दिए नाम से मिलेगी मुक्ति, चीन बॉर्डर तक का सफर होगा आसान

उत्तराखंड में जिस पैदल ट्रक को अभी तक लार्ड कर्जन ट्रैक के नाम से जाना जाता है उस पैदल सड़क पर अब सड़क बनने की उम्मीद जग गई है। ग्वालदम से लेकर तपोवन (जोशीमठ ) तक पहुंचने वाली यह सड़क अब ग्वालदम – नंद केसरी- देवाल- केनाल- रामनी-इराणी- दुर्मा होते हुए तपोवन तक बनेगी ।

सीमा सड़क संगठन गौचर के कमान अधिकारी मनोहर कुमार ने बताया कि नवंबर 2022 में इस सड़क को भारतीय सेवा के लिए बनाए जाने हेतु प्रस्ताव दिया गया था। सभी औपचारिकताओं की बाद अब 18 सितंबर 2024 को भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय ने इस सड़क को बनाने की स्वीकृति दे दी है ।

यह सड़क जनरल स्टाफ सड़क के नाम से जानी जाएगी। कमान अधिकारी ने बताया कि इस सड़क की कुल दूरी 99.2 किलोमीटर होगी, जिसमें से लोक निर्माण विभाग द्वारा अभी तक वाण तक 60 किलोमीटर सड़क बनाई जा चुकी है।

शेष 39.2 किलोमीटर की नई सड़क को बनाने का जिम्मा सीमा सड़क संगठन को मिला है। कमान अधिकारी ने बताया कि पहले चरण मे वाण तक बनी सड़क की ठीक किया जाएगा वाण से आगे कर्जन रोड से होते हुए यह सड़क तपोवन तक बना दी जाएगी ।

कमान अधिकारी ने यह भी बताया कि लोक निर्माण विभाग से सड़क को हैंडओवर करने की प्रक्रिया जारी है। सड़क के हैंडओवर होते ही इसकी डीपीआर बनाई जाएगी। मार्च 2025 से पूर्वी इस पर काम शुरू करने का लक्ष्य बनाया गया है। रक्षा मंत्रालय ने इस सड़क के निर्माण के लिए 897 करोड रुपए स्वीकृति अभी तक प्रदान की है।

लॉर्ड कर्जन ट्रैक के नाम से जानी जाती थी सड़क

ग्वालदम से तपोवन तक प्रस्तावित इस सड़क को अभी तक लॉर्ड कर्जन ट्रैक नाम दिया गया है। 1900 के दशक में भारत के वायसराय रहे लार्ड कर्जन को इस ट्रैक पर आना था। लेकिन किन्हीं कारण वश वह नहीं आ पाए थे। लेकिन यह ट्रैक अपने निर्माण से ही पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है।

सड़क बंद होने से यात्रियों को होती है परेशानी

बदरीनाथ यात्रा के दौरान कई बार बदरीनाथ की सड़क बंद होने से यात्रा प्रभावित होती रही है, इस सड़क के बन जाने से बद्रीनाथ यात्रा के लिए एक वैकल्पिक मार्ग भी खुल जाएगा । साथ ही नीति-मलारी सीमा चौकिया के लिए यह सड़क सामरिक दृष्टि से भी काफी महत्वपूर्ण हो जाएगी । जानकर बताते हैं कि सड़क भारत की सीमा क्षेत्र के लिए भी फायदे मंद साबित हो सकती है



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