Uttarakhand

इन्द्रमणि बडोनी की 100 वीं जयंती पर विशेष डॉक्यूमेंट्री, मसूरी विंटर लाइन कार्निवाल में होगी स्क्रीनिंग

Published

on


इन्द्रमणि बडोनी

मसूरी: उत्तराखंड के गांधी के रूप में प्रसिद्ध जननायक इन्द्रमणि बडोनी की 100वीं जयंती के अवसर पर बनाई जा रही विशेष डॉक्यूमेंट्री ‘उत्तराखंड के जननायक इन्द्रमणि बडोनी’ का फिल्मांकन गुरुवार को मसूरी शहीद स्थल में किया गया। इस दौरान प्रसिद्ध गढ़वाली गीत ‘कु होलु’ के साथ कई महत्वपूर्ण दृश्य कैमरे में कैद किए गए। डॉक्यूमेंट्री को आगामी मसूरी विंटर लाइन कार्निवाल में प्रदर्शित किया जाएगा। मुहूर्त शॉट का क्लैप पूर्व पालिका अध्यक्ष मनमोहन सिंह मल्ल और सामाजिक कार्यकर्ता गिरीश ढौंडियाल ने दिया।

इन्द्रमणि बडोनी पर बन रही डॉक्यूमेंट्री का उद्देश्य

डॉक्यूमेंट्री के निर्देशक प्रदीप भंडारी ने बताया कि 24 दिसंबर को इन्द्रमणि बडोनी की 100वीं जयंती धूमधाम से मनाई जाएगी। इसी अवसर पर इस विशेष डॉक्यूमेंट्री का भव्य प्रदर्शन भी प्रस्तावित है।
उन्होंने कहा कि इन्द्रमणि बडोनी उत्तराखंड राज्य आंदोलन के सच्चे जननायक थे। उनके संघर्ष, उनके विचार और राज्य निर्माण में उनकी भूमिका को नई पीढ़ी तक पहुँचाना बेहद जरूरी है। आज कई युवा ऐसे हैं जिन्हें यह पता भी नहीं कि उत्तराखंड राज्य के निर्माण में बडोनी जी की क्या महत्वपूर्ण भूमिका रही।

शहीद स्थल में कैमरे में कैद हुए महत्वपूर्ण दृश्य

फिल्मांकन के दौरान निर्देशक प्रदीप भंडारी ने शिक्षा विभाग पर भी सवाल खड़े किए। उनका कहना था कि सरकार द्वारा बडोनी पर आधारित पाठ्यक्रम शामिल नहीं किए गए हैं, न ही ऐसी संरचनाएं विकसित हुई हैं, जिनसे नई पीढ़ी को महापुरुषों के योगदान के बारे में सही जानकारी मिल सके।
प्रदीप भंडारी इससे पहले गढ़वाली संस्कृति और पितरों पर आधारित फिल्म ‘पितृ कूड़ा’ बना चुके हैं, जिसे दर्शकों ने खूब सराहा था।

निर्देशक बोले—“बडोनी के बारे में बच्चा-बच्चा जाने”

प्रदीप भंडारी ने कहा—
“हमारी नई पीढ़ी धीरे-धीरे अपनी संस्कृति और इतिहास से दूर होती जा रही है। सरकार और फिल्म निर्माताओं दोनों को ऐसे विषयों पर ध्यान देना चाहिए जो युवाओं को प्रेरणा दें। फिल्म में ‘कु होलु’ गीत इसलिए जोड़ा गया है, क्योंकि पुराने समय में पहाड़ों में मीडिया नहीं था और घड़िया गीत ही जनसंदेश का मुख्य माध्यम थे। इस गीत में भी बडोनी जी के जीवन और संघर्ष की झलक दिखाई जाएगी।”

निर्देशक ने बताया कि ये डॉक्यूमेंट्री इन्द्रमणि बडोनी के जीवन के संघर्ष, उत्तराखंड राज्य आंदोलन और उनकी विचारधारा पर आधारित है। उन्होंने कहा कि उद्देश्य सिर्फ इतना है कि जनता और युवा दर्शकों तक बडोनी की असल कहानी पहुंचे। यह फिल्म उनके प्रति हमारी सच्ची श्रद्धांजलि है।

कौन थे जननायक इन्द्रमणि बडोनी?

इन्द्रमणि बडोनी का जन्म 24 दिसंबर 1925 को टिहरी गढ़वाल रियासत के अखोड़ी गाँव में हुआ था। उनकी माता का नाम कलदी देवी और पिता का नाम सुरेशानंद था।
उन्होंने 1949 में डीएवी पीजी कॉलेज देहरादून से स्नातक किया।

उनके सार्वजनिक जीवन की शुरुआत 1953 में तब हुई जब गांधीवादी कार्यकर्ता मीरा बहन उनके गाँव पहुँचीं। उनकी शिक्षाओं का बडोनी जी पर गहरा प्रभाव पड़ा और यहीं से उनके भीतर गांधीवादी विचारधारा मजबूत हुई।

राजनीति में भी थी बडोनी की मजबूत पकड़

इन्द्रमणि बडोनी ने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1961 में ग्राम प्रधान के रूप में की और इसके बाद ब्लॉक प्रमुख बने।

  • 1967: पहली बार देवप्रयाग सीट से निर्दलीय विधायक चुने गए
  • 1969: कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में जीते
  • 1974: चुनाव हार गए
  • 1977: जनता पार्टी की लहर के बीच भी निर्दलीय जीत हासिल की और दोनों प्रमुख दलों के उम्मीदवारों की जमानत जब्त करा दी
  • 1989: एक बार फिर उन्हें हार का सामना करना पड़ा

इसके बावजूद वे अलग उत्तराखंड राज्य के लिए संघर्ष करते रहे और आंदोलन की रीढ़ बने रहे।

‘माउंटेन गांधी’—द वाशिंगटन पोस्ट का सम्मान

इन्द्रमणि बडोनी गांधीवादी विचारों के प्रबल समर्थक थे। अमेरिका के प्रसिद्ध अखबार द वाशिंगटन पोस्ट ने अपने एक लेख में उन्हें ‘माउंटेन गांधी’ कहा था। तभी से वे ‘पहाड़ के गांधी’ के नाम से प्रसिद्ध हो गए।
उत्तराखंड राज्य आंदोलन में उनका योगदान अविस्मरणीय है। हालांकि वे राज्य गठन होते नहीं देख पाए, लेकिन इसके निर्माण के लिए उन्होंने अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया।



Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Exit mobile version